Garhwa

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ गरमाया माहौल: गढ़वा में विरोध मार्च, सौंपा गया ज्ञापन

Join News देखो WhatsApp Channel

#वक्फअधिनियमविरोध #गढ़वा #MinorityRights | अल्पसंख्यक समुदाय ने जताया असंतोष

  • गढ़वा में अल्पसंख्यक अधिकार मंच ने किया विरोध मार्च का आयोजन
  • अध्यक्ष शौकत कुरैशी के नेतृत्व में सौंपा गया ज्ञापन
  • वक्फ अधिनियम 2025 को बताया तानाशाही और असंवैधानिक
  • मस्जिदों-मदरसों सहित धार्मिक संपत्तियों पर मंडरा रहा खतरा
  • अनुच्छेद 14, 25, 26, 29 के उल्लंघन का आरोप

कर्बला मैदान से शुरू हुआ विरोध, टाउन हॉल तक पहुंचा जनज्वार

गढ़वा, 13 अप्रैल 2025: वक्फ अधिनियम 2025 को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय में विरोध तेज हो गया है। रविवार को अल्पसंख्यक अधिकार मंच के बैनर तले गढ़वा में विशाल विरोध मार्च निकाला गया, जिसका नेतृत्व मंच के अध्यक्ष शौकत कुरैशी ने किया। मार्च कर्बला मैदान से शुरू होकर मझिआंव, मुख्य पथ और रंका मोड़ होते हुए टाउन हॉल मैदान तक पहुंचा।

मार्च के बाद मंच के प्रतिनिधिमंडल ने गढ़वा समाहरणालय पहुंचकर उपायुक्त को मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।

“संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है अधिनियम 2025”

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 में बिना किसी जन प्रतिनिधि, मुतवल्ली या मुस्लिम विद्वानों से परामर्श किए, एकतरफा ढंग से 2025 का संशोधित अधिनियम लागू किया गया।

“यह अधिनियम धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति अधिकारों का हनन है। वक्फ की पवित्र संपत्तियों पर यह सीधा हमला है,”

  • शौकत कुरैशी, अध्यक्ष, अल्पसंख्यक अधिकार मंच

धार्मिक संपत्तियों पर नियंत्रण की आशंका

वक्ताओं ने कहा कि देशभर में मौजूद मस्जिद, मदरसे, मजार, ईदगाह, कब्रिस्तान, मकबरे, मुसाफिरखाने व खेतों आदि वक्फ संपत्तियों पर समुदाय ने वर्षों से धार्मिक कार्य किए हैं। लेकिन इस अधिनियम के तहत:

  • वक्फ ट्रिब्यूनल का अधिकार खत्म कर दिया गया है।
  • संपत्ति का निर्धारण जिला प्रशासन के अधीन कर दिया गया है।
  • वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान लाया गया है।

प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया कि यदि हिंदू, सिख, जैन या ईसाई धार्मिक बोर्ड में केवल उनके अनुयायी ही सदस्य हो सकते हैं, तो वक्फ बोर्ड में हस्तक्षेप क्यों?

“यह कानून धार्मिक असमानता और हस्तक्षेप को बढ़ावा देगा”

ज्ञापन में यह भी कहा गया कि वक्फ न्यासी बनने के लिए कम-से-कम 5 वर्षों से मुस्लिम होने की अनिवार्यता, अन्य धर्मों के प्रावधानों के विपरीत है और धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देती है।

“सरकार यदि अतिक्रमण हटाना चाहती है तो पुराने कानून में सुधार करे, नया अधिनियम बनाना अनुचित है,”

  • डॉ. एम एन खान, वक्ता

मांग: अधिनियम वापस लिया जाए या किया जाए संशोधन

अल्पसंख्यक मंच ने केंद्र सरकार से वक्फ अधिनियम 2025 को तुरंत वापस लेने या उसमें मौलिक सुधार की मांग की है ताकि धार्मिक स्वतंत्रता और समुदाय की आस्था की रक्षा हो सके।

विरोध में शामिल प्रमुख चेहरे

इस आयोजन में शौकत कुरैशी, डॉ. यासीन अंसारी, डॉ. एम एन खान, सुषमा मेहता, ई. ओबैदुल्लाह हक अंसारी, जमीरूद्दीन अंसारी, शहंशाह आलम, डॉ. मकबूल आलम, इमाम हसन, तनवीर खान, शंभू राम, मासूम खान, शादाब खान समेत सैकड़ों लोगों की मौजूदगी रही।

न्यूज़ देखो: लोकतंत्र में हर आवाज़ मायने रखती है

लोकतंत्र में विरोध और अभिव्यक्ति का अधिकार मौलिक है। वक्फ अधिनियम जैसे गंभीर विषय पर समाज की आवाज़ सरकार तक पहुंचना लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत है। ‘न्यूज़ देखो’ अपने पाठकों से अपील करता है कि वे देश के सामाजिक और संवैधानिक मुद्दों पर जागरूक रहें और सोच-समझ कर अपने मत व्यक्त करें।

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

Engineer & Doctor Academy
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250610-WA0011
Radhika Netralay Garhwa
20250923_002035
1000264265
IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20250925-WA0154
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें

Related News

Back to top button
error: