
#मंडलडैमअपडेट #उत्तरकोयलपरियोजना #बिहारझारखंडसिंचाई – 50 साल से रुकी परियोजना को मिली रफ्तार, 780 विस्थापित परिवारों को मिलेगा मुआवजा और जमीन
- मंडल डैम विस्थापितों को मिलेगा 15-15 लाख मुआवजा और 1 एकड़ जमीन
- गढ़वा के रंका प्रखंड के बिश्रामपुर क्षेत्र में होगा पुनर्वास
- बिहार-झारखंड में 2.78 लाख एकड़ में सिंचाई सुविधा मिलेगी
- डैम की ऊंचाई 42 मीटर घटाई जाएगी, पर्यावरणीय नुकसान को टालने की कोशिश
- 1972 से अधूरी पड़ी परियोजना, पीएम मोदी ने 2019 में किया था शिलान्यास
विस्थापितों को मिली राहत: अब रास्ता साफ, जल्द शुरू होगा मंडल डैम का जल आपूर्ति कार्य
पलामू। झारखंड-बिहार की बहुप्रतीक्षित उत्तर कोयल नहर परियोजना मंडल डैम से संबंधित एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। डूब क्षेत्र के 780 परिवारों को अब मुआवजा और पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। उन्हें दो किश्तों में 15-15 लाख रुपये नकद और 1 एकड़ जमीन दी जाएगी।
इन परिवारों को गढ़वा जिला के रंका प्रखंड के बिश्रामपुर क्षेत्र में बसाया जाएगा। इस निर्णय से अब परियोजना के आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है।
1972 से रुकी परियोजना, अब 2891 करोड़ की लागत से होगी पूरी
मंडल डैम परियोजना की शुरुआत 1972 में अविभाजित बिहार में हुई थी। लेकिन 1997-98 में नक्सली हमले के बाद काम रुक गया। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से इस परियोजना का शिलान्यास किया था।
तब से लेकर अब तक लगभग 2891 करोड़ रुपये इस परियोजना में स्वीकृत किए जा चुके हैं। शुरुआत में यह सिर्फ 30 करोड़ रुपये की परियोजना थी। 2023 में केंद्रीय कैबिनेट ने 500 करोड़ अतिरिक्त की मंजूरी भी दी है।
सिंचाई का संकट होगा दूर: औरंगाबाद, गया और झारखंड को होगा लाभ
मंडल डैम से जल आपूर्ति होने के बाद बिहार के औरंगाबाद और गया जिले के 229793 एकड़ और झारखंड के 49000 एकड़ भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। यह इलाके धान उत्पादन के लिए प्रमुख माने जाते हैं और यहां के किसानों को लंबे समय से पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
पलामू सांसद विष्णुदयाल राम ने कहा:
“यह देश का पहला प्रोजेक्ट है, जिसके लिए केंद्रीय कैबिनेट ने मुआवजे हेतु दोबारा फंड जारी किया है। इस परियोजना से बड़े क्षेत्र में सिंचाई का संकट खत्म होगा।”
पर्यावरणीय प्रभाव को देखते हुए बदला गया डैम डिजाइन
पलामू टाइगर रिजर्व के निर्देश पर डैम की ऊंचाई 42 मीटर घटाई जाएगी। डैम के गेट लगाने का कार्य शेष है। पहले 3.44 लाख पेड़ों की कटाई का प्रस्ताव था, लेकिन सरकार ने पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय को फिलहाल टाल दिया है।
न्यूज़ देखो की राय: विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन का प्रयास सराहनीय
‘न्यूज़ देखो’ मानता है कि मंडल डैम जैसी बड़ी परियोजनाएं केवल तकनीकी नहीं, सामाजिक और पर्यावरणीय समन्वय की भी मांग करती हैं। विस्थापितों को सम्मानजनक मुआवजा, पुनर्वास और किसानों को पानी – ये सभी पहलू अब इस परियोजना की सफलता की कुंजी हैं।
अगर तय समय पर काम पूरा हुआ तो यह परियोजना बिहार-झारखंड के ग्रामीण विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि निर्माण कार्य में अब और विलंब न हो।