
#रमकंडा #हाथी_आतंक : भंडरिया वन क्षेत्र में देर रात हाथी ने मचाया उत्पात — दिकू नायक समेत कई परिवार हुए बेघर, वन विभाग ने मुआवजे का दिया आश्वासन
- रमकंडा प्रखंड के कुशवार, बिराजपुर, रोदो और अवराझेरिया गांवों में हाथी ने किया हमला
- दिकू नायक का घर पूरी तरह ध्वस्त, अनाज और सामान भी तबाह
- शहद मियां, सोपान सिंह, भैरो सिंह समेत कई ग्रामीणों को हुआ नुकसान
- वन विभाग के वाचर चंदन कुमार ने मौके पर पहुंचकर किया मुआवजे का वादा
- ग्रामीणों में दहशत का माहौल, रातभर जगते रहे लोग
- नुकसान के आकलन के बाद विभागीय कार्रवाई की बात कही गई
चार गांवों में तबाही मचा गया एक हाथी
गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड के भंडरिया वन क्षेत्र अंतर्गत कुशवार, बिराजपुर, रोदो और अवराझेरिया गांव सोमवार की रात एक जंगली हाथी के हमले से दहल उठे। ग्रामीणों के अनुसार, यह हाथी अचानक गांव में घुस आया और घरों को तहस-नहस कर दिया।
दिकू नायक का घर पूरी तरह तबाह
कुशवार गांव के निवासी दिकू नायक का घर इस हमले में सबसे अधिक प्रभावित हुआ। हाथी ने उनके पूरे घर को ध्वस्त कर दिया, साथ ही घर में रखे अनाज, बर्तन और जरूरी सामान को या तो खा गया या पैरों तले कुचल दिया। बरसात के मौसम में दिकू नायक अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं और अस्थायी ठिकाने की तलाश कर रहे हैं।
अन्य ग्रामीणों को भी भारी नुकसान
दिनेश नायक (कुशवार), सोपान सिंह और भैरो सिंह (रोदो), तथा शहद मियां (बिराजपुर) के घर भी हाथी के हमले की चपेट में आए। शहद मियां की चारदीवारी पूरी तरह ढह गई। ग्रामीणों का कहना है कि हाथी ने घरों में घुसकर अनाज खाया, फर्नीचर तोड़ा और सामान बर्बाद किया। गांवों में रातभर अफरा-तफरी और भय का माहौल रहा। लोग रातभर जागकर अपनी जान-माल की रक्षा करते रहे।
वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची
घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग के वाचर चंदन कुमार मौके पर पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर हालात का जायजा लिया और कहा कि नुकसान के आकलन के बाद सभी पीड़ितों को सरकारी मुआवजा उपलब्ध कराया जाएगा। वन विभाग ने घटनास्थल पर हाई अलर्ट जारी कर दिया है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से निपटा जा सके।
वाचर चंदन कुमार ने कहा: “प्राथमिक जांच के आधार पर क्षति का आकलन किया जा रहा है और शीघ्र ही संबंधित प्रक्रिया के तहत मुआवजे का वितरण किया जाएगा।”
न्यूज़ देखो: दहशत के बीच समाधान की जरूरत
न्यूज़ देखो मानता है कि अब वक्त मुआवजे से आगे सोचने का है। हर बार हादसे के बाद राहत देना पर्याप्त नहीं है। वन विभाग और प्रशासन को चाहिए कि हाथियों की Geo Tagging की जाए ताकि उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। समय रहते चेतावनी मिलने पर जान-माल की रक्षा संभव है।
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सतर्कता और तकनीक ही है समाधान की कुंजी
जंगल और ग्रामीण बस्तियों की सीमा पर लगातार हो रही ऐसी घटनाएं यह संकेत देती हैं कि अब प्रशासन को तकनीकी समाधानों को अपनाना होगा। ग्रामीणों को भी जागरूक करना और उनके लिए चेतावनी व्यवस्था तैयार करना जरूरी है।
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