
हाइलाइट्स :
- अनुमंडल कार्यालय में ‘जल जागरूकता’ संगोष्ठी का आयोजन
- सांसद प्रतिनिधि, समाजसेवियों और पर्यावरण प्रेमियों ने साझा किए विचार
- जल संकट से बचाव के लिए तालाब संरक्षण, वृक्षारोपण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर
- एसडीओ बोले- पर्यावरण दिवस तक लगातार जनसहभागिता अभियान चलाया जाएगा
गढ़वा में जल जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन
गढ़वा अनुमंडल कार्यालय में शनिवार को विश्व जल दिवस के अवसर पर ‘जल जागरूकता संगोष्ठी’ आयोजित की गई। इसमें स्थानीय प्रबुद्ध जन, समाजसेवी, शिक्षाविद और पर्यावरण प्रेमी शामिल हुए। संगोष्ठी की अध्यक्षता एसडीओ संजय कुमार ने की। चर्चा के दौरान सभी वक्ताओं ने गढ़वा में बढ़ते जल संकट को लेकर चिंता जताई और जल संरक्षण के उपायों पर जोर दिया।
विचारकों ने रखीं अपनी चिंताएं और समाधान
संगोष्ठी में सांसद प्रतिनिधि प्रमोद कुमार चौबे ने कहा कि मनरेगा, वन विभाग और भूमि संरक्षण विभाग की मदद से जल संरक्षण के कई उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन और जनता को भी गंभीरता से प्रयास करने होंगे। उन्होंने पॉलिथीन पर प्रभावी रोक लगाने की जरूरत बताई।
समाजसेवी दिवाकर तिवारी ने कहा कि गढ़वा के अलग-अलग क्षेत्रों की भूगर्भीय स्थिति भिन्न है, इसलिए प्रत्येक क्षेत्र के अनुसार जल संरक्षण रणनीति बनानी होगी। वहीं, पूर्व पार्षद जितेंद्र सिंहा ने कहा कि गढ़वा की 90% जल आपूर्ति नदियों से होती है, इसलिए नदी संरक्षण पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।
“पानी की चिंता करना केवल प्रशासन का काम नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की मौलिक जिम्मेदारी है। हम सभी को अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे।” – जितेंद्र सिंहा, पूर्व पार्षद
शिक्षाविदों और समाजसेवियों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
सामाजिक कार्यकर्ता अजय उपाध्याय ने कहा कि जल की प्रवृत्ति बहने की होती है, लेकिन इसे रोकने और संग्रहित करने के लिए वृक्षारोपण बढ़ाने की जरूरत है। शिक्षाविद उमेश सहाय ने तालाब क्रांति और नदियों को अविरल बहने देने पर बल दिया।
शिक्षक नितिन तिवारी ने कहा कि बच्चों को जल संरक्षण की शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी जल संकट के प्रति संवेदनशील बनी रहे। वहीं, एडवोकेट राकेश त्रिपाठी ने कहा कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बनाने का कानून बनना चाहिए।
तालाब संरक्षण और जल निगरानी की जरूरत
समाजसेवी पंकज चौबे ने कहा कि नदियों के इर्द-गिर्द बालू संरक्षण जरूरी है, क्योंकि इससे नदियों का जलस्तर संतुलित रहता है। व्यवसायी अरविंद गुप्ता ने कहा कि अगर समय रहते तालाबों का अतिक्रमण नहीं रोका गया, तो आने वाली पीढ़ियां पानी के लिए संघर्ष करेंगी।
“जल स्रोतों के अतिक्रमण और जल दुरुपयोग की शिकायतों के लिए वाटर हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाना चाहिए।” – गौतम ऋषि, सामाजिक कार्यकर्ता
बृजमोहन प्रसाद, आनंद गुप्ता, ज्योतिष पांडे, देवराज उपाध्याय, आनंद दुबे आदि ने भी सोखता निर्माण, डोभा निर्माण, वर्षा जल संचयन और वृक्षारोपण जैसे महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
जल जागरूकता में सोशल मीडिया की भूमिका
एसडीओ संजय कुमार ने कहा कि जो लोग जल संरक्षण के लिए बेहतर कार्य कर रहे हैं, उन्हें सोशल मीडिया पर साझा करना चाहिए ताकि अन्य लोग भी प्रेरित हो सकें। उन्होंने बताया कि पर्यावरण दिवस तक जल संरक्षण अभियान लगातार जारी रहेगा।
जल संरक्षण की ली गई शपथ
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने जल संरक्षण, जल संचयन और जल के विवेकपूर्ण उपयोग की शपथ ली।



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