
#पलामू #मज़ार-ए-मुबारक : जायरीन ने फूल, इत्र और चादरपोशी कर मांगी अमन व सलामती की दुआ
- पलामू जिले के पांडू प्रखंड के खैरा पहाड़ की चोटी पर अदा हुआ उर्स।
- दूरदराज़ से आए हज़ारों जायरीन ने पेश की अकीदत, की फूल, इत्र और चादरपोशी।
- क़ुरआन पाक और नात पाक से शुरू हुई जश्ने ईद मिलादुन्नबी की महफ़िल।
- उलमा, हाफिज और नातख्वानों ने पेश कीं नाते और मनक़बत।
- आख़िर में की गई अमन, मोहब्बत और भाईचारे की दुआ।
- अलख निरंजन शाह दाता का उर्स साल में दो मरतबा मनाया जाता है।
पलामू जिले के पांडू प्रखंड स्थित सबसे ऊंचे खैरा पहाड़ की बुलंद चोटी पर अलख निरंजन शाह दाता रहमतुल्लाह अलैहे के मज़ार-ए-मुबारक पर रविवार को उर्स की महफ़िल सजाई गई। इस मौके पर दूर-दराज़ से हज़ारों जायरीन पहुंचे और अपनी अकीदत पेश की। फूल, इत्र और चादरपोशी कर फातेहा पढ़ा गया और सलाम पेश किया गया।
जश्ने ईद मिलादुन्नबी की रौनक
उर्स के बाद जश्ने ईद मिलादुन्नबी की महफ़िल का आग़ाज़ हुआ। इसकी तिलावत हाफिज व कारी नेजाम रज़ा और अहमद रज़ा ने कुरआन पाक और नात पाक से की। इसके बाद उलमा और नातख्वानों ने एक से बढ़कर एक नाते और मनक़बत पेश कीं।
एक उलमा साहब ने कहा: “इस उर्स का मक़सद सिर्फ अकीदत नहीं, बल्कि मोहब्बत और भाईचारे का पैग़ाम आम करना है।”
अमन और भाईचारे की दुआ
महफ़िल के आखिर में नबी-ए-पाक ﷺ की बारगाह में सलाम पेश किया गया और पूरे मुल्क में अमन, मोहब्बत और भाईचारे की दुआ मांगी गई। जायरीन इस रूहानी माहौल में सरशार होकर अपनी मन्नतें मांगते नज़र आए।
साल में दो मरतबा उर्स का एहतेमाम
अलख निरंजन शाह दाता रहमतुल्लाह अलैहे का उर्स साल में दो मरतबा आयोजित किया जाता है—रबिअउवल माह की 7वीं तारीख और शाबान माह की 25वीं तारीख को। इस मौके पर हर बार हज़ारों जायरीन यहां पहुंचते हैं।
खैरा पहाड़ का सफ़र
पलामू का खैरा पहाड़ तक़रीबन 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जायरीन पगडंडी रास्तों से सफ़र तय करके पहाड़ की चोटी तक पहुंचते हैं। यह मज़ार-ए-मुबारक सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि हिन्दू अकीदतमंद भी बड़ी तादाद में यहां आते हैं और अपनी मन्नत पेश करते हैं।

न्यूज़ देखो: मोहब्बत और अमन का पैग़ाम
खैरा पहाड़ का यह उर्स सिर्फ एक धार्मिक तक़रीब नहीं, बल्कि समाज में मोहब्बत, भाईचारा और अमन का अलमी पैग़ाम है।
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