खेती के विवाद में हिंसा, महिला समेत एक ही परिवार के तीन लोग घायल

#मेराल #भूमिविवाद : टाटी लगाने को लेकर दो पक्षों में कहासुनी—गांव के छह लोगों ने लाठी-डंडों से किया हमला, महिला व किशोरी घायल

खेत में बाड़बंदी करते समय भड़का विवाद

गढ़वा। मेराल थाना क्षेत्र अंतर्गत सोहबरिया गांव में शनिवार को खेत की बाड़बंदी को लेकर दो पक्षों के बीच हिंसक झड़प हो गई। घटना में एक ही परिवार के तीन सदस्य — दुलारी चौधरी (40), उसकी पत्नी जमातिया देवी (35) और पुत्री दुर्गा कुमारी (17) बुरी तरह घायल हो गए।

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, दुलारी चौधरी अपने खेत में टाटी लगा रहा था, तभी गांव के ही दिनेश चौधरी, बिंदु चौधरी, पुटिया देवी, पूनम देवी, सीमा कुमारी और मीरा कुमारी वहां पहुंचे और उक्त जमीन को अपनी बताते हुए गाली-गलौज शुरू कर दी। देखते ही देखते कहासुनी मारपीट में बदल गई, जिसमें लाठी-डंडों से हमला कर तीनों को लहूलुहान कर दिया गया।

सदर अस्पताल में भर्ती, घायलों की स्थिति चिंताजनक

घटना के तुरंत बाद तीनों घायलों को सदर अस्पताल गढ़वा में भर्ती कराया गया, जहां उनके शरीर पर गहरे घाव और गंभीर चोटें देखी गईं। चिकित्सकों की निगरानी में उनका इलाज चल रहा है। घायलों में किशोरी दुर्गा कुमारी की स्थिति ज्यादा नाजुक बताई जा रही है।

दूसरे पक्ष की चुप्पी पर सवाल

घटना की सूचना के बावजूद आरोपित पक्ष के लोग न तो अस्पताल पहुंचे और न ही अब तक पुलिस के पास अपनी कोई सफाई दी है। ग्रामीणों ने बताया कि विवादित जमीन को लेकर पहले भी दोनों पक्षों के बीच तनाव रहा है, लेकिन इस बार मामला खून-खराबे तक पहुंच गया

पुलिस का रवैया निष्क्रिय

घटना के कई घंटे बीतने के बाद भी स्थानीय पुलिस की कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। पीड़ित परिवार की ओर से अब तक प्राथमिकी दर्ज कराने की प्रक्रिया जारी है, जबकि गांव में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है

न्यूज़ देखो: जमीनी विवाद से उपजा हिंसक तांडव, प्रशासन कब करेगा हस्तक्षेप?

न्यूज़ देखो बार-बार यह मुद्दा उठाता रहा है कि ग्रामीण इलाकों में भूमि विवाद प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण भयावह रूप ले रहे हैं। सोहबरिया जैसी घटनाएं यही दिखाती हैं कि यदि समय रहते सीमांकन और दस्तावेजी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं हुई, तो ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाएंगी। पुलिस और राजस्व विभाग को संयुक्त कार्रवाई कर स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है।
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समाज को चाहिए जागरूकता और प्रशासन को सक्रियता

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कानूनी जानकारी की कमी और संवादहीनता कितनी बड़ी सामाजिक क्षति का कारण बन सकती है। नागरिकों को चाहिए कि वे अपने अधिकारों को समझें और कानूनी प्रक्रिया अपनाएं। साथ ही प्रशासन को चाहिए कि भूमि विवादों के त्वरित समाधान के लिए विशेष अभियान चलाए
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