
#गढ़वा #मंडलकारायोगदिवस : बंदियों और कर्मियों ने एक साथ किया योगाभ्यास — सुधार की दिशा में जेल प्रशासन की रचनात्मक पहल
- 21 जून को गढ़वा मंडल कारा में हुआ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन
- अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार की अध्यक्षता में कार्यक्रम का संचालन
- योग प्रशिक्षक प्रमोद कुमार सिंह ने कराया प्राणायाम और ध्यान
- बंदियों ने साझा किए अनुभव, कहा— “योग से मिली शांति”
- योग को जीवनशैली में शामिल करने की दिलाई गई शपथ
योग से आत्म-संवर्धन की ओर गढ़वा मंडल कारा का प्रयास
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर गढ़वा मंडल कारा परिसर में शुक्रवार को एक विशेष योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अनुमंडल पदाधिकारी सह जेल अधीक्षक संजय कुमार ने की। इस मौके पर जेलकर्मियों और बंदियों दोनों की सक्रिय सहभागिता देखने को मिली।
आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षक ने कराया अभ्यास
सुबह 7 बजे शुरू हुए योग सत्र का संचालन प्रसिद्ध योग प्रशिक्षक प्रमोद कुमार सिंह ने किया। उन्होंने उपस्थित बंदियों को योगासन, प्राणायाम और ध्यान के व्यावहारिक अभ्यास के साथ-साथ इसके मानसिक, शारीरिक और आत्मिक लाभों के बारे में विस्तार से बताया।
बंदियों को मिला आत्मिक सुकून
कार्यक्रम के दौरान कई बंदियों ने अपने अनुभव साझा किए। एक बंदी ने बताया कि योग से उसे मन में अजीब सी शांति और नियंत्रण की अनुभूति हुई है। जेल प्रशासन ने योग को एक सुधारात्मक प्रक्रिया के रूप में अपनाते हुए, बंदियों को आत्मसंयम और मानसिक मजबूती की ओर प्रेरित किया।
योग: जेल सुधार की एक नई दिशा
जेल अधीक्षक संजय कुमार ने कहा कि योग सिर्फ व्यायाम नहीं, बल्कि आत्म-संवर्धन का माध्यम है। जेल प्रशासन का लक्ष्य केवल निगरानी नहीं, बल्कि बंदियों के जीवन में सकारात्मक और सुधारात्मक बदलाव लाना भी है। योग उस दिशा में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन सकता है।
संकल्प और सहभागिता का संदेश
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने की शपथ दिलाई गई। इस आयोजन में कारापाल मेहशाद आलम, योग प्रशिक्षिका आयुषी, सहित अन्य जेलकर्मी और बंदी उपस्थित रहे।

न्यूज़ देखो: जेलों में योग के माध्यम से सामाजिक पुनर्वास की पहल
गढ़वा मंडल कारा में योग दिवस का यह आयोजन बंदियों के पुनर्वास और मानसिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने की दिशा में एक प्रशंसनीय पहल है। योग के माध्यम से जहां आत्मनियंत्रण और अनुशासन की भावना विकसित होती है, वहीं यह बंदियों को समाज की मुख्यधारा में पुनः जोड़ने का सेतु बनता है।
न्यूज़ देखो ऐसे सुधारात्मक प्रयासों को सामने लाकर प्रशासनिक सोच और मानवीय पहल की सराहना करता है।
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सुधार की राह पर योग बन रहा है मार्गदर्शक
योग केवल शरीर को ही नहीं, बल्कि मन और आत्मा को भी संतुलन में लाता है। जेल जैसे सीमित वातावरण में जब बंदी योग को अपनाते हैं, तो यह समाज के लिए सकारात्मक परिवर्तन की शुरुआत मानी जा सकती है।
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