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डुमरी प्रखंड में जंगली हाथी का तांडव: खेतली पंचायत के लावाबार गांव में घर तोड़कर मचाई दहशत

#डुमरी #हाथीकातांडव : खेतली पंचायत के लावाबार गांव में देर रात जंगली हाथी ने घर तोड़ा, ग्रामीणों में दहशत और गुस्सा

गुमला: डुमरी प्रखंड के खेतली पंचायत के लावाबार गांव में बीती रात लगभग 11 बजे जंगली हाथी ने जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान गांव निवासी तेजकुंवर लकड़ा का घर हाथी ने बुरी तरह तोड़ दिया। घटना के समय पूरा परिवार घर में सो रहा था, लेकिन गनीमत रही कि सभी समय रहते बाहर निकल गए और एक बड़ी अनहोनी टल गई।

धान के भंडार ने खींचा हाथी को

ग्रामीणों के अनुसार, तेजकुंवर लकड़ा के घर के पास धान का भंडार रखा हुआ था। धान की गंध पाकर हाथी वहां पहुंचा और अंदर घुसने की कोशिश करने लगा। इसी दौरान घर की दीवारें और सामान क्षतिग्रस्त हो गए। परिवार के लोग भयभीत होकर इधर-उधर भागे।

उपमुखिया ने पहुंचाई मदद

घटना की जानकारी मिलते ही पंचायत उपमुखिया जवाहर कवर तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार को टॉर्च उपलब्ध कराई ताकि ग्रामीण हाथी को भगाने में मदद कर सकें। साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया कि प्रशासनिक स्तर पर उन्हें मुआवजा दिलाने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

गांव में दहशत और आक्रोश

लावाबार गांव के लोग इस घटना से बेहद दहशत में हैं। ग्रामीणों ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब हाथियों ने इस इलाके में तबाही मचाई हो। लगातार हो रही घटनाओं से लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि हाथियों की बढ़ती आवाजाही और हमलों पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और प्रभावित परिवारों को तुरंत मुआवजा दिया जाए।

एक ग्रामीण ने कहा: “हर रात हम डर के साये में जी रहे हैं। अगर प्रशासन ने जल्दी समाधान नहीं निकाला तो कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।”

न्यूज़ देखो: जंगली हाथियों का बढ़ता आतंक बन रहा गंभीर संकट

डुमरी प्रखंड की यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष दिन-ब-दिन गंभीर रूप लेता जा रहा है। लगातार हो रहे हाथी हमले न केवल ग्रामीणों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि उनकी जिंदगियों को भी खतरे में डाल रहे हैं। अब जरूरी है कि वन विभाग और प्रशासन मिलकर दीर्घकालिक समाधान की ओर कदम बढ़ाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब समय है ठोस कदम उठाने का

जंगली हाथियों का आतंक केवल नुकसान ही नहीं बल्कि भय का स्थायी माहौल पैदा कर रहा है। ऐसे में हम सबको जागरूक होकर प्रशासन पर ठोस कार्ययोजना की मांग करनी चाहिए। अब वक्त है कि इंसान और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाकर ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि आवाज बुलंद हो सके।

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