
#गढ़वा #रक्तदान : रात के सन्नाटे में जीवनदायिनी मानवता की मिसाल — ऋतिक विश्वकर्मा ने गढ़वा सदर अस्पताल पहुंचकर बचाई अजनबी महिला की जान
- दुद्धी से आई महिला को पड़ा AB- रक्त की तत्काल जरूरत।
- टीम दिल का दौलत को सूचना मिलते ही शुरू हुई तलाश।
- मेराल निवासी ऋतिक विश्वकर्मा ने रात में रक्तदान कर बचाई जान।
- दौलत सोनी ने बताया इस सेवा को समाज के लिए प्रेरक उदाहरण।
- कोई प्रचार नहीं, कोई दिखावा नहीं, सिर्फ मानवता के लिए उठाया कदम।
रात के सन्नाटे में जीवन की पुकार
जब ज्यादातर लोग गहरी नींद में होते हैं, उस समय कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो किसी अनजान की जिंदगी बचाने के लिए खुद को समर्पित कर देते हैं। गढ़वा जिले के मेराल प्रखंड स्थित करकोमा गांव के युवक ऋतिक विश्वकर्मा ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया। बीती रात दुद्धी से आई एक महिला को अचानक दुर्लभ AB- रक्त की जरूरत पड़ी। हालात गंभीर थे और अस्पताल में मरीज की जान पर बन आई थी।
टीम दिल का दौलत की तत्परता
इस सूचना को जैसे ही गढ़वा में समाज सेवा के लिए समर्पित ‘टीम दिल का दौलत’ ने सुना, फौरन सक्रियता दिखाई गई। लेकिन क्योंकि AB- रक्त बहुत कम लोगों का होता है, इसलिए कोई तत्काल डोनर मिलना मुश्किल लग रहा था। तभी टीम के पास एक नाम आया — ऋतिक विश्वकर्मा, जो पहले से रक्तदान करते रहे हैं और टीम दौलत की प्रेरणा से सामाजिक कार्यों में रुचि रखते हैं।
सेवा का बुलावा और नायक का उदय
ऋतिक ने ना तो समय देखा, ना परिस्थिति। जैसे ही उन्हें खबर मिली, वो रात में बिना किसी औपचारिक आग्रह के मेराल से गढ़वा सदर अस्पताल के लिए निकल पड़े। वहां पहुंचकर उन्होंने बिना शोर-शराबे के, चुपचाप रक्तदान किया और एक अनजान महिला की जान बचा ली।
टीम दिल का दौलत के संयोजक दौलत सोनी ने कहा: “ऋतिक का यह कार्य उस मानवता का परिचायक है जो आज भी जिंदा है। यही भावना हमारी टीम की असली ताकत है।”
सच्चे नायक की सच्ची प्रेरणा
ऋतिक ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि वे लंबे समय से टीम दौलत से प्रेरित थे और जैसे ही सेवा का अवसर आया, उन्होंने उसे अपनी जिम्मेदारी समझा। उन्होंने कहा कि अगर हर युवा जरूरतमंदों के लिए थोड़ा भी आगे बढ़े, तो समाज में कोई भी अकेला महसूस नहीं करेगा।
ऋतिक विश्वकर्मा ने कहा: “जब आपको लगता है कि आप किसी की मदद कर सकते हैं, तो इंतजार मत कीजिए — बस कर दीजिए। यही समाज को जोड़ता है।”
उम्मीद, भरोसा और मानवता की लौ
यह सिर्फ रक्तदान की खबर नहीं है — यह विश्वास और जुड़ाव की कहानी है। यह एक ऐसे समाज का संकेत है जो अब जाग रहा है, जहाँ युवाओं में सेवा की भावना प्रबल हो रही है। जब कोई युवा रात की नींद छोड़कर किसी अनजान की जान बचाने निकलता है, तो वह केवल खून नहीं देता — वह उम्मीद की लौ जलाता है।
कार्यक्रम के दौरान टीम दौलत के सदस्य विशाल गुप्ता समेत अन्य कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे और इस मानवीय क्षण के गवाह बने।
न्यूज़ देखो: रात के अंधेरे में रोशन हुई मानवता की लौ
यह घटना बताती है कि गढ़वा जैसे इलाकों में भी सेवा की भावना कितनी प्रबल है। ऋतिक जैसे युवा नायक समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर रहे हैं। टीम दिल का दौलत केवल जरूरतमंदों तक पहुंचने का माध्यम नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतना का वाहक बन चुकी है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
युवा सोच से बदल रहा है समाज
ऋतिक विश्वकर्मा जैसे युवाओं की कहानियां हमें यह विश्वास दिलाती हैं कि समाज में अभी भी उम्मीद बाकी है। अगर हम सब एक कदम बढ़ाएं, तो किसी के जीवन में प्रकाश की किरण बन सकते हैं। ऐसे उदाहरणों को साझा कीजिए, चर्चा कीजिए, और सजग नागरिकता को बढ़ावा दीजिए।
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