Garhwa

देश में अघोषित आपातकाल? लगातार हो रहे इस्तीफों से लोकतंत्र पर खतरा: धीरज दुबे ने केंद्र सरकार पर उठाए गंभीर सवाल

Join News देखो WhatsApp Channel
#गढ़वा #राजनीति : लगातार इस्तीफों से उठे सवाल — लोकतंत्र की जड़ों पर संकट का दावा
  • झामुमो नेता धीरज दुबे ने कहा देश में अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति।
  • संवैधानिक संस्थानों के प्रमुखों के इस्तीफे लोकतंत्र के लिए खतरे का संकेत।
  • केंद्र की मोदी सरकार पर लगाया दबाव बनाने का आरोप
  • रघुराम राजन से लेकर उपराष्ट्रपति तक कई हस्तियों ने अचानक छोड़ा पद।
  • विपक्षी दलों से लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान

लगातार इस्तीफों से गहरा रहा संकट

गढ़वा में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के मीडिया पैनलिस्ट सह केंद्रीय सदस्य धीरज दुबे ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार में लोकतंत्र की आत्मा को कुचला जा रहा है और देश एक अघोषित आपातकाल की ओर बढ़ रहा है।

स्वतंत्र संस्थाओं की गिरती साख

धीरज दुबे ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता से होती है, लेकिन बीते वर्षों में चुनाव आयोग, न्यायपालिका, सूचना आयोग, विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों से जुड़ी प्रमुख हस्तियों द्वारा दिए गए अचानक इस्तीफे चिंताजनक संकेत हैं।

धीरज दुबे ने कहा: “सरकार के दबाव में संस्थान या तो झुक रहे हैं या पद छोड़ रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए घातक स्थिति है।”

इस्तीफों की लंबी सूची

उन्होंने बताया कि मोदी सरकार आने के बाद से कई बड़े नामों ने अचानक इस्तीफा दिया, जिनमें शामिल हैं:

  • 2016: आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन
  • 2017: नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया
  • 2018: आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम
  • 2019: जीडीपी विवाद पर एनएससी के स्वतंत्र सदस्य पीसी मोहनजेभी मीनाक्षी
  • 2021: पीएमओ के मुख्य सलाहकार प्रदीप कुमार सिन्हा
  • 2025: उपराष्ट्रपति का अचानक इस्तीफा, जिसने हलचल बढ़ा दी।

असहमति की आवाज़ दबाई जा रही

धीरज दुबे ने कहा कि आज जो भी सवाल उठाता है, उसे या तो चुप करा दिया जाता है या बदनाम कर किनारे कर दिया जाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जनता सतर्क नहीं हुई, तो आने वाले समय में लोकतंत्र सिर्फ किताबों में रह जाएगा।

विपक्ष से एकजुटता की अपील

उन्होंने विपक्षी दलों से आग्रह किया कि वे व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर देशहित में एकजुट होकर लोकतंत्र की रक्षा करें

न्यूज़ देखो: लोकतंत्र पर मंडराते साए

यह बयान एक गंभीर बहस को जन्म देता है—क्या संस्थाओं की स्वतंत्रता खतरे में है? इस्तीफों की यह श्रृंखला केवल संयोग है या लोकतंत्र की जड़ों पर संकट का संकेत? जनता को जागरूक रहना होगा, क्योंकि हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आपकी राय क्या है?

क्या धीरज दुबे की यह आशंका सही है या यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है? अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि लोकतंत्र की रक्षा की आवाज़ बुलंद हो सके

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

Radhika Netralay Garhwa
Engineer & Doctor Academy
IMG-20250925-WA0154
1000264265
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20250610-WA0011
20250923_002035
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें

Related News

Back to top button
error: