
#रांची : निजी स्कूलों की फीस वसूली पर बढ़ी चिंता, जिला समिति की अनुशंसा पर बनेगा कानून :
- निजी स्कूलों की मनमानी का मामला विधानसभा में उठा
- भाजपा विधायक प्रदीप प्रसाद ने फीस एकरूपता की मांग की
- नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने न्यायाधिकरण की बैठक नियमित कराने का सुझाव दिया
- विधायक नवीन जायसवाल ने री-एडमिशन फीस पर सवाल उठाया
- शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा — अनुशंसा आने पर कानून बनेगा
- गड़बड़ी मिलने पर ₹50 से ढाई लाख तक जुर्माना का प्रावधान
- उपायुक्त स्तर पर नियमित बैठक कराने का आश्वासन
झारखंड विधानसभा में आज निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर जोरदार बहस हुई। भाजपा विधायक प्रदीप प्रसाद ने अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से मुद्दा उठाया कि राज्य में JAC, CBSE और ICSE बोर्ड के तहत संचालित स्कूलों में अलग-अलग तरीके से एडमिशन और ट्यूशन फीस वसूली की जाती है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस विषय में कानून बनाकर फीस की राशि में एकरुपता लानी चाहिए।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस मामले में पहले से न्यायाधिकरण बनाया गया है, लेकिन उसकी बैठक नियमित रूप से नहीं होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि उपायुक्त की अध्यक्षता में नियमित बैठक होनी चाहिए और जनप्रतिनिधियों को पहले सूचना दी जाए।
भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने भी कहा कि हर साल री-एडमिशन के नाम पर मोटी फीस वसूली की जाती है, जिसे रोकने की आवश्यकता है।
जांच और मंत्री का जवाब
जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि निजी स्कूल फीस निर्धारण के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन उनके नियंत्रण के लिए स्कूल स्तर और जिला स्तर पर शुल्क समिति है। गड़बड़ी पाए जाने पर ₹50 से लेकर ढाई लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के गजट की कॉपी सभी जिलों को भेजी जाएगी और उपायुक्त स्तर पर नियमित बैठक कराने की व्यवस्था की जाएगी। मंत्री ने जानकारी दी कि इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया।
सवालों की परतें और स्पीकर का हस्तक्षेप
सवाल-जवाब के दौरान जब मामला गंभीर होता गया, तो स्पीकर ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सरकार को विसंगतियों को दूर करने के लिए कानून बनाना चाहिए। इस पर मंत्री ने सहमति जताते हुए कहा कि अगर जिला स्तर की समिति से अनुशंसा आती है, तो कानून बनाने की दिशा में पहल की जाएगी।
विपक्ष की भूमिका और पुराना मामला
गौरतलब है कि 23 मार्च को भाजपा विधायक रागिनी सिंह ने भी निजी स्कूलों की फीस मनमानी का मुद्दा विधानसभा में उठाया था, लेकिन उस समय भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया था। इससे पहले भी विपक्ष लगातार सरकार पर कार्रवाई का दबाव बनाता आ रहा है।
न्यूज़ देखो : शिक्षा में पारदर्शिता का सवाल
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