
#रांची #साहित्यसंगम : गुलशन हॉल में हुआ जिला समिति का गठन, साहित्यकारों ने दी एकता और सौहार्द की सीख
- झारखंड राज्य साहित्य संगम की रांची जिला समिति का विधिवत गठन हुआ।
- बैठक कर्बला चौक स्थित गुलशन हॉल में संपन्न हुई।
- संस्थापक डॉ. अमीन रहबर, संरक्षक नसीर अफसर, डॉ. वासुदेव प्रसाद उपस्थित रहे।
- फ़िदाउर रहमान अध्यक्ष और अनुप कुमार सचिव चुने गए।
- साहित्यकारों ने कहा — भाषा, संस्कृति और एकता संगम के प्रमुख उद्देश्य हैं।
रांची में आयोजित झारखंड राज्य साहित्य संगम की जिला समिति के गठन समारोह में साहित्य, संस्कृति और एकता का अद्भुत संगम देखने को मिला। विभिन्न जिलों से पहुंचे साहित्यकारों ने कहा कि यह संगठन न केवल भाषाई विविधता का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल भी पेश करता है।
रांची में नई समिति के गठन से साहित्यिक जगत में उत्साह
बरवाडीह (लातेहार): झारखंड राज्य साहित्य संगम की रांची जिला समिति का गठन कर्बला चौक स्थित गुलशन हॉल में संपन्न हुआ। इस अवसर पर संगठन के संस्थापक डॉ. अमीन रहबर, संरक्षक नसीर अफसर और डॉ. वासुदेव प्रसाद, राज्य अध्यक्ष काफिलुर रहमान, प्रदेश महासचिव डॉ. ओम प्रकाश, तथा राज्य संयुक्त सचिव सफ़ीउल हक़ की गरिमामयी उपस्थिति रही।
इस बैठक में तहजीबुल हसन रिजवी और डॉ. सुरिंदर कौर नीलम को संरक्षक, फ़िदाउर रहमान को अध्यक्ष, दिनेश वर्मा को उपाध्यक्ष, अनुप कुमार को सचिव, मो. रिजवान राही को संयुक्त सचिव, सुरेंद्र राम को उप सचिव तथा ज्योति कुमार को कोषाध्यक्ष सर्वसम्मति से चुना गया।
साहित्य और समाज का रिश्ता — इंसानियत की राह पर
अध्यक्षता करते हुए नसीर अफसर ने कहा कि झारखंड राज्य साहित्य संगम सभी भाषाओं और बोलियों के समानांतर विकास के लिए समर्पित मंच है। उन्होंने बताया कि यह संगठन हर समुदाय की आवाज़ को सम्मान देने का प्रयास करता है।
संस्थापक डॉ. अमीन रहबर ने संगठन की स्थापना, उद्देश्यों और गतिविधियों की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि साहित्य वह पुल है जो दिलों को जोड़ता है, विभाजन को नहीं बढ़ाता।
राज्य अध्यक्ष काफिलुर रहमान ने कहा कि साहित्यिक संवाद के माध्यम से सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना हम सभी की जिम्मेदारी है।
प्रदेश महासचिव डॉ. ओम प्रकाश ने कहा:
“ईमान और एकता के साथ हम सब भारत, भारतीय और ‘हम’ की पहचान को सशक्त करेंगे।”
गंगा-जमुनी तहज़ीब का संदेश और नई पीढ़ी की भूमिका
वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि साहित्य के माध्यम से गंगा-जमुनी तहज़ीब, सामाजिक एकता और भाषाई सौहार्द का संदेश देना ही संगठन का मूल उद्देश्य है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा को सहेजने के लिए साहित्य से जुड़ें।
संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा कि साहित्य सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि समाज के हर वर्ग तक पहुंचना चाहिए ताकि एकता, शांति और समझदारी का माहौल बन सके।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। उपस्थित सभी लोगों ने यह संकल्प लिया कि वे समाज में प्रेम, भाईचारा और सामाजिक एकता का संदेश फैलाने में अपनी भूमिका निभाएंगे।
न्यूज़ देखो: साहित्य से जुड़े समाज की नई पहचान
यह कार्यक्रम इस बात का प्रमाण है कि झारखंड की मिट्टी में अब भी एकता, सौहार्द और प्रेम की गूंज मौजूद है। झारखंड राज्य साहित्य संगम जैसे मंच न केवल लेखन के माध्यम से, बल्कि विचारों के संवाद से भी समाज को जोड़ रहे हैं। ऐसी पहलें नफरत के शोर के बीच उम्मीद की नई किरण बनती हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
शब्दों से समाज तक — आइए, इस एकता की लौ जलाए रखें
साहित्य केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने की शक्ति है। आज जब मतभेद बढ़ रहे हैं, तब जरूरी है कि हम शब्दों से पुल बनाएं, दीवारें नहीं।
आइए, अपनी भाषा, अपनी परंपरा और अपने समाज को जोड़ने की इस पहल में हिस्सा लें।
कमेंट करें, खबर साझा करें और जागरूकता फैलाएं — क्योंकि एक शब्द भी बदलाव की शुरुआत बन सकता है।




