
#लातेहार #हाथीआतंक : रेलवे ट्रैक तक पहुंचा हाथी — घरों की बाउंड्री तोड़ी, अनाज भी खाया
- झुंड से बिछड़ा जंगली हाथी पहुंचा लातेहार जिला मुख्यालय।
- धर्मपुर, स्टेशन रोड, औरंगा नदी क्षेत्र में देखा गया।
- एक घर का गेट तोड़कर अंदर घुसा और अनाज खा गया।
- वन विभाग के लिए हाथी को खदेड़ना हुआ मुश्किल — उमड़ी भीड़ ने बनाया हालात जटिल।
- रेंजर नंदकुमार महतो ने लोगों से हाथी को रास्ता देने की अपील की।
शहरी सीमा में घुसा हाथी, लातेहार में मचा अफरा-तफरी
रविवार सुबह झुंड से अलग हुआ एक जंगली हाथी लातेहार जिला मुख्यालय में आ धमका। इससे पहले यह हाथी बेसरा गांव में दो घरों को ध्वस्त कर चुका था। मुखिया संजय उरांव और ग्रामीणों ने मिलकर शनिवार रात हाथी को गांव से बाहर तो खदेड़ दिया, लेकिन रविवार को हाथी शहरी क्षेत्र में घुस गया।
घर का गेट तोड़ा, अनाज खा गया — लोगों में दहशत
शहर में प्रवेश करने के बाद हाथी ने एक स्थानीय निवासी के घर का गेट तोड़ दिया और अनाज चट कर गया। उसके बाद हाथी धर्मपुर पहुंचा, जहां उसने एक व्यक्ति की बाउंड्री दीवार गिरा दी। शोरगुल होते ही वह औरंगा नदी की ओर भागा, लेकिन थोड़ी ही देर में स्टेशन रोड की ओर मुड़ गया। इस आवाजाही से पूरे शहर में डर का माहौल बन गया है।
वन विभाग अलर्ट, लेकिन जनता बना रही बाधा
वन विभाग की टीम हाथी को सुरक्षित जंगल की ओर वापस भेजने में जुटी है, लेकिन उत्सुक लोगों की भीड़ के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हाथी शोर और भीड़ के कारण उग्र हो रहा है और शहर में अनियंत्रित दिशा में भाग रहा है।
रेंजर नंदकुमार महतो ने कहा: “हमारी टीम लगातार प्रयास कर रही है कि हाथी को बिना नुकसान जंगल की ओर ले जाया जाए, लेकिन लोगों की भीड़ और हल्ला से हाथी रास्ता नहीं पा रहा है। हमने सभी से अपील की है कि हाथी को छेड़ें नहीं और उसे निकलने का रास्ता दें।”
बार-बार जंगल से शहर की ओर क्यों आ रहे हाथी?
स्थानीय जानकारों का कहना है कि वन क्षेत्र में भोजन की कमी, अवैध अतिक्रमण और तेजी से घटते जंगलों के कारण हाथी मानव बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। अकेले लातेहार जिले में पिछले 6 महीने में कई बार हाथियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में नुकसान पहुंचाया है, जिससे मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं।
न्यूज़ देखो: शहरीकरण की मार झेलते जंगल और बेचैन हाथी
यह घटना दिखाती है कि वन्यजीवों और इंसानों के बीच टकराव लगातार गहराता जा रहा है। वन विभाग की तत्परता सराहनीय है, लेकिन यदि नागरिक सहयोग न दें, तो संकट और बढ़ सकता है। हमें समझना होगा कि हाथी हमारा दुश्मन नहीं, बल्कि बेघर भटका मेहमान है, जिसे शांति से अपने जंगल लौटने देना चाहिए।
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जंगल और जानवरों को भी चाहिए हमारी समझदारी
हाथी की इस घटना से हमें यह सीखने की जरूरत है कि प्रकृति और वन्यजीवों के लिए जगह बनाना अब टालने का विषय नहीं, बल्कि जरूरी जिम्मेदारी है। यदि हम सतर्क, शांत और समझदार नागरिक बनें, तो ऐसी घटनाओं को टाला जा सकता है।
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