
#अयोध्या #ध्वजारोहण : अभिजीत मुहूर्त में प्रधानमंत्री मोदी और मोहन भागवत ने राम मंदिर के शिखर पर 2 किलो की केसरिया धर्मध्वजा फहराई—निर्माण कार्य हुआ औपचारिक रूप से पूर्ण
- शिखर पर धर्मध्वजा फहराते ही मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण घोषित।
- पीएम मोदी और मोहन भागवत ने रिमोट से ध्वजारोहण किया।
- सीएम योगी बोले—“पीढ़ियों की प्रतीक्षा आज साकार।”
- पीएम मोदी पहली बार रामदरबार में आरती–पूजा में शामिल हुए।
- 1.5 किमी रोड शो, बच्चों व महिलाओं ने फूल बरसाकर स्वागत किया।
- ध्वजा का दंड 21 किलो सोना मढ़ा, 4 किलोमीटर दूर से भी दिखाई देता।
अयोध्या में मंगलवार का दिन इतिहास में अमिट हो गया, जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के 673 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अभिजीत मुहूर्त में राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा फहराई। रिमोट बटन दबाते ही दो किलो वजनी केसरिया ध्वजा शिखर पर लहराई और उसी क्षण मंदिर का निर्माण कार्य आधिकारिक रूप से पूर्ण घोषित कर दिया गया। समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी भावुक दिखे। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर ध्वजा को नमन किया और कुछ पल ध्यान मुद्रा में खड़े रहे। यह दृश्य अयोध्या के इतिहास में एक अविस्मरणीय क्षण के रूप में अंकित हो गया।
ऐतिहासिक ध्वजारोहण और पीएम मोदी की भावुकता
ध्वजारोहण के समय पूरे परिसर में मंत्रोच्चार और घंटियों की ध्वनि गूंजती रही। दोपहर 11.50 बजे जैसे ही मुहूर्त निकला, रिमोट से ध्वजा शिखर पर पहुंचाई गई। यह विशेष ध्वजा ऐसी तकनीक से तैयार की गई है कि तेज तूफान में भी सुरक्षित रहती है और हवा का रुख बदलने पर बिना उलझे स्वतः दिशा बदल लेती है। प्रधानमंत्री मोदी गहराई से इस पल में डूबे दिखाई दिए। उनके चेहरे पर गर्व, आस्था और भावुकता का मिश्रित भाव साफ झलक रहा था।
“पीढ़ियों की प्रतीक्षा आज साकार”—सीएम योगी
ध्वजारोहण के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह दिन एक नए युग का शुभारंभ है। उन्होंने कहा कि यह दिन आत्मगौरव और राष्ट्रगौरव का दिन है, जिसने संपूर्ण सनातन समाज को भावनात्मक रूप से जोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों की वर्षों की प्रतीक्षा आज पूरी हुई है और देश नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है। उनके अनुसार राम मंदिर करोड़ों की आस्था का केंद्र है, जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना को नई शक्ति देता है।
रामदरबार में पहली बार पीएम मोदी की विशेष पूजा
ध्वजारोहण से पहले प्रधानमंत्री मोदी और मोहन भागवत ने रामदरबार में विशेष पूजा और आरती की। यह पहली बार था जब प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने संपूर्ण रामदरबार के समक्ष विधिवत पूजा की। वे रामलला के लिए विशेष चंवर और परिधान लेकर पहुंचे थे। उन्होंने सप्तऋषियों के दर्शन किए, भगवान लक्ष्मण की पूजा की और दर्शन मार्ग के साथ बने जलाशय का निरीक्षण भी किया। इससे पहले सुबह की आरती में रामलला ने स्वर्ण-रेशमी धागों से तैयार विशेष पीतांबर धारण किया, जो पूरे वातावरण को और दिव्यता प्रदान कर रहा था।
रोड शो में जनसैलाब, बच्चों ने बरसाए फूल
पूजा से पहले प्रधानमंत्री ने साकेत कॉलेज से रामजन्मभूमि स्थल तक करीब डेढ़ किलोमीटर का भव्य रोड शो किया। सड़क के दोनों ओर हजारों की भीड़ उमड़ी हुई थी। स्कूली बच्चों ने पीएम के काफिले पर फूल बरसाए और महिलाओं ने पारंपरिक विधि से स्वागत किया। हर मोड़ पर “जय श्री राम” के उद्घोष गूंज रहे थे, जिससे पूरा शहर उत्सव में डूब गया।
भव्य सजावट और सुरक्षा व्यवस्था
ध्वजारोहण कार्यक्रम को भव्य रूप देने के लिए अयोध्या शहर को एक हजार क्विंटल फूलों से सजाया गया। मंदिर परिसर में कई स्तरों की सुरक्षा व्यवस्था की गई। पहले चर्चा थी कि अमिताभ बच्चन सहित कई फिल्मी हस्तियों को आमंत्रण भेजा गया है, लेकिन कार्यक्रम में कोई भी सेलेब्रिटी उपस्थित नहीं दिखे। हालांकि देशभर के मठों और पीठों के प्रमुख संतों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
विशेष रूप से निर्मित धर्मध्वजा—चार किमी दूर से भी दिखती
मंदिर के शिखर पर स्थापित धर्मध्वजा का दंड 21 किलो शुद्ध सोने से मढ़ा गया है। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह लगभग चार किलोमीटर दूर से भी स्पष्ट दिखे। ध्वजा स्वयं हवा के अनुसार दिशा बदल लेती है, जिससे यह कभी उलझती नहीं। यह तकनीक इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखती है।

न्यूज़ देखो: आस्था, इतिहास और आधुनिक तकनीक का संगम
अयोध्या में हुआ यह ध्वजारोहण केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति और आस्था का प्रतीक बन गया। इसमें परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत मेल देखने को मिला—जहां शिखर पर लगी धर्मध्वजा आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है, वहीं उसका तकनीकी निर्माण नए भारत की वैज्ञानिक क्षमता का संकेत देता है।
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आस्था से शक्ति, शक्ति से राष्ट्र—आइए इस क्षण को साझा करें
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