#नेतरहाट #झारखंड_सम्मेलन : आंदोलनकारियों को न्याय, सम्मान और स्वाभिमान से जीने के अधिकार पर होगा मंथन
- 6 नवंबर 2025 को नेतरहाट में झारखंड आंदोलनकारियों का विशाल सम्मेलन आयोजित होगा।
- कार्यक्रम में वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर, चमरा लिंडा, विधायक रामचंद्र सिंह, पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख समेत कई गणमान्य अतिथि रहेंगे।
- सम्मेलन में तीन हजार झारखंड आंदोलनकारियों के शामिल होने की संभावना।
- कार्यक्रम के दौरान वृक्षारोपण, सम्मान समारोह और कंबल वितरण का आयोजन भी होगा।
- आयोजन आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के तत्वावधान में किया जा रहा है।
महुआडांड़। झारखंड आंदोलनकारियों के न्याय, सम्मान और स्वाभिमान को लेकर आगामी 6 नवंबर 2025 को नेतरहाट में एक ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन नेतरहाट आवासीय विद्यालय के ऑडिटोरियम में होगा, जिसमें झारखंड आंदोलन की अस्मिता और अधिकारों पर गहन चर्चा की जाएगी।
सम्मेलन में होंगे राज्य के प्रमुख चेहरे
इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर, अनुसूचित जनजाति मंत्री चमरा लिंडा, विधायक रामचंद्र सिंह, संगीत नाटक अकादमी के सदस्य नंदलाल नायक, पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख, अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष राजन क्षीरसागर तथा पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता शामिल होंगे। इन सभी अतिथियों की उपस्थिति सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाएगी।
अजीत तिग्गा की पुण्यतिथि पर होगा विशेष आयोजन
कार्यक्रम के दौरान झारखंड आंदोलनकारी अमर पुरोधा अजीत तिग्गा की पुण्यतिथि भी श्रद्धापूर्वक मनाई जाएगी। उनके योगदान और बलिदान को याद करते हुए आंदोलन के मूल उद्देश्यों पर चर्चा की जाएगी।
पुष्कर महतो ने कहा: “6 नवंबर को नेतरहाट में होने वाला यह सम्मेलन झारखंड आंदोलनकारियों के लिए ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण क्षण साबित होगा।”
सम्मान, पर्यावरण और जनसहभागिता का संगम
मौके पर अतिथियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण, आंदोलनकारियों को सम्मान तथा वृद्धाओं के बीच कंबल वितरण किया जाएगा। झारखंड की संस्कृति और परंपरा के अनुरूप सभी अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह भेंट कर किया जाएगा।
संस्कृति और संघर्ष का रंगारंग संगम
सम्मेलन के दौरान पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख अपने प्रसिद्ध गीत “झारखंड कर कोरा, गांव छोड़ब नहीं, लड़ाई छोड़ब नहीं” प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम में तीन सौ पारंपरिक वेशभूषा में सजे आंदोलनकारी गीत, संगीत और नृत्य के माध्यम से झारखंड की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करेंगे। सभी आंदोलनकारी लाल और हरे रंग की पगड़ी धारण करेंगे, जो झारखंड आंदोलन की पहचान रही है।
आंदोलनकारियों के लिए विशेष व्यवस्था
दूरदराज से आने वाले आंदोलनकारियों के लिए रात्रि विश्राम और भोजन की विशेष व्यवस्था की गई है। आयोजकों के अनुसार, पूरे प्रदेश से लगभग तीन हजार आंदोलनकारी इस ऐतिहासिक सम्मेलन में भाग लेंगे।
पुष्कर महतो ने कहा: “यह सम्मेलन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि झारखंड आंदोलनकारियों की आवाज़ को सम्मान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम है।”
न्यूज़ देखो: झारखंड की आत्मा का संगम
नेतरहाट का यह सम्मेलन झारखंड की अस्मिता, सम्मान और सामाजिक न्याय की लड़ाई को नई दिशा देगा। यह आयोजन आंदोलनकारियों की त्याग, संघर्ष और एकता की भावना को फिर से जीवंत करने वाला होगा। झारखंड के जननायकों और पुरोधाओं के योगदान को याद करते हुए यह कार्यक्रम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।
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सम्मान और स्वाभिमान की मिसाल बने झारखंड
झारखंड आंदोलन की आत्मा अब भी जीवित है — यह सम्मेलन उसी जज़्बे की पहचान है। समाज तभी मजबूत बनता है जब वह अपने आंदोलनकारियों का सम्मान करे और उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाए।
आइए, इस 6 नवंबर को नेतरहाट की धरती पर झारखंड के गौरव को नमन करें।
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