
#लातेहार #मानवताकीमिसाल : रक्सी गांव में हृदयविदारक हादसा – दादी को बचाने में दो मासूमों ने गंवाई जान
- चंदवा प्रखंड के रक्सी गांव में गुरुवार दोपहर हुआ दर्दनाक हादसा।
- दादी तेतरी देवी को बचाने के प्रयास में पोते सुशांत (5) और पोती छोटी (8) की हुई मौत।
- दोनों बच्चे तालाब में गहराई में फंसकर डूब गए, ग्रामीणों ने निकाला बाहर।
- पिता धर्मपाल प्रजापति रोज़गार के लिए कन्याकुमारी में हैं, सूचना मिलते ही लौटने की तैयारी।
- पूरे चंदवा क्षेत्र में शोक का माहौल, ग्रामीणों ने आर्थिक सहायता की मांग की।
लातेहार: चंदवा प्रखंड के जमीरा पंचायत अंतर्गत रक्सी गांव में गुरुवार की दोपहर ऐसी दर्दनाक घटना घटी जिसने पूरे इलाके को शोक में डूबा दिया। दादी को डूबते देख तालाब में कूदे दो मासूम बच्चों ने अपनी जान गंवा दी। गांव की गलियों में मातम पसरा है और हर कोई इन नन्हे बच्चों की बहादुरी को याद कर रो रहा है।
खेत की सैर बनी मातम का कारण
जानकारी के अनुसार तेत्री देवी (उम्र 60 वर्ष, पति स्वर्गीय जोगेशन प्रजापति) अपने दो पोते–पोती सुशांत (5 वर्ष) और छोटी कुमारी (8 वर्ष) के साथ खेत की ओर गई थीं। खेत के पास स्थित बेंगा बांध तालाब में उन्होंने नहाने का निर्णय लिया। नहाते समय अचानक उनका पैर फिसल गया और वे गहरे पानी में डूबने लगीं।
दादी को डूबता देख दोनों बच्चे घबराए नहीं — बल्कि मानवता की मिसाल पेश करते हुए तालाब में कूद पड़े। दोनों ने पूरी ताकत से अपनी दादी को बचाने की कोशिश की, परंतु किस्मत को कुछ और मंजूर था। गहराई अधिक होने के कारण दोनों मासूम खुद फंस गए और डूब गए।
ग्रामीणों की कोशिश और दर्दनाक दृश्य
ग्रामीणों ने बच्चों और दादी की चीखें सुनकर दौड़ लगाई और सभी को बाहर निकाला। तीनों को तुरंत बाहर लाया गया, लेकिन तब तक सुशांत और छोटी की सांसें थम चुकी थीं। दादी तेत्री देवी को ग्रामीणों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, चंदवा पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें खतरे से बाहर बताया।
गांव में यह दृश्य इतना भावुक था कि हर किसी की आंखें नम हो गईं। परिजन लगातार रो रहे हैं। बताया गया कि बच्चों के पिता धर्मपाल प्रजापति फिलहाल कन्याकुमारी में मजदूरी कार्य कर रहे हैं। जैसे ही उन्हें घटना की जानकारी मिली, वे तत्काल गांव लौटने की तैयारी में हैं।
पूरे क्षेत्र में पसरा मातम
घटना की खबर फैलते ही चंदवा और आसपास के गांवों में शोक की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने कहा कि दोनों बच्चे हंसमुख और होनहार थे। उनके निधन ने गांव के हर व्यक्ति को तोड़ दिया है। लोग लगातार परिवार के घर पहुंचकर सांत्वना दे रहे हैं।
एक ग्रामीण ने कहा: “छोटी और सुशांत बहुत प्यारे बच्चे थे। उन्होंने अपनी दादी को बचाने की कोशिश में जो बलिदान दिया, वो भुलाया नहीं जा सकेगा।”
गांव के बुजुर्गों ने प्रशासन से मांग की है कि मृत बच्चों के परिवार को आर्थिक सहयोग और मुआवजा दिया जाए, ताकि परिवार को थोड़ी राहत मिल सके।
प्रशासनिक कार्रवाई और ग्रामीणों की अपील
सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी गांव पहुंचे। अधिकारियों ने घटना की जानकारी ली और परिजनों को ढांढस बंधाया। फिलहाल पुलिस ने पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार कर ली है और संबंधित विभाग को मुआवजे के लिए अनुशंसा की जा रही है।
न्यूज़ देखो: मासूम बहादुरी जिसने इंसानियत को झकझोरा
यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि मानवता की भावना और निःस्वार्थ प्रेम का अद्भुत उदाहरण है। छोटे-छोटे बच्चों ने अपने प्राण देकर यह सिखाया कि इंसानियत उम्र नहीं देखती। समाज को इन बच्चों की बहादुरी को सम्मान देना चाहिए और सरकार को इस परिवार की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
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मासूमों की कुर्बानी अमर रहे – संवेदनशील बनें, सावधान रहें
यह घटना हमें याद दिलाती है कि जीवन की अनमोलता को बचाने के लिए सतर्कता कितनी जरूरी है। बच्चों को जलाशयों और तालाबों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने की सीख देनी चाहिए।
सुशांत और छोटी की यह कुर्बानी हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी। आइए, उनके साहस को सलाम करें और इस खबर को साझा करें ताकि हर कोई अपने आसपास सुरक्षा और सतर्कता का संदेश फैला सके।




