
#सिमडेगा #ओबीसी_आरक्षण : नगर निकाय चुनाव में आरक्षण नहीं मिलने से भड़का आक्रोश, सड़कों पर उतरे सैकड़ों लोग।
सिमडेगा में नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण नहीं दिए जाने के विरोध में शुक्रवार को व्यापक जनआक्रोश देखने को मिला। पिछड़ा जाति नगर निकाय संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने मसाल जुलूस निकालकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया। प्रदर्शनकारियों ने इसे ओबीसी समाज के साथ अन्याय बताते हुए सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया। मोर्चा ने चेतावनी दी कि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
- पिछड़ा जाति नगर निकाय संघर्ष मोर्चा के बैनर तले निकला मसाल जुलूस।
- प्रिंस चौक से महावीर चौक तक शहर की मुख्य सड़कों पर प्रदर्शन।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन कर जताया विरोध।
- रामजी यादव ने सिमडेगा में ओबीसी आबादी 41 प्रतिशत से अधिक होने का दावा।
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अनदेखी का आरोप।
- प्रदर्शन में महिलाओं की बड़ी भागीदारी, सैकड़ों समर्थक रहे मौजूद।
नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सिमडेगा शहर शुक्रवार को विरोध की आग में नजर आया। पिछड़ा जाति नगर निकाय संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। शाम के समय प्रिंस चौक से मसाल जुलूस की शुरुआत हुई, जिसमें युवा, बुजुर्ग और महिलाएं हाथों में मशाल लिए शामिल हुए। जुलूस मुख्य सड़क मार्ग से होते हुए नीचे बाजार की ओर बढ़ा और पूरे शहर का माहौल विरोध से गूंज उठा।
प्रिंस चौक से महावीर चौक तक गूंजे नारे
मसाल जुलूस के दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुर्दाबाद’, ‘झारखंड सरकार होश में आओ’ और ‘ओबीसी को आरक्षण देना होगा’ जैसे नारे लगाए। नारों की गूंज से मुख्य बाजार क्षेत्र में कुछ समय के लिए यातायात भी प्रभावित रहा। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार ने जानबूझकर ओबीसी समाज को नगर निकाय चुनाव से बाहर रखने का प्रयास किया है।
जुलूस जब महावीर चौक पहुंचा तो वहां यह सभा में तब्दील हो गया। इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का प्रतीकात्मक पुतला दहन कर अपना आक्रोश प्रकट किया गया।
मोर्चा अध्यक्ष रामजी यादव का तीखा आरोप
सभा को संबोधित करते हुए मोर्चा अध्यक्ष रामजी यादव ने कहा कि सिमडेगा नगर निकाय के 20 वार्डों में ओबीसी समाज की आबादी 41 प्रतिशत से अधिक है, इसके बावजूद आरक्षण नहीं दिया जाना गंभीर अन्याय है। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार ओबीसी वर्ग के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।
रामजी यादव ने कहा:
रामजी यादव ने कहा: “सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि ओबीसी आरक्षण के साथ ही नगर निकाय चुनाव कराए जाएं, लेकिन सिमडेगा में इसका पालन नहीं किया गया। यह सीधे तौर पर संविधान और सामाजिक न्याय की अवहेलना है।”
अन्य जिलों में आरक्षण, सिमडेगा में क्यों नहीं
मोर्चा अध्यक्ष ने सवाल उठाया कि जब गुमला, लोहरदगा सहित अन्य जिलों में ओबीसी आरक्षण के साथ नगर निकाय चुनाव कराए जा रहे हैं, तो सिमडेगा को इससे वंचित क्यों रखा गया। उन्होंने इसे राजनीतिक भेदभाव करार देते हुए कहा कि सरकार को तुरंत इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने ओबीसी समाज की मांगों को नजरअंदाज किया, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा और यह जिला स्तर से आगे बढ़कर राज्यव्यापी रूप ले सकता है।
बड़ी संख्या में नेताओं और समर्थकों की मौजूदगी
इस विरोध कार्यक्रम में विष्णु महतो, संतु गुप्ता, रवि गुप्ता, दिलीप प्रसाद, विष्णु दयाल शर्मा, अनूप केसरी, रमेश महतो, सुबोध महतो, बजरंग प्रसाद, धनंजय केसरी, गौतम कुमार सहित सैकड़ों समर्थक शामिल हुए। खास बात यह रही कि प्रदर्शन में महिलाओं की भी सैकड़ों की संख्या में भागीदारी देखने को मिली, जिससे आंदोलन को सामाजिक समर्थन मिलता दिखा।
प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में कहा कि ओबीसी समाज अपने संवैधानिक अधिकार के लिए संघर्ष जारी रखेगा और किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा।
प्रशासन की नजर, स्थिति रही नियंत्रित
मसाल जुलूस और पुतला दहन के दौरान प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखी गई। पुलिस बल की मौजूदगी में कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ, हालांकि नारेबाजी और विरोध का स्वर काफी मुखर रहा।
न्यूज़ देखो: सामाजिक न्याय के सवाल पर सरकार की परीक्षा
सिमडेगा में ओबीसी आरक्षण को लेकर हुआ यह विरोध प्रदर्शन सरकार के लिए एक गंभीर संकेत है। जब आबादी के बड़े हिस्से को प्रतिनिधित्व से वंचित किया जाता है, तो असंतोष स्वाभाविक है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद अलग-अलग जिलों में अलग नीति अपनाना सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या ओबीसी समाज को उसका हक मिलेगा। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
लोकतंत्र में अधिकार के लिए आवाज जरूरी
लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध और अपनी बात मजबूती से रखना नागरिकों का अधिकार है। ओबीसी समाज की यह लड़ाई प्रतिनिधित्व और सम्मान से जुड़ी है। जरूरी है कि सरकार और प्रशासन जनता की आवाज को गंभीरता से सुने और समाधान निकाले।





