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झारखंड के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग, विश्व हिंदू परिषद ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन

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#रांची #विश्वहिंदूपरिषद : हिंदू धार्मिक स्थलों की स्वतंत्रता को लेकर राज्यपाल से हस्तक्षेप की अपील
  • विश्व हिंदू परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की।
  • मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग उठाई गई।
  • हिंदू धार्मिक न्यास समाप्त करने की अपील की गई।
  • प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने किया।
  • कई प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी भी शामिल रहे।

रांची। झारखंड में हिंदू धार्मिक स्थलों के प्रबंधन को लेकर बड़ा सवाल उठाते हुए विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल श्री संतोष गंगवार को एक ज्ञापन सौंपा। परिषद ने कहा कि हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना आवश्यक है।

ज्ञापन में मुख्य मुद्दे

प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से आग्रह किया कि झारखंड हिंदू धार्मिक न्यास को समाप्त किया जाए, क्योंकि इसके कारण मंदिरों को अपनी आय का एक हिस्सा राज्य सरकार को देना पड़ता है। परिषद ने इसे हिंदुओं पर “जजिया कर” जैसा करार दिया।

ज्ञापन में कहा गया कि जैसे अन्य धर्म अपने धार्मिक संस्थान स्वतंत्र रूप से संचालित करते हैं, वैसे ही हिंदू मंदिरों को भी पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी मांग की कि मठ-मंदिरों के संचालन के लिए राजनीति से परे धार्मिक व्यक्तियों की नियुक्ति हो, ताकि मंदिरों का संचालन सुचारू और पारदर्शी ढंग से हो सके।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल पदाधिकारी

इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने किया। उनके साथ क्षेत्र धर्माचार्य संपर्क प्रमुख वीरेंद्र विमल, प्रांत अध्यक्ष चंद्रकांत रायपत, उपाध्यक्षा रेखा जैन, प्रांत संगठन मंत्री देवी सिंह और प्रांत मंत्री मिथिलेश्वर मिश्र भी उपस्थित रहे।

न्यूज़ देखो: धार्मिक स्वतंत्रता और प्रबंधन का प्रश्न

यह मांग न केवल प्रशासनिक सुधार से जुड़ी है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और विश्वास की भावना से भी जुड़ी है। यदि मंदिरों के संचालन में राजनीति का दखल खत्म हो और धार्मिक व्यक्तियों को जिम्मेदारी दी जाए, तो आस्था और व्यवस्था दोनों मजबूत होंगे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आस्था और स्वतंत्रता की दिशा में कदम

अब समय है कि समाज धार्मिक स्थलों की स्वतंत्रता को लेकर सजग बने। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि मंदिरों की स्वतंत्रता और पारदर्शी प्रबंधन पर जनचर्चा मजबूत हो।

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