#गुमला #सड़कसुरक्षा : तीन माह के विशेष अभियान में 600 से अधिक चालकों पर कार्रवाई, 1600 को किया गया जागरूक — उपायुक्त ने कहा सुरक्षा सबकी जिम्मेदारी
- तीन माह में चला विशेष सड़क सुरक्षा अभियान।
- 600 से अधिक चालकों पर बिना हेलमेट वाहन चलाने पर जुर्माना।
- 1600 वाहन चालकों को सड़क सुरक्षा पर काउंसलिंग।
- ब्लैक स्पॉट क्षेत्रों में विशेष जांच अभियान जारी।
- उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित ने कहा, सड़क सुरक्षा एक सामाजिक जिम्मेदारी।
गुमला जिले में सड़क सुरक्षा को लेकर चलाया जा रहा ज़ीरो टॉलरेंस अभियान अब असर दिखाने लगा है। उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित के नेतृत्व में पिछले तीन महीनों से जिलेभर में सघन वाहन जांच और जन-जागरूकता अभियान चलाया गया, जिसके परिणामस्वरूप सड़क दुर्घटनाओं में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। उपायुक्त की अध्यक्षता में आयोजित समीक्षा बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया था कि जिले में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस और निरंतर कदम उठाए जाएंगे।
सड़क सुरक्षा पर सख़्ती और प्रभावी निगरानी
जिला परिवहन पदाधिकारी ज्ञान शंकर जायसवाल के नेतृत्व में जुलाई से सितंबर 2025 तक पूरे जिले में सड़क सुरक्षा को लेकर विशेष ड्राइव चलाई गई। इस दौरान बिना हेलमेट, नशे में वाहन चलाने, ओवरस्पीडिंग, मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाने जैसे उल्लंघनों पर सख्त कार्रवाई की गई। अब तक 1600 चालकों की काउंसलिंग की गई है और 600 से अधिक चालकों पर चालान जारी किया गया है।
उपायुक्त ने कहा कि यह अभियान केवल दंडात्मक नहीं बल्कि जन-जागरूकता आधारित है, ताकि लोग नियमों के महत्व को समझें और सुरक्षित यात्रा को अपनी आदत बनाएं।
दुर्घटना-प्रवण क्षेत्रों में बढ़ी निगरानी
प्रशासन ने सड़क दुर्घटनाओं के संभावित कारणों को चिन्हित कर करम डीपा, पालकोट रोड, उर्मी बाईपास, नगफेनी टोल प्लाजा, भरनो, चंदाली, करौंदी, रामनगर चौक जैसे ब्लैक स्पॉट इलाकों में गहन जांच अभियान शुरू किया है।
DTO ज्ञान शंकर जायसवाल ने कहा: “निरंतर जांच और जन-जागरूकता के कारण अब इन क्षेत्रों में दुर्घटनाओं में कमी आई है। हमारा लक्ष्य है कि हर सड़क सुरक्षित बने।”
परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच दुर्घटनाओं की संख्या लगातार घट रही है। अप्रैल में जहां 30, मई में 27, जून में 24, जुलाई में 18, अगस्त में 19 और सितंबर में 17 दुर्घटनाएं दर्ज हुईं।
सामाजिक दृष्टिकोण से सड़क सुरक्षा की आवश्यकता
उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं केवल प्रशासनिक चुनौती नहीं बल्कि एक सामाजिक त्रासदी हैं, जिससे पूरे परिवार प्रभावित होते हैं। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे स्वयं नियमों का पालन करें और दूसरों को भी प्रेरित करें।
उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित ने कहा: “सड़क सुरक्षा प्रशासन की नहीं, हर नागरिक की जिम्मेदारी है। जब तक समाज खुद नहीं बदलेगा, सड़कें सुरक्षित नहीं बन सकतीं।”
जन-जागरूकता और सामाजिक भागीदारी
प्रशासन ने सड़क सुरक्षा को जनआंदोलन का रूप देने के लिए विद्यालयों, कॉलेजों और पंचायत स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं। उपायुक्त के मार्गदर्शन में गरीब और असहाय चालकों को निःशुल्क हेलमेट भी वितरित किए गए। हर माह उपायुक्त स्वयं समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करती हैं और अधिकारियों को निर्देश देती हैं कि सड़क नियम तोड़ने वालों के प्रति “शून्य सहिष्णुता नीति” अपनाई जाए।
जिला प्रशासन का लक्ष्य है कि आने वाले महीनों में ब्लैक स्पॉट क्षेत्रों का सुधार कार्य, सघन जांच अभियान और निरंतर जनजागरूकता के माध्यम से गुमला को एक दुर्घटना-मुक्त जिला बनाया जाए।





न्यूज़ देखो: गुमला का अभियान बना उदाहरण
गुमला जिला प्रशासन का यह अभियान न केवल अनुशासन का प्रतीक है, बल्कि यह बताता है कि जब प्रशासन और जनता एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तो बदलाव संभव है। सड़क सुरक्षा केवल कानून पालन नहीं बल्कि जीवन रक्षा का विषय है। गुमला का मॉडल पूरे राज्य के लिए एक प्रेरक उदाहरण बन सकता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सुरक्षित यात्रा, जिम्मेदार नागरिक
सड़क सुरक्षा केवल नियमों का पालन नहीं, बल्कि जीवन के प्रति सम्मान है। अब समय है कि हम सब अपने और दूसरों की सुरक्षा के प्रति सजग हों। हेलमेट और सीट बेल्ट पहनें, नशे में वाहन न चलाएं, और अपने परिवार को भी इस जागरूकता से जोड़ें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और “सुरक्षित गुमला, सुरक्षित समाज” के संकल्प को आगे बढ़ाएं।