
#झारखंड #सरपंच_संवाद : बोकारो की कंचन देवी और गिरिडीह की रागिनी सिन्हा ने राष्ट्रीय मंच पर रखी ग्रामीण नेतृत्व की मजबूत उपस्थिति
- सरपंच संवाद कार्यक्रम में झारखंड से दो महिला मुखिया का चयन।
- बोकारो से कंचन देवी और गिरिडीह से रागिनी सिन्हा दिल्ली में प्रतिनिधित्व कर रहीं।
- ग्रामीण विकास, पंचायत सशक्तिकरण और जमीनी अनुभव साझा करने का मिला अवसर।
- दिल्ली प्रवास के दौरान नीति संवाद और नेतृत्व विकास पर होगी चर्चा।
- चयन से राज्य के पंचायती राज व्यवस्था को मिला राष्ट्रीय सम्मान।
झारखंड के लिए यह गर्व और उत्साह का क्षण है जब राज्य की दो महिला मुखिया—बोकारो की कंचन देवी और गिरिडीह की रागिनी सिन्हा—का चयन प्रतिष्ठित सरपंच संवाद कार्यक्रम के लिए किया गया है। दोनों प्रतिनिधि इस समय दिल्ली में हैं, जहां वे देशभर से आए सरपंचों और मुखियाओं के साथ संवाद, अनुभव साझा करने और ग्रामीण विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर रही हैं। यह उपलब्धि न केवल इन दोनों जनप्रतिनिधियों की व्यक्तिगत मेहनत का परिणाम है, बल्कि झारखंड के गांवों की आवाज़ को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का सशक्त उदाहरण भी है।
सरपंच संवाद कार्यक्रम का उद्देश्य
सरपंच संवाद कार्यक्रम का उद्देश्य देशभर के चुने हुए पंचायत प्रतिनिधियों को एक साझा मंच प्रदान करना है, जहां वे ग्रामीण विकास, स्थानीय शासन, महिला नेतृत्व, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने अनुभव और सुझाव साझा कर सकें। इस मंच के माध्यम से जमीनी स्तर पर काम कर रहे जनप्रतिनिधियों की बात सीधे नीति निर्माण की प्रक्रिया तक पहुंचती है।
झारखंड जैसे आदिवासी और ग्रामीण बहुल राज्य के लिए यह मंच विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यहां की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियां देश के अन्य हिस्सों से भिन्न हैं। ऐसे में कंचन देवी और रागिनी सिन्हा का चयन राज्य के अनुभवों को राष्ट्रीय विमर्श में शामिल करने का अवसर प्रदान करता है।
महिला नेतृत्व की मजबूत मिसाल
बोकारो की कंचन देवी और गिरिडीह की रागिनी सिन्हा का चयन यह दर्शाता है कि झारखंड की महिलाएं आज पंचायत स्तर पर नेतृत्व की भूमिका को मजबूती से निभा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सामने सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक चुनौतियां अधिक होती हैं, इसके बावजूद इन दोनों मुखियाओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाकर पहचान बनाई है।
इनका दिल्ली पहुंचना न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह राज्य की उन हजारों महिला जनप्रतिनिधियों के लिए प्रेरणा है, जो गांव की राजनीति और विकास कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
दिल्ली में अनुभव और विचारों का आदान-प्रदान
दिल्ली में आयोजित सरपंच संवाद के दौरान दोनों मुखिया अपने गांवों के विकास अनुभव, योजनाओं के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियां, और स्थानीय जरूरतों को राष्ट्रीय स्तर के नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों के सामने रख रही हैं। इससे नीतियों को जमीनी हकीकत से जोड़ने में मदद मिलेगी।
कार्यक्रम के दौरान अन्य राज्यों के सरपंचों के साथ संवाद से नए विचार, नवाचार और सफल मॉडल सीखने का अवसर भी मिलेगा, जिन्हें भविष्य में झारखंड के गांवों में लागू किया जा सकता है।
झारखंड के गांवों के लिए नई दिशा
सरपंच संवाद में भागीदारी से झारखंड के गांवों के विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। चाहे वह जल संरक्षण, महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाना, स्थानीय रोजगार के अवसर, या बुनियादी सुविधाओं का विस्तार—इन सभी विषयों पर राष्ट्रीय अनुभवों से सीखकर स्थानीय स्तर पर बेहतर कार्य किया जा सकता है।
कंचन देवी और रागिनी सिन्हा की यह भूमिका आने वाले समय में पंचायतों के कार्यों को अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुख बनाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
स्थानीय स्तर पर उत्साह का माहौल
दोनों महिला मुखियाओं के चयन की खबर से उनके-अपने क्षेत्रों में खुशी और गर्व का माहौल है। ग्रामीणों का मानना है कि उनके प्रतिनिधि का राष्ट्रीय मंच पर जाना पूरे गांव के सम्मान की बात है। लोगों को उम्मीद है कि दिल्ली से लौटने के बाद वे नई योजनाओं, बेहतर प्रशासनिक समझ और व्यापक दृष्टिकोण के साथ गांव के विकास को आगे बढ़ाएंगी।

न्यूज़ देखो: पंचायत से संसद तक संवाद की मजबूत कड़ी
सरपंच संवाद जैसे कार्यक्रम लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करते हैं, क्योंकि इससे गांवों की आवाज़ सीधे राष्ट्रीय मंच तक पहुंचती है। झारखंड की दो महिला मुखियाओं का चयन यह साबित करता है कि राज्य का पंचायत नेतृत्व अब केवल स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विमर्श का भी हिस्सा बन रहा है। यह पहल भविष्य में ग्रामीण विकास की नीतियों को और व्यावहारिक बनाने में मददगार होगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
गांव से दिल्ली तक नेतृत्व की उड़ान
यह उपलब्धि हर उस युवा और महिला के लिए प्रेरणा है जो गांव के विकास में योगदान देना चाहता है।
अपने प्रतिनिधियों का समर्थन करें, उनके अनुभवों से सीखें और गांव की प्रगति में भागीदार बनें।
अपनी राय साझा करें, खबर को आगे बढ़ाएं और ग्रामीण नेतृत्व की इस सफलता को पूरे समाज तक पहुंचाएं।





