
#गिरिडीह #राष्ट्रीयएकात्मतायात्रा : अभाविप प्रतिनिधि उज्जवल तिवारी को असम व मणिपुर के वरिष्ठ नेताओं ने अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन यात्रा में सम्मानित किया—राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक समन्वय का मजबूत संदेश।
- उज्जवल तिवारी, झारखंड की ओर से ABVP प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा 2025 में शामिल।।
- असम विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. नुमान मोमिन और मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. वीरेन सिंह ने किया सम्मान।।
- यात्रा में देशभर से कुल 70 प्रतिनिधि विविध सांस्कृतिक अनुभव साझा कर रहे हैं।।
- 1966 से जारी यह यात्रा पूर्वोत्तर और सीमावर्ती क्षेत्रों में भावनात्मक व सामाजिक एकता का सेतु।।
- उज्जवल तिवारी को असम की पारंपरिक टोपी भेंट—मिलन और अपनत्व का प्रतीक।।
अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन सह राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा 2025 में झारखंड का प्रतिनिधित्व कर रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उज्जवल तिवारी को असम और मणिपुर के कई शीर्ष नेताओं ने सम्मानित किया, जिससे राज्य का गौरव बढ़ा है। देशभर से आए 70 युवा प्रतिनिधियों के साथ यह यात्रा राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक पहचान, और विविधता में एकता के संदेश को मजबूती प्रदान कर रही है। 1966 में शुरू हुई यह ऐतिहासिक पहल पूर्वोत्तर और दूरस्थ क्षेत्रों में भावनात्मक सेतु निर्माण का महत्वपूर्ण माध्यम बन चुकी है। यात्रा के दौरान युवाओं को विभिन्न राज्यों की जीवनशैली, राजनीतिक समझ और सामाजिक संरचना को करीब से जानने का अवसर मिलता है। उज्जवल तिवारी का कहना है कि यह अनुभव युवाओं को राष्ट्र सेवा और एक बेहतर नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करता है।
झारखंड के प्रतिनिधि का सम्मान और संदेश
गिरिडीह के उज्जवल तिवारी को असम विधानसभा के उपाध्यक्ष डॉ. नुमान मोमिन और मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. वीरेन सिंह ने विशेष सम्मान प्रदान किया। यह सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि झारखंड के युवा प्रतिनिधित्व का भी सार्थक प्रतीक है। उज्जवल को असम की पारंपरिक टोपी भेंट की गई, जो भाईचारे, परंपरा और सांस्कृतिक सम्मान का प्रतीक माना जाता है।
यात्रा में 70 युवा प्रतिनिधि: विविधता का जीवंत चित्र
राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा में देश के अलग-अलग राज्यों से कुल 70 युवा भाग ले रहे हैं। ये प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों की सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और सामाजिक संरचनाओं को साझा करते हुए राष्ट्रीय एकता की मजबूत नींव तैयार कर रहे हैं। यात्रा के दौरान समूह विभिन्न राज्यों के ऐतिहासिक स्थलों, सामाजिक संस्थानों और सांस्कृतिक केंद्रों का दौरा करता है, जिससे युवाओं में देश की विविधता के प्रति सम्मान बढ़ता है।
1966 से जारी है राष्ट्रीय एकता का सफर
ABVP द्वारा आयोजित यह यात्रा 1966 से लगातार युवाओं को जोड़ने का कार्य कर रही है। इसका मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर और सीमावर्ती क्षेत्रों को भारत के अन्य हिस्सों से भावनात्मक रूप से जोड़कर एकता की भावना को मजबूत करना है। वर्षों से यह यात्रा पूर्वोत्तर के युवाओं और देशभर के छात्रों के बीच संवाद, विश्वास और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा दे रही है।
यात्रा का उद्देश्य: भावनात्मक और सामाजिक एकता
यह यात्रा केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान भर नहीं है, बल्कि एक राष्ट्र निर्माण का अभ्यास है। युवाओं को विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों को समझने का अवसर मिलता है, जिससे वे परिपक्व और संवेदनशील नागरिक के रूप में उभरते हैं। विभिन्न राज्यों के नेतृत्व, जनप्रतिनिधियों और गणमान्य व्यक्तियों से मिलकर युवा राष्ट्रीय एकता के मूल्यों को गहराई से समझते हैं।
उज्जवल तिवारी की टिप्पणी: अनुभव बनाता है बेहतर नागरिक
उज्जवल तिवारी ने कहा कि यह यात्रा युवाओं को देश की सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक वास्तविकताओं को समझने का अवसर देती है। उन्होंने बताया कि अलग-अलग राज्यों में जाकर मिलने वाले अनुभव जीवनदृष्टि को व्यापक बनाते हैं और राष्ट्र सेवा का गहरा भाव जगाते हैं।
उज्जवल तिवारी ने कहा: “इस यात्रा के माध्यम से युवा विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक अनुभवों को समझते हैं और एक बेहतर नागरिक के रूप में राष्ट्र सेवा हेतु प्रेरित होते हैं।”
कार्यक्रम का महत्व: पूर्वोत्तर से जुड़ाव का मजबूत माध्यम
‘अंतर-राज्य छात्र जीवन दर्शन’ कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों और भारत के अन्य हिस्सों के युवाओं के बीच संवाद और समझ को बढ़ाना है। यह यात्रा उन क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने का एक सफल प्रयास है, जो भौगोलिक दूरी के कारण लंबे समय तक उपेक्षित रहे। इस यात्रा में कई राज्यों के प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति भी शामिल होकर युवाओं को संविधान, राष्ट्रीय आंदोलन और एकता के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
न्यूज़ देखो: युवा शक्ति और राष्ट्रीय एकता का संगम
यह यात्रा बताती है कि भारत की एकता केवल योजनाओं से नहीं बल्कि युवाओं की जागरूकता और भागीदारी से मजबूत होती है। उज्जवल तिवारी जैसे युवा प्रतिनिधि इस बात का प्रमाण हैं कि झारखंड सहित पूरे देश के युवा सांस्कृतिक विविधता को सम्मान देते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं। प्रशासन और संगठनों को चाहिए कि ऐसे कार्यक्रमों को और अधिक संसाधन और अवसर प्रदान करें ताकि राष्ट्रीय एकता की भावना और गहरी हो सके।
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युवा बदलाव लाते हैं, एकता उनसे ही बनती है
आज के युवा देश की सांस्कृतिक विविधता को समझकर समाज में नई ऊर्जा और सकारात्मकता ला सकते हैं। राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा जैसा मंच न केवल युवाओं को जोड़ता है, बल्कि उन्हें नेतृत्व, सहिष्णुता और सामाजिक समझ की दिशा में विकसित करता है। अपने समय, प्रयास और जागरूकता से युवा राष्ट्रीय एकता की असली शक्ति बन सकते हैं।
अब समय है कि हम सब इस प्रेरणा को आगे बढ़ाएं, अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और ऐसे कार्यक्रमों की जानकारी अधिक से अधिक युवाओं तक पहुंचाएं ताकि एक मजबूत और एकजुट भारत का निर्माण हो सके।





