Latehar

बेतला के ग्रामीणों ने विधायक रामचंद्र सिंह को सौंपा मांग पत्र, इको विकास समिति भंग करने की उठी मांग

Join News देखो WhatsApp Channel
#बेतला #वनसंरक्षण : सैकड़ों ग्रामीणों ने हस्ताक्षरयुक्त आवेदन देकर समिति के अध्यक्ष पर फर्जीवाड़े और निष्क्रियता के आरोप लगाए
  • बेतला गांव के ग्रामीणों ने विधायक को सौंपा आवेदन।
  • इको विकास समिति के अध्यक्ष पर वर्षों से पद पर बने रहने का आरोप।
  • फर्जी ग्रामसभा कर पुनर्गठन का लगाया आरोप।
  • समिति की निष्क्रियता से जंगल और वन्यजीव संरक्षण प्रभावित
  • ग्रामीणों ने पारदर्शी तरीके से नए सिरे से पुनर्गठन की मांग की।

बरवाडीह प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत प्रसिद्ध बेतला गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने एकजुट होकर मनिका विधायक रामचंद्र सिंह को हस्ताक्षर युक्त मांग पत्र सौंपा। ग्रामीणों की मुख्य मांग इको विकास समिति को तत्काल भंग कर नए सिरे से पारदर्शी ढंग से पुनर्गठन करने की रही। उनका कहना है कि समिति का अध्यक्ष वर्षों से एक ही व्यक्ति है और समिति के कार्यकलाप पूरी तरह ठप हो चुके हैं।

ग्रामीणों का आरोप – फर्जी ग्रामसभा से किया गया पुनर्गठन

ग्रामीणों ने बताया कि समिति के पुनर्गठन के नाम पर फर्जी तरीके से ग्रामसभा की गई है। इससे स्थानीय लोगों की सहभागिता समाप्त हो गई और समिति का लोकतांत्रिक ढांचा कमजोर पड़ गया।

संरक्षण कार्य ठप, नाराज हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि कई वर्षों से जंगल और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में समिति ने कोई ठोस पहल नहीं की है। जबकि समिति का गठन इसी उद्देश्य से किया गया था। उन्होंने बताया कि विभागीय अधिकारियों को भी इस मामले से कई बार अवगत कराया गया, लेकिन अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई।

पारदर्शी पुनर्गठन की मांग

ग्रामीणों ने विधायक से मांग की कि समिति को तत्काल भंग कर नए सिरे से पारदर्शी तरीके से पुनर्गठन कराया जाए, ताकि जंगल और वन्यजीव संरक्षण के कार्य प्रभावी ढंग से हो सकें और स्थानीय लोगों का विश्वास भी बहाल हो।

आवेदन सौंपने वाले प्रमुख ग्रामीण

आवेदन सौंपने वालों में साजिद अंसारी, असलम अंसारी, जयबुन निशा, जावेद अख्तर, दानिश रसूल, अजीम अंसारी, रजिया खातून, इरशाद अंसारी, शमशाद आलम, मसूद अख्तर, रहमान अंसारी, फैज आलम, जहीदुल्लाह अंसारी, मुजीबुल्लाह अंसारी और असमीना खातून सहित सैकड़ों ग्रामीणों का नाम शामिल है।

न्यूज़ देखो: जवाबदेही से ही होगा संरक्षण संभव

बेतला के ग्रामीणों की यह मांग बताती है कि स्थानीय समितियों की निष्क्रियता सीधे तौर पर जंगल और वन्यजीव संरक्षण को प्रभावित कर रही है। अगर समय रहते इन समितियों का पारदर्शी पुनर्गठन नहीं किया गया तो संरक्षण के प्रयास सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएंगे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जंगलों की रक्षा, सबकी जिम्मेदारी

प्रकृति और वन्यजीवों का संरक्षण तभी संभव है जब स्थानीय लोगों की आवाज़ को महत्व मिले और समितियां ईमानदारी से काम करें। अब समय है कि हम सब जागरूक होकर ऐसी मांगों का समर्थन करें। अपनी राय कमेंट में लिखें और इस खबर को साझा कर जंगल बचाने की मुहिम को मजबूत करें।

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 5 / 5. कुल वोट: 1

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20250925-WA0154
IMG-20250610-WA0011
20250923_002035
1000264265
IMG-20250723-WA0070
Radhika Netralay Garhwa
Engineer & Doctor Academy
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें

Related News

Back to top button
error: