
#गिरिडीह #सिंचाई_परियोजना : मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना के तहत तालाब निर्माण के लिए ग्रामसभाएं होंगी आयोजित — दूधनिया में इंटेक वेल का निर्माण जारी
- 116 तालाबों के निर्माण के लिए भूमि चयन की प्रक्रिया शुरू।
- ग्रामसभा के माध्यम से भूमि चयन के निर्देश बीडीओ ने दिए।
- दूधनिया गांव में इंटेक वेल निर्माण कार्य प्रगति पर।
- पाइपलाइन से खेतों तक पानी पहुंचाने की योजना।
- परियोजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र को सिंचित और सशक्त बनाना।
मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना से बदलेगी पीरटांड़ की खेती की तस्वीर
गिरिडीह जिले के पीरटांड़ प्रखंड में किसानों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी होती दिख रही है। मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना के तहत 116 तालाबों के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य प्रखंड के अधिकतम खेतों को सालभर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना है, जिससे खेती की निर्भरता मानसून पर न रहे और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हो।
बीडीओ ने दिए ग्रामसभा से भूमि चयन के निर्देश
पीरटांड़ प्रखंड सभागार में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में बीडीओ मनोज कुमार मरांडी ने सभी पंचायतों के मुखिया और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि तालाब निर्माण के लिए उपयुक्त स्थानों का चयन ग्रामसभा के माध्यम से पारदर्शिता के साथ किया जाए।
बीडीओ मनोज कुमार मरांडी ने कहा: “हर पंचायत में शीघ्र ग्रामसभा आयोजित कर संभावित स्थानों की पहचान सुनिश्चित करें, जिससे योजना समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ सके।”
यह पहल स्थानीय सहभागिता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
दूधनिया गांव में बन रहा है इंटेक वेल, होगा पूरे प्रखंड को जल आपूर्ति
इस परियोजना के केंद्र में दूधनिया गांव में तैयार हो रहा एक विशाल इंटेक वेल है, जो योजना की रीढ़ की हड्डी होगा। यहीं से पाइपलाइन द्वारा प्रखंड के विभिन्न तालाबों और खेतों तक पानी पहुंचाया जाएगा। इस वेल से गुरुत्वाकर्षण आधारित जल आपूर्ति प्रणाली के माध्यम से बिना मोटर या विद्युत के पानी को दूरदराज तक पहुँचाने की योजना है।
यह सिस्टम ग्रामीण इलाकों के लिए अधिक टिकाऊ और कम लागत वाला समाधान माना जा रहा है।
सिंचाई सुविधाओं से बढ़ेगा उत्पादन, कम होगी पलायन की मजबूरी
तालाब निर्माण से जहां फसलों की सिंचाई निर्बाध होगी, वहीं बेरोजगारी और पलायन की समस्या में भी कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद है। स्थानीय किसान अब दूसरे राज्यों पर निर्भर रहने के बजाय अपनी भूमि में कई फसलें ले सकेंगे, जिससे उनका आर्थिक स्तर बेहतर होगा।
स्थानीय किसान शिवनाथ महतो ने कहा: “अगर यह योजना सफल होती है, तो हम धान के साथ-साथ सब्जियां और मसाले भी उगा पाएंगे — अब खेत बंजर नहीं रहेंगे।”
न्यूज़ देखो: गांव-गांव सिंचाई क्रांति की ओर उम्मीद की लहर
‘न्यूज़ देखो’ यह मानता है कि गिरिडीह जिले में सिंचाई योजनाओं पर बढ़ता ध्यान ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती की दिशा में एक निर्णायक बदलाव का संकेत है। पीरटांड़ की यह पहल यदि सफल होती है, तो यह मॉडल झारखंड के अन्य सूखाग्रस्त इलाकों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है।
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खेतों की हरियाली में छिपा है गांवों का उज्ज्वल भविष्य
पानी अगर समय पर खेतों तक पहुंचे, तो मेहनत रंग लाती है। इसलिए आइए, इस खबर को साझा करें, अपने विचार कमेंट में बताएं, और जागरूकता फैलाएं, ताकि हर किसान तक यह योजना की जानकारी पहुंचे और उसका लाभ उठा सके।