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शेर-ए-झारखंड शिवा महतो की आदमकद प्रतिमा का अनावरण: झारखंड महाविद्यालय डुमरी में हुआ ऐतिहासिक क्षण

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#डुमरी #शिवा_महतो : संघर्ष और अस्मिता के प्रतीक का हुआ सम्मान
  • डुमरी झारखंड महाविद्यालय में स्व. शिवा महतो जी की आदमकद प्रतिमा का अनावरण।
  • कार्यक्रम में सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, विधायक नागेंद्र महतो और विधायक जयराम कुमार महतो रहे शामिल।
  • शिवा महतो को माना जाता है झारखंड आंदोलन का सच्चा लड़ाकू और जनता की आवाज़
  • 1985 में महाविद्यालय की स्थापना कर उच्च शिक्षा का मार्ग खोला।
  • झारखंडी संस्कृति और नटुवा नृत्य के अद्भुत ध्वजवाहक रहे।

डुमरी का झारखंड महाविद्यालय आज ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब झारखंड आंदोलन के प्रखर योद्धा और पूर्व विधायक स्व. शिवा महतो जी की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि गिरिडीह लोकसभा सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, विशिष्ट अतिथि बगोदर विधायक नागेंद्र महतो और डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो मौजूद रहे।

संघर्ष और अस्मिता का प्रतीक शिवा महतो

स्व. शिवा महतो जी का जीवन संघर्ष और समर्पण की मिसाल था। वे शोषण और अन्याय के खिलाफ हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे। हाथ में लाठी और फरसी लेकर जनता की आवाज़ बुलंद करना उनकी पहचान बन गई थी। झारखंडी सांस्कृतिक धरोहर नटुवा नृत्य में उनकी अद्भुत महारत थी—थाप पड़ते ही उनके कदम स्वयं थिरक उठते थे।

झारखंड महाविद्यालय की नींव

सन् 1985 में जब उन्होंने इस महाविद्यालय की नींव रखी, तो आसपास कई किलोमीटर तक कोई भी उच्च शिक्षा संस्थान नहीं था। बाहरी लोग तंज कसते थे—
“जिस राज्य का निर्माण ही नहीं हुआ, उसके नाम से कॉलेज कैसे हो सकता है?”

लेकिन शिवा बाबू ने अपनी दूरदृष्टि और आत्मविश्वास से जवाब दिया—

“खेता में बिहिनिया छिटे दे ने बाबू! पनिया मारते तो धना भेय बे करते।” 🌱

आज उनका बोया वही बीज हरे-भरे पेड़ का रूप ले चुका है और हजारों छात्रों का भविष्य गढ़ रहा है।

झारखंडी अस्मिता का जीवंत प्रतीक

यह महाविद्यालय सिर्फ एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि झारखंड की अस्मिता, संघर्ष और आत्मगौरव का प्रतीक है। शिवा महतो जी ने अपने साहस और दूरदृष्टि से न केवल शिक्षा की ज्योत जलायी, बल्कि झारखंड की पहचान को भी सशक्त आधार दिया।

न्यूज़ देखो: झारखंडी पहचान को नई ऊर्जा

शिवा महतो की प्रतिमा का अनावरण केवल सम्मान का क्षण नहीं, बल्कि यह झारखंडी पहचान और संघर्ष की नई ऊर्जा का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि संघर्ष और आत्मविश्वास से ही समाज अपने भविष्य का निर्माण करता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

विरासत से प्रेरणा की राह

आज समय है कि हम सब शिवा महतो जी के त्याग, संघर्ष और दूरदृष्टि से प्रेरणा लें। उनके आदर्शों को आत्मसात करें और झारखंड की अस्मिता को मजबूत बनाने में अपनी भूमिका निभाएँ। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि अधिक लोग इस प्रेरक विरासत से जुड़ सकें।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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