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चतरा में नक्सलियों के दो गुटों में खूनी संघर्ष, वर्चस्व की लड़ाई में दो की मौत तीन गंभीर घायल

#चतरा #नक्सल_संघर्ष : आधी रात गैंदरा गांव में दो गुटों की मुठभेड़ से फैली दहशत।

चतरा जिले के कुंदा थाना क्षेत्र के गैंदरा गांव में रविवार आधी रात नक्सलियों के दो गुटों के बीच भीषण गोलीबारी हुई। वर्चस्व को लेकर हुए इस आपसी संघर्ष में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एनआईए आरोपी समेत तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। अचानक हुई फायरिंग से पूरे गांव में दहशत फैल गई और लोग घरों में दुबकने को मजबूर हो गए। घटना के बाद पुलिस ने इलाके में सघन सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है।

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  • कुंदा थाना क्षेत्र के गैंदरा गांव में आधी रात नक्सली गुटों में मुठभेड़।
  • वर्चस्व विवाद में दो लोगों की मौके पर मौत
  • एनआईए आरोपी श्याम भोक्ता समेत तीन गंभीर रूप से घायल
  • घायल सभी लोगों को रिम्स रांची किया गया रेफर।
  • मृतक धीरेन्द्र गंझू पर दर्ज थे 30 से अधिक आपराधिक मामले
  • घटना के बाद इलाके में पुलिस का सघन तलाशी अभियान जारी।

चतरा जिले में एक बार फिर नक्सली हिंसा ने लोगों की नींद उड़ा दी। कुंदा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गैंदरा गांव में रविवार देर रात नक्सलियों के दो गुटों के बीच अचानक भीषण गोलीबारी शुरू हो गई। रात करीब 12 से 1 बजे के बीच हुई इस घटना से पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई। गोलियों की तड़तड़ाहट से लोग सहम गए और अपने-अपने घरों में दुबक गए।

घर पर हमला करने पहुंचे थे हमलावर

पुलिस के अनुसार, लावालौंग निवासी धीरेन्द्र गंझू और चूरामन गंझू अपने समर्थकों के साथ गिरोह बनाकर गैंदरा गांव पहुंचे थे। उनका उद्देश्य गांव निवासी श्याम गंझू उर्फ श्याम भोक्ता के घर पर हमला करना था। बताया जा रहा है कि दोनों गुटों के बीच लंबे समय से वर्चस्व और आपसी रंजिश को लेकर विवाद चल रहा था। इसी दुश्मनी ने रविवार रात हिंसक रूप ले लिया।

जैसे ही हमलावरों ने श्याम गंझू के घर पर धावा बोला, दूसरे पक्ष ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। देखते ही देखते दोनों ओर से अंधाधुंध फायरिंग होने लगी। इस मुठभेड़ में हमलावर पक्ष के धीरेन्द्र गंझू और चूरामन गंझू को गोलियां लगीं, जिनकी मौके पर ही मौत हो गई।

एनआईए आरोपी समेत तीन गंभीर घायल

इस गोलीबारी में दूसरे पक्ष से श्याम गंझू उर्फ श्याम भोक्ता, उनकी पत्नी और उनके साले गोपाल गंझू (निवासी लावालौंग) गंभीर रूप से घायल हो गए। ग्रामीणों की मदद से सभी घायलों को पहले स्थानीय स्तर पर प्राथमिक उपचार दिया गया, लेकिन हालत नाजुक होने के कारण उन्हें बेहतर इलाज के लिए रिम्स, रांची रेफर कर दिया गया।

घायल श्याम भोक्ता एक कुख्यात नक्सली रह चुका है और वह एनआईए का आरोपी भी है। उसका नाम पहले भी कई गंभीर नक्सली और आपराधिक मामलों में सामने आ चुका है। घटना के बाद से पूरे इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है।

पूर्व नक्सलियों का आपसी विवाद बताया जा रहा कारण

चतरा के पुलिस अधीक्षक सुमित अग्रवाल ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि यह मामला पूर्व नक्सलियों के बीच आपसी विवाद का है। उन्होंने बताया कि मारे गए धीरेन्द्र गंझू का आपराधिक इतिहास काफी लंबा रहा है। उस पर विभिन्न थानों में 30 से अधिक संगीन आपराधिक मामले दर्ज थे।

एसपी सुमित अग्रवाल ने कहा: “यह घटना पूर्व नक्सलियों के आपसी वर्चस्व संघर्ष का परिणाम है। पुलिस सभी पहलुओं से मामले की जांच कर रही है।”

इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज

घटना की सूचना मिलते ही कुंदा थाना पुलिस और जिला पुलिस बल मौके पर पहुंचा। पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई है और संभावित ठिकानों पर सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इस खूनी संघर्ष में और कौन-कौन शामिल थे और क्या किसी अन्य समूह की भूमिका भी रही है।

ग्रामीणों से भी पूछताछ की जा रही है, हालांकि दहशत के कारण कई लोग खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। पुलिस का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल की तैनाती की गई है।

ग्रामीणों में भय का माहौल

आधी रात हुई इस घटना के बाद से गैंदरा गांव और आसपास के इलाकों में भय का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि अचानक हुई गोलीबारी से उन्हें लगा कि कोई बड़ा नक्सली हमला हो गया है। कई परिवार पूरी रात जागते रहे। लोगों ने प्रशासन से इलाके में स्थायी सुरक्षा व्यवस्था की मांग की है।

न्यूज़ देखो: नक्सलवाद की बदलती तस्वीर

न्यूज़ देखो: आपसी संघर्ष से उजागर नक्सल नेटवर्क की दरार

चतरा की यह घटना दिखाती है कि भले ही नक्सलवाद कमजोर पड़ा हो, लेकिन आपसी वर्चस्व की लड़ाई अभी भी हिंसक रूप ले रही है। पूर्व नक्सलियों के बीच संघर्ष से आम जनता की सुरक्षा पर सवाल खड़े होते हैं। यह भी जरूरी है कि ऐसे संवेदनशील इलाकों में खुफिया तंत्र और पुलिस निगरानी को और मजबूत किया जाए। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

शांति और सुरक्षा की मांग अब और जरूरी

नक्सली हिंसा का सबसे बड़ा खामियाजा आम ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है। डर के साए में जी रहे लोग चाहते हैं कि उनका गांव शांति की राह पर लौटे। प्रशासन, समाज और सुरक्षा एजेंसियों को मिलकर ऐसे हालात की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

आप इस खबर पर अपनी राय जरूर साझा करें। इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि सुरक्षा और शांति से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता बढ़े और जिम्मेदार संस्थाएं समय रहते कार्रवाई करें।

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Binod Kumar

लावालोंग, चतरा

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