#लातेहार #PMAY : घांशी टोला का गरीब ग्रामीण पांच साल से भटक रहा — न अधिकारी सुनते हैं, न जनप्रतिनिधि आते हैं सामने
- बिगन प्रसाद, सरयू पंचायत के घांशी टोला निवासी, 5 साल से PMAY आवास का कर रहे इंतजार।
- कई बार आवेदन, प्रखंड कार्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक दौड़ — फिर भी खाली हाथ।
- पंचायत सेवक पर आरोप — सक्षम लोगों से पैसे लेकर लाभ दिलाने का आरोप, गरीब रह गए वंचित।
- जर्जर कच्चे मकान में बरसात के मौसम में जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं।
- लातेहार उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता से न्याय की गुहार, बोले — “मकान कभी भी गिर सकता है।”
- ग्रामीणों ने पंचायत व्यवस्था पर भ्रष्टाचार और अनदेखी के आरोप लगाए।
सरयू पंचायत के घांशी टोला गांव के रहने वाले बिगन प्रसाद बीते पांच वर्षों से प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत एक पक्के घर के लिए प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। हर बरसात उनके लिए मौत का खतरा लेकर आती है, लेकिन सिस्टम अब तक खामोश बैठा है। गरीब के घर की दीवारें ढह रही हैं, लेकिन सरकारी फाइलें अब भी नहीं हिल रहीं।
बार-बार गुहार, लेकिन हर जगह चुप्पी
बिगन प्रसाद का कहना है कि उन्होंने लातेहार जिला मुख्यालय, गारू और सरयू प्रखंड कार्यालय तक कई बार आवेदन दिया, अधिकारियों से मुलाकात की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हर बार बस यही जवाब मिलता है — “सूची में नाम नहीं है” या “फाइल अटकी हुई है।”
बिगन बताते हैं कि उन्होंने पंचायत सेवक से मदद की भीख मांगी, लेकिन जिसके पास पैसे थे, उसे योजना का लाभ मिल गया, और उनका नाम बार-बार काटा जाता रहा। यह केवल प्रशासनिक उपेक्षा नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था पर सीधा सवाल है।
बिगन प्रसाद ने कहा: “मैंने कहीं कोई गलत नहीं किया, बस एक पक्के मकान का सपना देखा। अगर अब भी ध्यान नहीं दिया गया तो मेरे परिवार की जान पर बन आएगी।”
पंचायत सेवक पर भ्रष्टाचार का आरोप, योजनाएं फॉर्मलिटी बन गईं
स्थानीय ग्रामीणों ने पंचायत सेवक और दलालों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि असली ज़रूरतमंदों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि संपन्न और रसूखदार लोग योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, जो गरीबों को सम्मानजनक जीवन देने के लिए बनी थी, आज कई जगह भ्रष्टाचार और बिचौलियों की गिरफ्त में फंस चुकी है।
स्थानीय ग्रामीण रमेश उरांव ने कहा: “बिगन जैसे लोगों को अगर आजादी के 77 साल बाद भी मकान नहीं मिला, तो हमें सोचना चाहिए कि व्यवस्था कितनी नाकाम है।”
लातेहार उपायुक्त से की न्याय की मांग
अब थक-हारकर बिगन प्रसाद ने लातेहार उपायुक्त श्री उत्कर्ष गुप्ता से न्याय की मांग की है। उनका कहना है कि अब सिर्फ सरकारी सहानुभूति नहीं, बल्कि तत्काल कार्रवाई चाहिए। उनका मकान कभी भी गिर सकता है और यह लापरवाही किसी दिन जानलेवा हादसे में बदल सकती है।
बिगन की यह गुहार सिर्फ व्यक्तिगत दुख नहीं है, बल्कि हजारों उन ग्रामीणों की आवाज है जो आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए सरकारी चौखटों पर ठोकर खा रहे हैं। प्रशासन अगर अब भी नहीं चेता, तो यह अन्याय की एक लंबी परंपरा को और गहरा करेगा।
न्यूज़ देखो: आवास योजना में पारदर्शिता की पुकार
बिगन प्रसाद की कहानी सिर्फ एक पक्के मकान की नहीं, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता और योजनाओं में भ्रष्टाचार की परतों को उजागर करती है। यह घटना बताती है कि अगर निगरानी और जवाबदेही न हो, तो जनकल्याण की सबसे अच्छी योजना भी केवल कागजों में दम तोड़ सकती है। न्यूज़ देखो मांग करता है कि बिगन प्रसाद जैसे सभी पात्र लाभुकों की तुरंत जांच हो और उन्हें तत्काल लाभ पहुंचाया जाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आपकी जागरूकता ही बदलाव की कुंजी है
बिगन की गुहार हर उस नागरिक की आवाज है जो सिस्टम से जवाब चाहता है। ऐसे मुद्दों पर हम सबको जिम्मेदारी से आवाज उठानी चाहिए। जब तक हर गरीब को उसका संवैधानिक अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक यह समाज अधूरा रहेगा।
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