
#महुआडांड़ #पेयजल_संकट : बस स्टैंड में लगे जलमीनार की मोटर वज्रपात की चपेट में आकर जल गई — वहीं परिसर के चापाकल पिछले तीन महीनों से खराब पड़े हैं, जिससे यात्रियों और स्थानीय दुकानदारों को भारी कठिनाई हो रही है।
- वज्रपात से जलमीनार का मोटर जल गया, पानी की सप्लाई ठप
- बस स्टैंड परिसर में लगे चापाकल तीन महीने से खराब पड़े हैं
- होटल और ठेले वाले आपसी चंदे से कराते रहे मरम्मत
- पेयजल विभाग को कई बार आवेदन देने के बाद भी समाधान नहीं
- यात्रियों और ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द मरम्मत की मांग की
जलमीनार की मोटर जलने से सप्लाई बाधित
महुआडांड़ प्रखंड स्थित बस स्टैंड परिसर में स्थापित जलमीनार का मोटर शनिवार को वज्रपात की चपेट में आ गया, जिससे वह जल गया और पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बंद हो गई। इससे न सिर्फ यात्रियों को, बल्कि परिसर में मौजूद दुकानदारों, होटल और ठेलेवालों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
चापाकल खराब, तीन महीने से कोई सुध नहीं
बस स्टैंड परिसर में लगे एकमात्र चापाकल की स्थिति भी दयनीय है। यह चापाकल तीन महीने से खराब पड़ा है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने कई बार चंदा कर इसकी मरम्मत कराई, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ।
स्थानीय होटल संचालक रमेश साहू ने बताया: “हम लोग खुद ही पैसे जमा कर मरम्मत कराते रहे, लेकिन अब तक विभाग ने कोई पहल नहीं की।”
विभाग को दिए गए कई आवेदन, फिर भी कोई सुनवाई नहीं
स्थानीय लोगों ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को कई बार लिखित आवेदन दिया, लेकिन अब तक न तो मोटर बदला गया, न चापाकल ठीक किया गया। यात्रियों को पीने के पानी के लिए आसपास के घरों और दुकानों पर निर्भर रहना पड़ता है।
यात्री शिवनाथ भगत ने कहा: “पेयजल जैसी जरूरी सुविधा तक यहां उपलब्ध नहीं है, ऐसे में बस स्टैंड पर इंतजार करना भी मुश्किल हो गया है।”
ग्रामीणों और यात्रियों की प्रशासन से मांग
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए यात्रियों और आसपास के ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द जलमीनार की मोटर और चापाकल ठीक नहीं हुआ, तो वे प्रशासनिक कार्यालय में सामूहिक ज्ञापन सौंपेंगे।
न्यूज़ देखो: बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी कब तक?
महुआडांड़ बस स्टैंड जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल पर पेयजल संकट दर्शाता है कि बुनियादी सेवाओं को लेकर विभागीय उदासीनता कितनी गहरी है। यह केवल तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही की परीक्षा भी है।
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सजग नागरिक जागरूकता से ही आएगा बदलाव
पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा पर भी जब संकट आए, तो जनता की आवाज़ उठाना ज़रूरी हो जाता है। इस खबर को अधिक से अधिक साझा करें और प्रशासन को जागरूक करें कि जनता अब चुप नहीं बैठेगी।