
#चतरा #सामाजिक_सेवा : युवा समाजसेवी गौतम रविदास ने आवश्यक सामग्री प्रदान की और अच्छे विद्यालय में नामांकन कराने की पहल की।
- गौतम रविदास ने सर्वेश कुमार (12 वर्ष) और रईस कुमार (7 वर्ष) से मुलाकात।
- पोटम गांव में रह रहे दोनों अनाथ भाइयों की स्थिति का लिया जायजा।
- आलू, दाल, तेल, साबुन सहित उपयोगी सामग्रियां उपलब्ध कराईं।
- बच्चों को अच्छे विद्यालय में नामांकन का लक्ष्य।
- अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय में जनवरी में नामांकन हेतु सहमति।
लावालौंग प्रखंड क्षेत्र के पोटम गांव में झोपड़ी में रह रहे अनाथ भाइयों की दयनीय स्थिति जानने और सहायता करने का सिलसिला लगातार जारी है। प्रशासन, जनप्रतिनिधि और समाजसेवी अपने-अपने स्तर से मदद कर रहे हैं। इसी क्रम में रविवार को युवा समाजसेवी एवं पूर्व जिला परिषद प्रत्याशी गौतम रविदास पोटम गांव पहुंचे और बच्चों से मिलकर उनकी आवश्यकताओं और समस्याओं को समझा। मुलाकात के दौरान उन्होंने न सिर्फ बच्चों को आवश्यक सामग्री सौंपी, बल्कि उनके भविष्य को सुरक्षित और शिक्षित बनाने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए।
दो अनाथ भाइयों की दयनीय स्थिति पर चिंता
पोटम गांव के 12 वर्षीय सर्वेश कुमार और 7 वर्षीय रईस कुमार एक साधारण झोपड़ी में रहते हैं और अपनी जिंदगी किसी तरह गुजार रहे हैं। उनके माता-पिता के निधन के बाद उनका सहारा केवल समाज और प्रशासन है। गांव के लोग भी लगातार मदद की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन बच्चों की स्थिति देखकर गहरी चिंता पैदा होती है।
गौतम रविदास की मुलाकात और मदद
रविवार को जब गौतम रविदास गांव पहुंचे तो पहले उन्होंने दोनों बच्चों से बातचीत की और उनके दैनिक जीवन की परिस्थितियों को समझा। इसके बाद उन्होंने आलू, दाल, तेल, नहाने-धोने की साबुन सहित कई आवश्यक सामान बच्चों को दिए, ताकि उनकी दैनिक जरूरतें कुछ दिनों के लिए आसानी से पूरी हो सकें।
गौतम रविदास ने स्पष्ट कहा कि सहायता केवल भोजन भर नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य का निर्माण भी महत्वपूर्ण है।
शिक्षा को प्राथमिकता: विद्यालय में नामांकन की पहल
मुलाकात के दौरान गौतम रविदास ने कहा कि भोजन और आवास के साथ-साथ इन बच्चों के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
उन्होंने जानकारी दी कि उनका पहला लक्ष्य दोनों अनाथ भाइयों को एक अच्छे विद्यालय में नामांकित करना है, ताकि वे शिक्षा से जुड़कर आगे बढ़ सकें।
इसी उद्देश्य से उन्होंने अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय के प्रिंसिपल से बातचीत की। प्रिंसिपल ने जनवरी महीने में दोनों बच्चों के नामांकन पर सहमति जताई है, जिससे बच्चों के लिए शिक्षा के नए द्वार खुलेंगे।
ग्रामीणों ने सराहना की पहल
मुलाकात के दौरान कई ग्रामीण उपस्थित रहे। गांव के लोगों ने गौतम रविदास की इस संवेदनशील पहल की सराहना की और कहा कि ऐसी मदद से अनाथ बच्चों को सहारा मिलता है और समाज में सकारात्मक संदेश जाता है।
न्यूज़ देखो: संवेदनशीलता ही समाज की ताकत
इस घटना से स्पष्ट होता है कि समाज में ऐसे लोग अभी भी मौजूद हैं जो विपरीत परिस्थितियों में जी रहे बच्चों के जीवन में आशा की किरण जगाने का काम करते हैं। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ जब समाजसेवी आगे आते हैं, तो ऐसी पहलें और मजबूत होकर सामने आती हैं। जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा दिलाने की पहल वास्तव में स्थायी बदलाव की दिशा में बड़ा कदम है।
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बच्चों के भविष्य के लिए हम सबकी जिम्मेदारी
ऐसी घटनाएं समाज को संवेदनशील बनने और जरूरतमंद परिवारों की मदद के लिए आगे आने की प्रेरणा देती हैं। शिक्षा और सुरक्षा हर बच्चे का अधिकार है, और हमारे छोटे-छोटे प्रयास किसी मासूम के जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। आइए, मानवता और सहयोग की इस राह में हम भी अपना योगदान दें।
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