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रिम्स-2 निर्माण को लेकर उठे विरोध के स्वर: स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा हर हाल में बनेगा अस्पताल

#रांची #स्वास्थ्य : मंत्री ने पुतला दहन और विरोध प्रदर्शनों के बीच रिम्स-2 निर्माण पर दिया बड़ा बयान

रांची। झारखंड की राजधानी में बनने वाले रिम्स-2 अस्पताल को लेकर राजनीति तेज हो गई है। हाल के दिनों में ग्रामीणों और विपक्षी दलों ने मंत्री इरफान अंसारी और स्थानीय विधायकों के खिलाफ पुतला दहन किया, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने यह साफ कर दिया है कि “रिम्स-2 हर हाल में बनेगा।”

रिम्स-2 की पृष्ठभूमि और महत्व

स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 207 एकड़ जमीन पहले ही आवंटित की जा चुकी है। लगभग 1074 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस अस्पताल में 700 बेड होंगे, जिनमें से 200 से 250 बेड सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।

इसके अलावा अस्पताल में 100 अंडरग्रेजुएट मेडिकल सीटें और 50 पोस्टग्रेजुएट सीटें भी होंगी। इससे झारखंड के युवाओं को राज्य में ही बेहतर शिक्षा और प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा।

विरोध की वजह क्या है

हालांकि, परियोजना को लेकर स्थानीय ग्रामीण और कुछ राजनीतिक दल लगातार विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस निर्माण से उनकी जमीन और आजीविका प्रभावित होगी। इसी मुद्दे को लेकर पुतला दहन तक की घटनाएं सामने आईं।

लेकिन मंत्री डॉ. इरफान अंसारी का कहना है कि यह विरोध केवल राजनीतिक भ्रम फैलाने का प्रयास है। उन्होंने स्पष्ट किया,

डॉ. इरफान अंसारी: “रिम्स-2 सरकारी जमीन पर बनेगा। किसानों की जमीन या आजीविका पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। यह परियोजना झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को नई दिशा देगी।”

जनता की उम्मीदें और सरकार की चुनौती

झारखंड में लंबे समय से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी महसूस की जा रही है। मरीजों को इलाज के लिए रांची या राज्य से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में रिम्स-2 परियोजना को आम लोग एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में देख रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर, सरकार के लिए चुनौती यह है कि इस परियोजना को लेकर उठ रहे विरोध को कैसे शांत किया जाए और स्थानीय लोगों का विश्वास जीता जाए।

न्यूज़ देखो: विकास बनाम राजनीति की जंग

रिम्स-2 का निर्माण झारखंड की स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊंचाई देने का कदम है। लेकिन यह देखना होगा कि सरकार जनता की शंकाओं को कितनी पारदर्शिता और संवाद के साथ दूर करती है। यदि यह परियोजना सफलतापूर्वक पूर्ण होती है तो यह न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र बल्कि झारखंड की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए भी मील का पत्थर साबित होगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब बदलाव के लिए सहयोग जरूरी

अब समय है कि हम सब झारखंड की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाएं। विरोध के बजाय रचनात्मक संवाद से ही समाधान निकलेगा। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि अधिक लोग इस मुद्दे पर जागरूक हो सकें।

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