
#लातेहार #वन्यजीव_आतंक : तीन दिनों से ग्रामीणों में दहशत, हाथी ने बस और घरों को पहुंचाया नुकसान
- महुआडांड़ और बारेसांढ़ थाना क्षेत्र में तीन दिनों से एक जंगली हाथी का आतंक जारी।
- शनिवार को हाथी ने यात्रियों की बस पर करीब तीन घंटे तक कब्जा जमाए रखा।
- बस में रखा छठ का प्रसाद और अन्य खाने-पीने का सामान भी खा गया।
- वन विभाग की टीम को भीड़ और तंग रास्तों के कारण नियंत्रण में भारी मुश्किल।
- हाथी ने कई घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचाया, ग्रामीणों में दहशत का माहौल।
लातेहार जिले के महुआडांड़ और बारेसांढ़ क्षेत्र में पिछले तीन दिनों से एक जंगली हाथी ने पूरे इलाके में आतंक फैला रखा है। शनिवार को तो स्थिति और गंभीर हो गई जब इस हाथी ने एक यात्री बस को अपना ठिकाना बना लिया और करीब तीन घंटे तक बस के अंदर उत्पात मचाता रहा। बस में रखे खाने-पीने के सामान और छठ का प्रसाद को भी उसने खा लिया।
यात्रियों की बस पर हाथी का कब्जा
जानकारी के अनुसार, लातेहार से महुआडांड़ जा रही एक यात्री बस जैसे ही बारेसांढ़ थाना क्षेत्र के पास पहुंची, सड़क पर अचानक एक जंगली हाथी आ गया। स्थिति को भांपते हुए चालक ने तुरंत बस रोक दी और यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी।
हालांकि कुछ ही देर में हाथी बस के करीब पहुंच गया और उसने बस की खिड़कियां और गेट तोड़ दिए। इसके बाद वह बस के अंदर रखे सामान को खाने लगा, जिसमें यात्रियों का छठ पूजा का प्रसाद भी शामिल था। करीब तीन घंटे तक चली इस घटना के दौरान ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गई।
एक स्थानीय ग्रामीण ने कहा: “हाथी बस के पास से हिलने का नाम नहीं ले रहा था, हम सब दूर से भयभीत होकर तमाशा देखते रहे।”
झुंड से बिछड़ा हाथी कर रहा है उत्पात
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, यह हाथी अपने झुंड से बिछड़ गया है और लगातार शहरी इलाकों में प्रवेश कर रहा है। भीड़ के कारण वन कर्मियों को हाथी को सुरक्षित जंगल की ओर मोड़ने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
रेंजर नंदकुमार महतो ने बताया: “भीड़ के कारण हाथी को खाली रास्ता नहीं मिल पाता, जिससे उसे नियंत्रित करना और जंगल की ओर भेजना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।”
उन्होंने कहा कि टीम लगातार क्षेत्र में गश्त कर रही है और हाथी को किसी तरह जंगल की दिशा में वापस भेजने की कोशिशें जारी हैं।
घरों और दुकानों को पहुंचा नुकसान
हाथी ने बस के अलावा बारेसांढ़ थाना मुख्यालय के आसपास के कई घरों और दुकानों को भी नुकसान पहुंचाया है। कई जगह दीवारें और टिनशेड टूट गए। हालांकि अब तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
दो दिन पहले यही हाथी महुआडांड़ अनुमंडल मुख्यालय में लगभग पांच घंटे तक रहा, जिससे शहरी क्षेत्र में दहशत फैल गई थी।
ग्रामीणों में भय और वन विभाग की चुनौती
ग्रामीणों ने बताया कि जहां भी यह हाथी पहुंचता है, लोग उसके पीछे-पीछे भीड़ के रूप में चल पड़ते हैं, जिससे हाथी और अधिक उत्तेजित हो जाता है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि हाथी के पास जाने से बचें और स्थिति को नियंत्रित करने में वन विभाग की मदद करें।
न्यूज़ देखो: जंगल और शहर के बीच संतुलन जरूरी
महुआडांड़ की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच बिगड़ते संतुलन की चेतावनी है। लगातार हो रहे वनों के कटाव और बसावट के विस्तार ने हाथियों को उनके प्राकृतिक आवास से भटका दिया है। अब जरूरी है कि सरकार और वन विभाग मिलकर ऐसी योजनाएँ बनाएं, जिससे इंसान और जानवर दोनों सुरक्षित रह सकें।
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सह-अस्तित्व की दिशा में कदम
यह घटना हमें याद दिलाती है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य ही हमारी सुरक्षा की गारंटी है। जब तक हम वन्यजीवों के अधिकारों का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। आइए, जागरूक नागरिक बनें, वन विभाग के प्रयासों में सहयोग करें और अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखें।
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