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मुंबई में गढ़वा के सोनपुरवा निवासी मजदूर की असमय मौत, क्षेत्र में पसरा मातम

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#गढ़वा #मजदूरकीमौत : मुंबई में दम तोड़ गए गढ़वा के महेंद्र चौधरी — 17 वर्षों से एक ही कंपनी में कर रहे थे काम, गांव में छाया शोक
  • महेंद्र चौधरी की गुरुवार रात मुंबई में ईएम अस्पताल में हुई मौत
  • 17 वर्षों से बिल मोरिया कंपनी में सुपरवाइजर पद पर कार्यरत थे
  • सांस लेने में तकलीफ के बाद अस्पताल में कराया गया था भर्ती
  • शव प्लेन से वाराणसी, फिर एंबुलेंस से शनिवार सुबह गांव लाया गया
  • सैकड़ों लोगों ने दी अंतिम विदाई, पीतांबरी वस्त्र चढ़ाकर किया अंतिम संस्कार

मुंबई में काम करते हुए अचानक बिगड़ी तबीयत

गढ़वा जिले के मंझिआंव थाना क्षेत्र अंतर्गत सोनपुरवा गांव निवासी महेंद्र चौधरी की गुरुवार देर रात मुंबई के परेल स्थित ईएम अस्पताल में मृत्यु हो गई। 45 वर्षीय महेंद्र चौधरी स्वर्गीय सूर्यदेव चौधरी के पुत्र थे। वे लंबे समय से मुंबई की बिल मोरिया कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत थे और करीब 17 वर्षों से इसी कंपनी में नौकरी कर रहे थे।

परिजनों के अनुसार, महेंद्र चौधरी पिछले एक सप्ताह से खुद को अस्वस्थ महसूस कर रहे थे और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। गुरुवार रात 10 बजे उनकी हालत अचानक बिगड़ी, जिसके बाद कंपनी के कर्मचारियों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन इलाज के दौरान ही रात करीब 11:30 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया।

गांव लौटने की थी हाल ही में शुरुआत

महेंद्र चौधरी मई माह में अपनी बड़ी बेटी की शादी के लिए कुछ समय के लिए गांव आए थे और डेढ़ माह पहले ही मुंबई लौटे थे। उनका यूं अचानक चला जाना पूरे परिवार के लिए अप्रत्याशित और दुखद है।

शव गांव पहुंचते ही मचा कोहराम

मौत की खबर सुनते ही मुंबई में कार्यरत सोनपुरवा गांव के सैकड़ों मजदूर अस्पताल पहुंच गए, जिनमें प्रकाश चौधरी, शिवचंद चौधरी, उदय चौधरी, मनोज चौधरी, विजय शर्मा, सरफराज खान, अवधेश उरांव जैसे साथी शामिल थे। पोस्टमार्टम के बाद शुक्रवार को शव प्लेन से वाराणसी भेजा गया, जहां से एंबुलेंस के माध्यम से शनिवार सुबह 8 बजे सोनपुरवा गांव लाया गया।

शव पहुंचते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। पत्नी, बेटा-बेटियां और अन्य परिजन बिलख-बिलख कर रो रहे हैं। महेंद्र चौधरी अपने पीछे पत्नी, एक पुत्र और दो पुत्रियों को छोड़ गए हैं।

श्रद्धांजलि में उमड़े ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता

स्थानीय पूजा समिति की ओर से उनकी अर्थी पर पीतांबरी वस्त्र चढ़ाकर उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी गई।
अंतिम संस्कार में समाजसेवी योगेंद्र प्रजापति, पूर्व बीडीसी डॉ. चंदेश्वर चौधरी, शिक्षक विनोद चौधरी सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।
ग्रामीणों ने महेंद्र चौधरी को ईमानदार, मेहनती और सामाजिक रूप से सक्रिय व्यक्ति बताया।

समाजसेवी योगेंद्र प्रजापति ने कहा: “महेंद्र चौधरी जैसे श्रमिक समाज की रीढ़ होते हैं। उनका जाना हम सबके लिए अपूरणीय क्षति है।”

न्यूज़ देखो: प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और सम्मान की जरूरत

महेंद्र चौधरी जैसे लाखों प्रवासी मजदूर दूर शहरों में काम करते हैं, लेकिन सुरक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाओं से वंचित रहते हैं।
न्यूज़ देखो का मानना है कि प्रवासी श्रमिकों की नियमित स्वास्थ्य जांच, बीमा और आपातकालीन सहायता योजना सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए।
उनकी मेहनत देश की अर्थव्यवस्था का आधार है — इन्हें सिर्फ खोकर नहीं, जीते जी पहचानें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

हर मजदूर की जिंदगी कीमती है

समाज का हर तबका एक-दूसरे से जुड़ा है। जो लोग शहरों में रहकर अपने गांवों के लिए आजीविका जुटाते हैं, उनकी सुरक्षा, सम्मान और पहचान हमारी साझा जिम्मेदारी है।
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