
#गुमला #हाथीकाप्रकोप : रेंगारी गांव में चार हाथियों के झुंड ने धान की फसल रौंदी प्रशासनिक उदासीनता पर ग्रामीणों का गुस्सा
- जारी थाना क्षेत्र के रेंगारी गांव में जंगली हाथियों का झुंड घुसा।
- संजीप कुजूर के कई एकड़ धान की फसल को हाथियों ने रौंदा।
- ग्रामीणों ने बताया कि चटकपुर, श्रीनगर और कोडी गांव में भी हाथियों का आतंक।
- शाम होते ही हाथी गांव में प्रवेश कर घर और खेतों में तोड़फोड़ करते हैं।
- ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया।
गुमला जिला के जारी थाना क्षेत्र के रेंगारी गांव में बीती रात जंगली हाथियों के झुंड ने जमकर उत्पात मचाया। चार हाथियों के दल ने खेतों में घुसकर ग्रामीण संजीप कुजूर की कई एकड़ में खड़ी धान की फसल को पूरी तरह रौंद दिया। संजीप कुजूर का कहना है कि उनकी आजीविका पूरी तरह खेती पर निर्भर है, लेकिन बार-बार हाथियों के हमले ने उनका जीवन संकट में डाल दिया है।
लगातार बना हुआ हाथियों का आतंक
ग्रामीणों ने बताया कि जंगली हाथियों का प्रकोप सिर्फ रेंगारी तक सीमित नहीं है, बल्कि आसपास के चटकपुर, श्रीनगर और कोडी गांव भी लंबे समय से प्रभावित हैं। कभी हाथी घरों को तोड़ते हैं तो कभी खेतों की तैयार फसल को बर्बाद कर देते हैं। इस कारण ग्रामीणों की मेहनत और सालभर की कमाई पलभर में नष्ट हो जाती है।
ग्रामीणों की जद्दोजहद
ग्रामीणों ने कहा कि जैसे ही शाम होती है, हाथियों का झुंड गांव में घुस आता है। वे किसी तरह शंख नदी पार कर हाथियों को बमहणी या बुकमा की ओर खदेड़ते हैं। लेकिन वहां के ग्रामीण भी हाथियों को भगा कर वापस लौटा देते हैं। इस तरह हाथियों का आना-जाना एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड तक चलता रहता है और सभी गांवों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
प्रशासन और वन विभाग पर सवाल
ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन पर आरोप लगाया कि लगातार घटनाओं के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। न ही हाथियों को रोकने की व्यवस्था की जा रही है और न ही पीड़ित किसानों को मुआवजा मिल रहा है। लोगों का कहना है कि जब तक ठोस समाधान नहीं निकाला जाएगा तब तक ग्रामीणों की फसलें और जिंदगी दोनों खतरे में बनी रहेंगी।


न्यूज़ देखो: हाथियों के आतंक से ग्रामीणों की बेबसी
यह घटना बताती है कि वन्यजीव और मानव संघर्ष किस हद तक ग्रामीणों की आजीविका को प्रभावित कर रहा है। प्रशासन और वन विभाग की निष्क्रियता से किसानों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। अब जरूरी है कि सरकार तत्काल प्रभावी कदम उठाए और पीड़ित किसानों को मुआवजा उपलब्ध कराए।
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अब जागरूकता और कार्रवाई दोनों जरूरी
समय आ गया है कि हम सब इस मुद्दे पर गंभीरता से आवाज उठाएं। प्रशासन को ठोस समाधान पर मजबूर करने के लिए जनभागीदारी बढ़ानी होगी। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि किसानों की समस्या सामने आ सके और उन्हें न्याय मिल सके।