
#गुमला #ग्रामीणपहल : रेंगारी गांव में ग्रामीणों ने प्रशासनिक उदासीनता के बीच खुद बनाई सड़क – जिप सदस्य दिलीप बड़ाइक ने किया उद्घाटन
- जारी प्रखंड के रेंगारी गांव में ग्रामीणों ने चंदा और श्रमदान से दो किमी सड़क बनाई।
- जिप सदस्य दिलीप बड़ाइक ने सड़क का उद्घाटन कर ग्रामीणों को बधाई दी।
- कई बार गुहार के बाद भी प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया, तो ग्रामीणों ने खुद काम संभाला।
- सड़क बनने से अब बरसात में आवागमन की दिक्कत खत्म होगी।
- मौके पर प्रकाश बड़ा, सरोज कच्छप, पूनम कुजूर, चन्द्र कुजूर समेत कई ग्रामीण उपस्थित थे।
गुमला जिले के जारी प्रखंड के सीसीकरमटोली पंचायत अंतर्गत रेंगारी गांव के ग्रामीणों ने एकजुटता की ऐसी मिसाल पेश की है, जो पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत बन गई। प्रशासन की अनदेखी से परेशान ग्रामीणों ने आखिरकार स्वयं आगे आकर दो किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर दिखाया। इस सामूहिक प्रयास का उद्घाटन जिला परिषद सदस्य दिलीप बड़ाइक ने किया।
आत्मनिर्भरता और सामूहिक भावना का अद्भुत उदाहरण
ग्रामीणों ने बताया कि वे लंबे समय से इस सड़क के निर्माण की मांग करते आ रहे थे। कई बार उन्होंने प्रखंड और जिला प्रशासन से आवेदन दिया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। आखिरकार ग्रामीणों ने फैसला लिया कि वे खुद अपने श्रम और सहयोग से सड़क बनाएंगे। सभी ने चंदा एकत्रित किया और सामूहिक श्रमदान से दो किलोमीटर सड़क का निर्माण पूरा किया।
जिप सदस्य दिलीप बड़ाइक ने कहा: “यह ग्रामीण एकता और आत्मनिर्भरता का शानदार उदाहरण है। जब सरकार सुनवाई नहीं करती, तब जनता अपने हक के लिए खुद रास्ता बनाती है।”
बरसात की मुश्किलें अब खत्म
ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के मौसम में यह रास्ता कीचड़ और गड्ढों से भर जाता था, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो जाता था। बच्चों को स्कूल जाने में, किसानों को खेत तक पहुँचने में भारी परेशानी होती थी। सड़क बनने के बाद अब गांव के लोग राहत महसूस कर रहे हैं।
ग्रामीण प्रकाश बड़ा ने कहा: “हमने इंतजार करना छोड़ दिया। अगर हम खुद न बनाते तो शायद यह सड़क कभी नहीं बनती।”
सामुदायिक श्रमदान से आई विकास की राह
इस पहल में प्रकाश बड़ा, सरोज कच्छप, पीयूष बड़ा, पूनम कुजूर, वाल्टर प्रकार, असीमा बड़ा, तेलेसेफर कुजूर, चन्द्र कुजूर, संयुक्ता मिंज, सजीत उरांव, नीतीश टोप्पो, हेलेरीयुश उरांव समेत दर्जनों ग्रामीणों ने श्रमदान किया। महिलाओं ने भी बराबर की भागीदारी निभाई और दिन-रात काम कर सड़क को आकार दिया।
गांव में अब सड़क बनने से न केवल आवागमन सुगम हुआ है बल्कि लोगों में सामूहिक सहयोग की भावना भी प्रबल हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि उनकी मेहनत और एकता का प्रतीक है।



न्यूज़ देखो: जनता जब ठान लेती है, तो बदलाव तय होता है
यह कहानी इस बात का सबूत है कि अगर जनता एकजुट हो जाए तो बिना सरकारी मदद के भी विकास की राह खुद बनाई जा सकती है। रेंगारी गांव के लोगों ने दिखा दिया कि इच्छाशक्ति और सहयोग से असंभव भी संभव हो जाता है। प्रशासन को भी ऐसे प्रेरणादायक प्रयासों से सीख लेनी चाहिए और जनता की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब वक्त है जनता के जागरूक होने का
गांवों की असली ताकत उसके लोग हैं — जब वे साथ आते हैं, तो बदलाव तय होता है। प्रशासनिक सुस्ती के बावजूद रेंगारी गांव ने साबित किया कि संकल्प, सहयोग और श्रमदान से विकास की गाड़ी आगे बढ़ती है।
आप भी अपने इलाके में ऐसे प्रयासों को समर्थन दें, खबर को शेयर करें और दूसरों को प्रेरित करें — क्योंकि विकास सरकार से नहीं, समाज से शुरू होता है।




