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दिशोम गुरु के निधन पर पलामू में शोक की लहर, नीतू सिंह और प्रद्युम्न सिंह ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

#पलामू #श्रद्धांजलि : झारखंड के निर्माता दिशोम गुरु को पांडू की धरती से अश्रुपूरित विदाई

झारखंड आंदोलन के जननायक, आदिवासी चेतना के प्रवर्तक और राज्य निर्माण के स्तंभ पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन उर्फ दिशोम गुरु के निधन पर पलामू जिले के पांडू प्रखंड में शोक की लहर दौड़ गई। गुरुजी के योगदान को याद करते हुए सामाजिक और शैक्षणिक जगत के प्रतिनिधियों ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की।

पांडू प्रमुख नीतू सिंह ने जताया गहरा दुख

प्रमुख नीतू सिंह ने दिशोम गुरु को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जीवन संघर्ष, न्याय और अधिकार की लड़ाई का प्रतीक था। उन्होंने कहा:

नीतू सिंह, प्रमुख पांडू: “झारखंड की आत्मा में दिशोम गुरु की विचारधारा समाई हुई है। वे सिर्फ नेता नहीं, एक प्रेरणा थे। उनका जाना झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है।”

झारखंड सहायक अध्यापक महासंघ भी हुआ भावुक

इस अवसर पर झारखंड सहायक अध्यापक महासंघ के प्रदेश महासचिव प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू) ने भी गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा:

प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू): “दिशोम गुरु के संघर्ष और सादगी से हम सभी प्रेरणा लेते हैं। उन्होंने झारखंड की पहचान को स्वर और शक्ति दी। हम उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित हैं।”

गुरुजी की विरासत को मानते हैं पलामू के लोग

दिशोम गुरु शिबू सोरेन का नाम झारखंड की अस्मिता और अधिकार आंदोलन से गहराई से जुड़ा रहा है। उन्होंने महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ लड़ाई, आदिवासी एकता की चेतना, और धनकटनी आंदोलन जैसे संघर्षों के जरिए राज्य की नींव रखी थी।

पलामू क्षेत्र के अनेक ग्रामीण और सामाजिक संगठनों ने भी इस अवसर पर गुरुजी के सरल स्वभाव, जनता के प्रति समर्पण और सामाजिक न्याय की आवाज को याद करते हुए मौन श्रद्धांजलि दी।

शिक्षक समाज ने दी भावनात्मक श्रद्धांजलि

शिक्षक समाज में भी शोक की लहर देखने को मिली। प्रद्युम्न कुमार सिंह ने कहा कि गुरुजी ने हमेशा शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा के सवालों को प्राथमिकता दी। झारखंड सहायक अध्यापक महासंघ ने उन्हें आदिवासी अधिकारों और गरीबों की आवाज के रूप में याद किया।

न्यूज़ देखो: गुरुजी के विचारों से प्रेरणा लेता पलामू

शिबू सोरेन जैसे संघर्षशील नेता केवल एक राजनीतिक पहचान नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतना की मशाल होते हैं। पांडू की धरती से आई श्रद्धांजलि इस बात का प्रतीक है कि उनकी विरासत झारखंड के गांव-गांव तक फैली है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

गुरुजी का जाना नहीं, एक युग का अवसान

अब समय है कि हम सब दिशोम गुरु के दिखाए मार्ग पर चलें, सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाएं और झारखंड के असली सपनों को साकार करें।

अपनी राय कॉमेंट करें, और इस श्रद्धांजलि संदेश को मित्रों और परिवारजनों के साथ साझा करें ताकि गुरुजी की स्मृति अमर बनी रहे।

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