#लातेहार #बरवाडीह : धार्मिक और शैक्षणिक स्थलों के पास स्टेडियम निर्माण पर ग्रामीणों का आपत्ति जताना जारी
- गढ़वाटांड़ में प्रस्तावित स्टेडियम निर्माण को लेकर ग्रामीणों और विशेषकर महिलाओं में गहरा आक्रोश देखने को मिला।
- मंगलवार को आक्रोशित ग्रामीण निर्माण स्थल पर पहुंचकर कार्य को बंद करवा दिया।
- ग्रामीणों का आरोप है कि प्रस्तावित स्थान धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों से घिरा हुआ है।
- उन्होंने कहा कि दुर्गा मंडप, सरकारी विद्यालय और इमामबाड़ा के बीच स्टेडियम बनाना आस्था और शिक्षा दोनों का अपमान है।
- महिलाओं ने चेतावनी दी कि जब तक स्थल परिवर्तन नहीं होता, किसी भी हालत में निर्माण कार्य नहीं होने दिया जाएगा।
गढ़वाटांड़ में प्रस्तावित स्टेडियम निर्माण को लेकर मचा विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है। बरवाडीह प्रखंड मुख्यालय के इस इलाके में मंगलवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण, खासकर महिलाएं, निर्माण स्थल पर पहुंचीं और कार्य को रुकवा दिया। महिलाओं ने संवेदक और अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि यह निर्माण जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।
धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों से घिरा क्षेत्र
ग्रामीणों के अनुसार, जिस स्थान पर स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है, वह पूरी तरह अनुपयुक्त है। एक ओर सरकारी विद्यालय संचालित है, वहीं दूसरी ओर दुर्गा मंडप स्थित है जहां हर वर्ष मेला आयोजित होता है। इसके अलावा, पास ही मुस्लिम समुदाय का इमामबाड़ा भी है, जहां धार्मिक कार्यक्रम संपन्न होते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस मिश्रित क्षेत्र में स्टेडियम बनने से धार्मिक और सामाजिक सौहार्द पर असर पड़ेगा।
प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि संवेदक और संबंधित अधिकारी आपसी मिलीभगत से खानापूर्ति के तहत कार्य शुरू करवा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि प्रशासन सच में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देना चाहता है, तो उसे ऐसा स्थान चुनना चाहिए जो विवादमुक्त और विस्तृत हो। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि यदि वर्तमान स्थल पर कार्य जारी रखा गया, तो वे सामूहिक विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
ग्रामीण महिलाओं ने कहा: “आस्था और शिक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। अगर सरकार सचमुच विकास चाहती है तो सही जगह चुने, ताकि सौहार्द और प्रगति दोनों कायम रहें।”

न्यूज़ देखो: विकास और आस्था के बीच संतुलन ज़रूरी
गढ़वाटांड़ की यह स्थिति बताती है कि विकास कार्यों में जनभावनाओं की अनदेखी असंतोष को जन्म देती है। प्रशासन को चाहिए कि स्थानीय निवासियों से संवाद कर समाधान खोजे ताकि खेल, शिक्षा और धार्मिक आस्था तीनों में संतुलन बना रहे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जनभावनाओं का सम्मान और संवाद ही समाधान
अब समय है कि सरकार और प्रशासन जनता की भावनाओं को समझे और विवादित निर्माण स्थलों पर पारदर्शी निर्णय ले। संवाद से ही सौहार्द और विकास दोनों सुनिश्चित हो सकते हैं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि जनहित के मुद्दे सबके सामने आएं।