
#गुमला #दर्दनाक_घटना : कुहीपाट डीपा टोली गांव में 16 वर्षीय छात्र ने कंडी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली—परिजन खेत में धान काटने गए थे, शाम को शव मिला।
- कुहीपाट डीपा टोली, घाघरा में 16 वर्षीय राजकुमार उरांव ने की आत्महत्या।
- घटना बुधवार दोपहर करीब 3 बजे घर में अकेले रहने के दौरान हुई।
- परिजन धान काटने खेत गए थे, लौटने पर कंडी से लटका शव देखा।
- मृतक दसवीं कक्षा का छात्र, सखुवापानी आवासीय विद्यालय में पढ़ता था।
- पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और जांच शुरू कर दी है।
- घटना से गांव में शोक और हैरानी, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल।
गुमला जिले के घाघरा प्रखंड के कुहीपाट डीपा टोली गांव में बुधवार दोपहर एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई जिसने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया। 16 वर्षीय राजकुमार उरांव, जो सखुवापानी आवासीय विद्यालय में दसवीं कक्षा का छात्र था, ने अपने ही घर के कंडी में फांसी लगाकर जीवन समाप्त कर लिया। घटना के समय घर में कोई मौजूद नहीं था क्योंकि उसके परिजन खेतों में धान कटाई के लिए गए थे। जब शाम को वे घर लौटे, तो कंडी में लटके बेटे को देखकर पूरे परिवार में चीख-पुकार मच गई। गांव के लोगों का कहना है कि राजकुमार पढ़ाई में ठीक था और हमेशा हँसता-खेलता दिखता था, इसलिए उसका यह कदम सभी को गहरे सदमे में डालने वाला है।
घर में अकेला था छात्र और लौटने पर टूटा कहर
घटना के बारे में परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार दोपहर सभी लोग रोज की तरह खेतों में काम करने निकले थे। राजकुमार भी छुट्टियों में घर आया हुआ था और दोपहर के समय अकेले ही घर पर था। लगभग तीन बजे के आसपास उसने फांसी लगा ली, लेकिन घर में किसी और के न होने से यह बात किसी को पता नहीं चल सकी।
शाम को जैसे ही परिजन घर लौटे, तो कंडी में लटके हुए उसके शव को देखकर सभी के होश उड़ गए। परिवारवालों ने तुरंत उसे नीचे उतारा, लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुका था। घटना की खबर फैलते ही ग्रामीण भी बड़ी संख्या में घर पर जुटे और गांव में मातम छा गया।
पढ़ाई में सामान्य, व्यवहार में सहज—फिर क्यों लिया ऐसा कदम?
राजकुमार उरांव दसवीं कक्षा में पढ़ता था और हाल ही में छुट्टियों के दौरान घर आया था। ग्रामीणों ने बताया कि वह मिलनसार और शांत स्वभाव का लड़का था। उसने कभी किसी तरह की समस्या या तनाव की बात अपने परिजनों से साझा नहीं की थी।
उसकी अचानक मौत ने न केवल परिवार, बल्कि पूरे गांव को हिलाकर रख दिया है। लोग यह समझ नहीं पा रहे कि आखिर एक प्रसन्नचित्त छात्र ने ऐसा कठोर और दर्दनाक कदम क्यों उठाया।
पुलिस ने शव भेजा पोस्टमार्टम, कारणों की जांच जारी
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर गुमला सदर अस्पताल भेज दिया है।
थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और अभी आत्महत्या के कारणों की स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी है। परिवार के बयान, आस-पड़ोस की जानकारी और मोबाइल फोन की जांच के आधार पर पुलिस घटना की तह तक जाने का प्रयास कर रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि घटना से पहले छात्र के व्यवहार में कोई असामान्य बदलाव नजर नहीं आया था, जिससे जांच और भी जटिल हो गई है।
गांव में पसरा मातम और बच्चों में बढ़ता तनाव का सवाल
राजकुमार की मौत के बाद गांव में शोक का माहौल है। हर कोई यही सोच रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ होगा कि एक किशोर छात्र ने ऐसा अतिवादी कदम उठाया।
आज के समय में बच्चों पर पढ़ाई, प्रतिस्पर्धा और सामाजिक दबाव का असर बढ़ रहा है। अभिभावकों का कहना है कि आज की पीढ़ी भावनात्मक तनाव को व्यक्त नहीं कर पाती, जिसके कारण ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। यह घटना भी समाज के सामने बच्चों की मानसिक स्थिति पर गंभीर प्रश्न खड़ा करती है।
स्कूल और गांव के लोगों में आघात
सखुवापानी आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाला यह छात्र सहपाठियों और शिक्षकों के बीच काफी शांत और अनुशासित माना जाता था। छुट्टियों में घर आया यह बच्चा कुछ दिनों में स्कूल लौटने वाला था, लेकिन उससे पहले ही उसने जीवन समाप्त कर लिया।
गांव के बुजुर्गों ने बताया कि परिवार बेहद सरल और मेहनती है, और वे अभी भी सदमे से उबर नहीं पा रहे। गांव की महिलाएं भी लगातार परिवार के घर पर जाकर सांत्वना दे रही हैं।
न्यूज़ देखो: किशोर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता अत्यंत जरूरी
यह घटना बताती है कि समाज, परिवार और स्कूल—तीनों को मिलकर किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। बच्चे अक्सर अपने तनावों को व्यक्त नहीं कर पाते और परिणामस्वरूप ऐसे कठोर कदम उठा लेते हैं। प्रशासन और समाज को मिलकर ऐसे वातावरण बनाने की जरूरत है जहां बच्चे खुलकर अपनी बात कह सकें और समय रहते मदद मिल सके।
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बच्चों के मन की बात समझें और मुश्किल में संवाद बढ़ाएं
राजकुमार की इस दर्दनाक घटना से सीख मिलती है कि बच्चों के व्यवहार में छोटे से छोटे बदलाव को भी गंभीरता से लिया जाना चाहिए। कठिनाइयों में संवाद ही समाधान का रास्ता खोलता है। अभिभावक, शिक्षक और समाज मिलकर ही बच्चों के लिए सुरक्षित और सकारात्मक माहौल बना सकते हैं।
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