#सासाराम #मासूमकीमौत : फोटोस्टेट के बहाने निकलीं बहनें — सोन नदी में कूदकर दी जान, गांव में गूंज रहा है बस एक सवाल — क्यों?
- नेका गांव की 13 वर्षीय श्वेता और 9 वर्षीय सुरुचि ने सोन नदी में कूदकर की आत्महत्या
- बच्चियों ने नदी में छलांग लगाने से पहले मौसी को किया था कॉल
- पुलिस ने मोबाइल देने वाले व्यक्ति से शुरू की पूछताछ
- 18 घंटे बाद तक घटनास्थल पर नहीं पहुंची एसडीआरएफ, नाराज परिजन
- गांव में पसरा मातम, बच्चियों के आत्मघाती कदम पर उठ रहे कई सवाल
फोटोस्टेट के बहाने घर से निकलीं, इंद्रपुरी बराज पर हुआ हादसा
सासाराम (तिलौथू): बिहार के रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड अंतर्गत नेका ग्राम में सोमवार को 13 वर्षीय श्वेता कुमारी और 9 वर्षीय सुरुचि की सोन नदी में डूबकर मौत की घटना ने पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो दिया है। दोनों सगी बहनें फोटोस्टेट कराने के बहाने घर से निकलीं, लेकिन पहुंच गईं इंद्रपुरी बराज, जहां उन्होंने तेज बहाव वाली सोन नदी में छलांग लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
मौसी को किया था आखिरी फोन कॉल, पुलिस जुटी जांच में
बच्चियों के घर से लापता होने के बाद परिजन जब उन्हें खोज नहीं पाए, तो शाम को एक चौंकाने वाला फोन कॉल आया। मौसी ने बताया कि दोनों ने नदी किनारे से कॉल कर बातचीत की थी। उन्होंने अपनी चप्पल और दुपट्टा उतारकर एक व्यक्ति से मोबाइल लेकर कॉल किया और फिर नदी में कूद गईं।
मौसी के मुताबिक: “उन्होंने कहा कि वह सोन नदी देखने आई हैं, फिर अचानक कॉल कट गया।”
पुलिस ने मोबाइल देने वाले युवक से पूछताछ शुरू कर दी है और हर कोण से जांच की जा रही है कि दो मासूम बच्चियों ने ऐसा कठोर कदम क्यों उठाया।
18 घंटे बाद भी एसडीआरएफ नहीं पहुंची, प्रशासन पर उठे सवाल
घटना के 18 घंटे बीत जाने के बाद भी एसडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर नहीं पहुंच सकी, जिससे परिजनों और ग्रामीणों में जबरदस्त नाराजगी है। लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण समय रहते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी, जिससे बच्चियों को बचाया जा सकता था।
सोमवारी की तैयारी में थीं मां, पिता थे मवेशी चराने
परिजनों के अनुसार, बच्चियों की मां सोमवारी पूजा की तैयारी में तिलौथू गई थीं और पिता मुन्ना यादव मवेशी चराने बाहर निकले हुए थे। जब घर लौटे तो बेटियां गायब थीं। गहन खोजबीन के बाद ही घटना का पता चला।
गांव में पसरा मातम, उठ रहे हैं कई सवाल
नेका गांव इस हृदयविदारक हादसे से स्तब्ध है। हर किसी के मन में यही सवाल है — दो मासूम बच्चियों को आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने पर किसने मजबूर किया? क्या यह पारिवारिक दबाव, कोई डर, या फिर बचपन की नासमझी थी? घटना ने कई सवालों को जन्म दे दिया है, जिनके जवाब प्रशासन और समाज को खोजने होंगे।
न्यूज़ देखो: अनकही पीड़ा, अनसुनी आवाज़
न्यूज़ देखो इस दर्दनाक त्रासदी को केवल एक घटना नहीं मानता, बल्कि यह समाज और तंत्र दोनों की असंवेदनशीलता को उजागर करता है। दो मासूम बच्चियों की आत्महत्या हम सभी के लिए जागने की चेतावनी है — क्या हम बच्चों की भावनाओं को समझ पा रहे हैं? क्या हमारे स्कूल, समाज और परिवार उनकी मानसिक स्थिति पर ध्यान दे रहे हैं?
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
मासूम सवालों को अनसुना न करें
हर बच्चा अपने मन में कई सवाल और भावनाएं लिए घूमता है। आइए, हम उन्हें सुनना शुरू करें, समझने की कोशिश करें और सहानुभूतिपूर्वक संवाद करें। इस लेख को शेयर करें, टिप्पणी करें, और दुख की इस घड़ी में नेका गांव के साथ खड़े रहें। एक साझा प्रयास से ही हम ऐसी घटनाओं को दोहराने से रोक सकते हैं।