
#रांची #साइबरअपराध : अमेरिकी नागरिकों को धोखा देने वाले 12 आरोपियों की पहचान कर पुलिस ने कॉल सेंटरों पर कार्रवाई तेज की
- झारखंड पुलिस ने 12 साइबर अपराधियों की पहचान की।
- अमेरिकी नागरिकों को ठगने का आरोप सामने आया।
- जांच में कॉल सेंटरों के इस्तेमाल का खुलासा।
- आरोपी क्रिप्टोकरेंसी के जरिए कर रहे थे ठगी।
- सभी पर कड़ी निगरानी और कार्रवाई की तैयारी।
रांची से मिली बड़ी खबर के अनुसार झारखंड पुलिस ने अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाकर ठगी करने वाले 12 साइबर अपराधियों की पहचान कर ली है। पुलिस का कहना है कि यह रैकेट कॉल सेंटरों के जरिए संचालित हो रहा था और विदेशी ग्राहकों को तकनीकी सहायता एजेंट व बैंक अधिकारी बनकर गुमराह किया जा रहा था। अब पुलिस इस पूरे नेटवर्क पर शिकंजा कसने की तैयारी में जुट गई है।
कॉल सेंटरों के जरिए चल रहा साइबर नेटवर्क
जांच में सामने आया है कि जिले के टेल्को, गोविंदपुर और बिरसानगर थाना क्षेत्रों में सक्रिय कॉल सेंटरों से यह ठगी का कारोबार चल रहा था। यहां से विदेशी नागरिकों से संपर्क कर उन्हें फर्जी तकनीकी सेवाएं और बैंकिंग सहायता के नाम पर लूट का खेल खेला जा रहा था।
अचानक अमीर बने आरोपी
पुलिस अधीक्षक कुमार शिवाशीष ने बताया कि जिन लोगों की पहचान की गई है, वे एक साल पहले तक मामूली काम करते थे। अब उनके पास लक्ज़री कारें, फ्लैट और जमीनें हैं। पुलिस ने सभी से अपनी संपत्तियों के वैध दस्तावेज दिखाने को कहा है।
एसपी कुमार शिवाशीष ने कहा: “साइबर अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। कड़ी जांच और कार्रवाई के बाद पूरा रैकेट बेनकाब किया जाएगा।”
क्रिप्टोकरेंसी का सहारा
ठगी का तरीका भी पुलिस जांच में साफ हुआ है। आरोपियों ने विदेशी ग्राहकों से पैसे की वसूली क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से की, ताकि लेन-देन का कोई सीधा रिकॉर्ड न रहे। यह मॉडल अपराधियों के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन अब पुलिस ने इसकी कड़ी निगरानी शुरू कर दी है।
अधिकारियों को मिली जिम्मेदारी
पुलिस ने इस मामले में विशेष सतर्कता बरतते हुए डीएसपी रैंक के अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। निगरानी टीम लगातार कॉल सेंटरों पर नजर रखे हुए है और जल्द ही गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाएगी।
न्यूज़ देखो: साइबर अपराध पर सख्त शिकंजा जरूरी
यह मामला बताता है कि कैसे स्थानीय स्तर पर संचालित कॉल सेंटर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी कर रहे हैं। पुलिस की सक्रियता सराहनीय है, लेकिन इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए लगातार तकनीकी और कानूनी स्तर पर सख्त कदम उठाना जरूरी होगा।
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साइबर अपराध से बचने के लिए सतर्क रहना सबसे बड़ा हथियार है। ऑनलाइन लेन-देन और अनजान कॉल से बचाव ही सुरक्षा की पहली शर्त है। अब समय है कि हम सब मिलकर डिजिटल अपराधों के खिलाफ जागरूकता फैलाएं। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि जागरूकता और बढ़े।