
#सिमडेगा #बिरसा_जयंती : झामुमो जिलाध्यक्ष अनिल कंडुलना ने पहनटोली मैदान में आयोजित समारोह में भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की
- बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर केरेया पंचायत में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ।
- झामुमो जिलाध्यक्ष अनिल कंडुलना ने समारोह में पहुँचकर श्रद्धांजलि दी।
- कार्यक्रम में राजेश टोप्पो, जूनास डांग, जोसेफ कंडुलना, खरीस्टधानी लकड़ा सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।
- आयोजन समिति ने खेल प्रतियोगिताओं के समापन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का संचालन किया।
- भारी संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष बना दिया।
सिमडेगा जिले के ठेठईटांगर प्रखंड के केरेया पंचायत अंतर्गत पहनटोली खेल मैदान में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती सह झारखंड स्थापना दिवस पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल प्रतियोगिता समापन समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर झामुमो जिलाध्यक्ष अनिल कंडुलना ने पहुंचकर धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।
समारोह की गरिमा और प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में झामुमो जिला कोषाध्यक्ष राजेश टोप्पो, अंचल अधिकारी ठेठईटांगर, प्रखंड अध्यक्ष सह आयोजन समिति के अध्यक्ष जूनास डांग, पहान जोसेफ कंडुलना, केरेया पंचायत की मुखिया खरीस्टधानी लकड़ा, तथा आयोजन समिति के पदाधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। सभी अतिथियों ने भगवान बिरसा मुंडा के संदेश — स्वाभिमान, स्वतंत्रता, आदिवासी अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान — को अपने संबोधन में रेखांकित किया।
झामुमो जिलाध्यक्ष अनिल कंडुलना ने कहा: “भगवान बिरसा मुंडा स्वतंत्रता संघर्ष और आदिवासी अस्मिता के अमर प्रतीक हैं।”
उनके इस वक्तव्य ने कार्यक्रम में मौजूद ग्रामीणों के बीच गर्व और उत्साह का माहौल बना दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल प्रतियोगिताओं का आकर्षण
आयोजन समिति द्वारा तैयार किए गए इस वार्षिक कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं। पहनटोली खेल मैदान में आयोजित खेल प्रतियोगिताओं के समापन पर विजेताओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों की भारी उपस्थिति ने इसे और अधिक जीवंत बना दिया।
सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक धरोहर का संदेश
यह कार्यक्रम सिर्फ मनोरंजन या औपचारिकता नहीं था, बल्कि आदिवासी अस्मिता, परंपरा और सामुदायिक एकजुटता का प्रतीक जैसा दिखाई दिया। स्थानीय प्रतिनिधियों और ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी ने बिरसा मुंडा की जयंती को एक ऐतिहासिक सामुदायिक उत्सव का रूप दिया।

न्यूज़ देखो: परंपरा, अस्मिता और समुदाय को जोड़ता यह आयोजन
यह कार्यक्रम दिखाता है कि कैसे ग्रामीण समाज अपनी सांस्कृतिक जड़ों और महापुरुषों की विरासत को सहेजने में अग्रसर है। बिरसा मुंडा जैसे नायकों की जयंती सिर्फ श्रद्धांजलि का अवसर नहीं बल्कि समाजिक प्रेरणा और चेतना का स्रोत भी है।
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बिरसा मुंडा की जयंती हमें अपनी परंपरा, संस्कृति और सामुदायिक शक्ति की याद दिलाती है। अब समय है कि हर युवा और नागरिक इस विरासत को सहेजने में अपनी भूमिका निभाए। अपनी सोच कमेंट में साझा करें और इस खबर को आगे बढ़ाएं ताकि यह प्रेरक संदेश अधिक लोगों तक पहुंच सके।





