अंबेडकर की तस्वीर से जुड़ा वायरल वीडियो: लालू यादव पर सियासी घमासान

#मोतिहारी #लालूयादवविवाद — बाबा साहेब की तस्वीर से छेड़छाड़ के वीडियो पर उठे सवाल, विपक्ष हमलावर

बाबा साहेब की तस्वीर से छेड़छाड़ का वीडियो बना विवाद की जड़

राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उनके जन्मदिन कार्यक्रम के दौरान एक व्यक्ति को बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को लालू यादव के पैरों के पास छुआकर हटाते देखा गया
इस वीडियो को लेकर राजनीतिक गलियारों में भूचाल मच गया है और बीजेपी समेत विपक्षी दलों ने लालू यादव और राजद को आड़े हाथों लिया है

बीजेपी मंत्री पासवान का तीखा हमला

बिहार सरकार में मंत्री कृष्णनन्दन पासवान ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “लालू प्रसाद को उनके इस पाप की सजा मिलेगी।” उन्होंने आगे कहा कि

कृष्णनन्दन पासवान ने कहा: “अब तेजस्वी यादव को दलित बस्ती में घुसने नहीं दिया जाएगा। बाबा साहब कोई सामान्य व्यक्ति नहीं थे, वे दलितों के मसीहा हैं।”

पासवान के इस बयान से साफ है कि बीजेपी इस मामले को दलित स्वाभिमान और सामाजिक सम्मान से जोड़कर देख रही है।

FIR की मांग और राजनीतिक दबाव

शनिवार को मोतिहारी में आयोजित एक बैठक में पहुंचे बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने भी इस घटना की कड़ी आलोचना की और लालू प्रसाद यादव के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की।
उन्होंने कहा:

संजय जायसवाल ने कहा: “जो लोग संविधान की रक्षा की बात करते हैं, वही आज बाबा साहब का अपमान कर रहे हैं। अगर लालू यादव सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते हैं, तो उनके खिलाफ सरकार को मुकदमा दर्ज करना चाहिए।”

राजद की चुप्पी और राजनीतिक असर

अब तक राष्ट्रीय जनता दल की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, जिससे राजनीतिक हलकों में और अधिक अटकलें लगाई जा रही हैं
यह मुद्दा जहां दलित वोटबैंक को प्रभावित कर सकता है, वहीं लालू यादव की सार्वजनिक छवि पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आने वाले दिनों में राजद को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देना पड़ सकता है

न्यूज़ देखो: संवैधानिक प्रतीकों का सम्मान ज़रूरी

राजनीति में मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान किसी भी रूप में अस्वीकार्य है।
न्यूज़ देखो इस मुद्दे पर गहराई से नजर बनाए हुए है और यह अपेक्षा करता है कि सभी दल संविधान और सामाजिक सम्मान की मर्यादाओं का पालन करें
यह मामला केवल राजनीति नहीं, सामाजिक चेतना और गरिमा का भी है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आप क्या सोचते हैं?

क्या इस मामले में लालू यादव को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए?
क्या यह दलित समाज के सम्मान से जुड़ा मामला है?
अपनी राय ज़रूर दें, इस खबर को रेट करें और उन दोस्तों से शेयर करें जिन्हें राजनीति और सामाजिक मुद्दों में रुचि है।

Exit mobile version