#पलामू #सामाजिक_सहयोग : बजरंग दल ने लकवाग्रस्त राजेश सिन्हा के परिवार से मिलकर बांटा दुख-दर्द — आर्थिक सहयोग भी दिया और भविष्य में साथ निभाने का भरोसा जताया
- राजेश सिन्हा, जो लकवाग्रस्त हैं, से बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने घर जाकर की मुलाकात
- आर्थिक सहयोग प्रदान कर भविष्य में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया
- राजेश सिन्हा की हालत में सुधार, छह महीने के बेड रेस्ट के बाद उम्मीद की किरण
- असहाय परिवार की हालत को देख भावुक हुए कार्यकर्ता
- सहयोग में पलामू बजरंग दल के हिमांशु पांडेय, गोविन्दा पासवान, राजेंद्र कुमार समेत कई शामिल
राजेश सिन्हा की बीमारी और संघर्ष की कहानी
मेदिनीनगर के बारालोटा मुहल्ला निवासी राजेश सिन्हा, कुछ माह पहले अपनी ड्यूटी से लौटने के बाद अचानक लकवाग्रस्त हो गए। रात में तबीयत बिगड़ने के बाद उनका शरीर पूरी तरह बेकार हो गया, जिससे उनका शारीरिक और आर्थिक जीवन दोनों प्रभावित हो गया। बीमारी के कारण वे बेड रेस्ट पर ही जीवन बिता रहे हैं, जबकि उनकी पत्नी किसी तरह घर और इलाज का खर्च जुटा रही हैं। राहत की बात यह है कि पिछले छह महीनों की कठिनाइयों के बाद अब उनकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने की मुलाकात और आर्थिक सहायता
इस संघर्ष के बीच विश्व हिन्दू परिषद् – बजरंग दल (पलामू) के कार्यकर्ता राजेश सिन्हा और उनकी पत्नी से उनके घर जाकर मिले। उन्होंने उनका कुशलक्षेम जाना, भावनात्मक सहयोग दिया और आर्थिक रूप से भी सहयोग किया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि परिवार की स्थिति बेहद नाजुक है, और ऐसे समय में सामाजिक संगठनों का सहयोग बेहद ज़रूरी है।
बजरंग दल संयोजक हिमांशु पांडेय ने कहा: “राजेश जी एक जुझारू व्यक्ति हैं। उनकी स्थिति देखकर हमारी आत्मा कांप उठी। हम भविष्य में भी इस परिवार के साथ हरसंभव सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
कार्यकर्ताओं की रही सहभागिता
इस सहयोग अभियान में प्रखंड नावाबाजार से विहिप कंडा पंचायत अध्यक्ष गोविन्दा पासवान, रबदा पंचायत अध्यक्ष मुकेश कुमार, संयोजक राजेंद्र कुमार, मेदिनीनगर से सर्वेश आनंद और प्रणीत आनंद भी शामिल रहे। सभी ने एकमत से कहा कि ऐसे असहाय परिवारों के साथ खड़ा होना ही सच्ची सेवा है।
न्यूज़ देखो: सामाजिक ज़िम्मेदारी का जीवंत उदाहरण
राजेश सिन्हा जैसे संघर्षशील नागरिकों के लिए जब समाज के लोग आगे आते हैं, तब उम्मीद की किरण जगती है। विश्व हिन्दू परिषद् – बजरंग दल के इस सहयोग ने यह दिखा दिया कि सहानुभूति और सेवा आज भी ज़िंदा है।
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ऐसे असहाय परिवारों के लिए सकारात्मक सोच और सहयोग की भावना ही सबसे बड़ा सहारा है। अगर आप भी किसी जरूरतमंद को जानते हैं, तो उसके साथ खड़े होने में हिचकें नहीं।
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