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शिवम आयरन फैक्ट्री हादसे में मजदूर की मौत: मुआवजे और सुरक्षा पर उठा बड़ा सवाल

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#गिरिडीह #औद्योगिकहादसा : मजदूर की मौत पर फैक्ट्री प्रबंधन की लापरवाही के खिलाफ माले नेताओं और ग्रामीणों का विरोध
  • शिवम आयरन फैक्ट्री में हादसे के दौरान एक मजदूर की मौत।
  • इस साल फैक्ट्री में चौथा बड़ा हादसा, सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल।
  • माले नेता राजेश सिन्हा और कन्हाई पांडेय के नेतृत्व में ग्रामीणों ने जताया आक्रोश।
  • विरोध प्रदर्शन में JMM, BJP और कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल।
  • मांग उठी कि एक घंटे के भीतर मुआवजा तय करने वाली कमिटी बनाई जाए।
  • मृतक के परिजनों को 25 लाख मुआवजा और 50,000 दाह संस्कार के लिए दिया गया।

गिरिडीह के शिवम आयरन फैक्ट्री में हुए हादसे ने मजदूर सुरक्षा और फैक्ट्री प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गहरी चोट कर दी है। हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई, जो इस साल का चौथा बड़ा हादसा है। घटना के बाद फैक्ट्री परिसर में ग्रामीणों, राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गुस्से का इजहार किया।

फैक्ट्री हादसों की श्रृंखला

शिवम आयरन फैक्ट्री में लगातार हो रहे हादसों ने मजदूरों और उनके परिवारों की चिंता बढ़ा दी है। चार बड़े हादसों में अब तक कई मजदूर अपनी जान गंवा चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि फैक्ट्री प्रबंधन हर बार हादसे के बाद कुछ वादे करता है लेकिन जमीनी स्तर पर सुधार नजर नहीं आता।

माले और अन्य दलों का विरोध

हादसे की जानकारी मिलते ही माले नेता राजेश सिन्हा और कन्हाई पांडेय घटनास्थल पहुंचे। उनके साथ ग्रामीणों के अलावा JMM, BJP और अन्य सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। सभी ने मिलकर फैक्ट्री प्रबंधन की लापरवाही पर सवाल उठाए और मृतक के परिवार को तुरंत उचित मुआवजा देने की मांग की।

नेताओं की सख्त टिप्पणी

माले नेताओं ने साफ कहा कि गिरिडीह में हादसे आम बात हो चुकी है। हर घटना के बाद भीड़ जुटती है, नेता और प्रशासन आते हैं, लेकिन सुधार का नाम तक नहीं लिया जाता

माले नेता राजेश सिन्हा ने कहा: “हर हादसे के बाद सिर्फ आश्वासन दिए जाते हैं, जबकि मजदूरों की सुरक्षा और अधिकारों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। अब वक्त आ गया है कि फैक्ट्री प्रबंधन को जवाबदेह बनाया जाए।”

मुआवजा और मांगें

मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा और 50,000 रुपये दाह संस्कार के लिए दिया गया है। लेकिन नेताओं और ग्रामीणों का कहना है कि यह राशि मजदूर की जान का पूरा न्याय नहीं है। उन्होंने मांग की कि एक ऐसी कमिटी बनाई जाए जो किसी भी हादसे की स्थिति में एक घंटे के भीतर मुआवजा तय कर सके

मजदूर सुरक्षा पर सवाल

बैठक में यह भी चर्चा हुई कि फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों की सही सूची तैयार की जाए और उनकी सुरक्षा की गारंटी हो। नेताओं ने राज्य सरकार द्वारा घोषित 70% लोकल मजदूरों की भर्ती के वादे को भी लागू करने की मांग की।

बैठक में माले नेताओं के साथ गुलाब कोल, मसूदन कोल, असंगठित मजदूर मोर्चा के साथी, किशोर राय, सुनील ठाकुर, दानीनाथ पांडेय और भीम कोल मौजूद रहे। सभी ने एक सुर में मजदूरों के हित में ठोस कदम उठाने की मांग की।

न्यूज़ देखो: हादसों पर कब लगेगी लगाम

शिवम आयरन फैक्ट्री का यह हादसा केवल एक मजदूर की जान जाने की घटना नहीं है, बल्कि यह हमारी औद्योगिक व्यवस्था की कमजोरियों की पोल खोलता है। जब तक मजदूरों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी और प्रबंधन को जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

मजदूर सुरक्षा सबसे बड़ी जिम्मेदारी

यह हादसा हमें यह याद दिलाता है कि मजदूर सिर्फ उत्पादन का साधन नहीं, बल्कि समाज की रीढ़ हैं। हमें उनकी सुरक्षा और अधिकारों के लिए खड़े होना होगा। आइए इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट करें और आवाज बुलंद करें ताकि मजदूरों का खून यूं ही जाया न हो।

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