
#सिमडेगा #आत्मरक्षा_अभियान : जिले में छात्रों और महिलाओं को सुरक्षित व आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से कराटे कोच मनीष मिश्रा की पहल पर निःशुल्क आत्मरक्षा प्रशिक्षण का व्यापक कार्यक्रम शुरू हुआ।
- कराटे कोच मनीष मिश्रा के नेतृत्व में सिमडेगा में निःशुल्क आत्मरक्षा अभियान की शुरुआत।
- मदर टेरेसा कॉलेज ऑफ नर्सिंग, सेंट मैरीज़ इंग्लिश माध्यमिक विद्यालय और सेंट जेवियर्स कॉलेज सान्ताली में छात्रों को प्रशिक्षण।
- अभियान में वरिष्ठ कराटे कोच व राष्ट्रीय रेफ़री राम नायक की सक्रिय सहभागिता।
- महिलाओं, बच्चियों और युवाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए समाज को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास।
- कार्यक्रम को आगे विद्यालयों, महाविद्यालयों और पंचायत स्तर तक विस्तार की तैयारी।
- प्रिंस चौक क्षेत्र में भी नियमित आत्मरक्षा प्रशिक्षण जारी।
सिमडेगा जिले में आत्मरक्षा और सुरक्षा जागरूकता को नई दिशा देने वाली एक महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत हो चुकी है। इस अभियान के केंद्र में हैं कराटे कोच मनीष कुमार मिश्रा, जिन्होंने जिले के स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों में निःशुल्क आत्मरक्षा प्रशिक्षण उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है।
यह अभियान जिले भर में तेजी से चर्चा का विषय बना हुआ है, और छात्रों से लेकर अभिभावकों तक सभी वर्गों में उत्साह देखने को मिल रहा है। महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को लेकर बढ़ते जागरूकता के बीच यह पहल एक महत्वपूर्ण सामाजिक कदम बन चुकी है।
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की शुरुआत: तीन संस्थानों में सफल कार्यक्रम
निःशुल्क आत्मरक्षा अभियान का शुभारंभ जिले के तीन प्रमुख शिक्षण संस्थानों में किया गया—
मदर टेरेसा कॉलेज ऑफ नर्सिंग बानो,
सेंट मैरीज़ इंग्लिश माध्यमिक विद्यालय,
और सेंट जेवियर्स कॉलेज सान्ताली।
इन संस्थानों में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यक्रम के दौरान कराटे की मूल तकनीकों, आत्मरक्षा के त्वरित उपायों और मानसिक संतुलन बनाए रखने के तरीकों पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षकों ने बताया कि आज के समय में आत्मरक्षा न केवल शारीरिक कौशल है, बल्कि मानसिक हौसला और आत्मविश्वास बढ़ाने का भी माध्यम है।
विशेषज्ञों की सहभागिता—राष्ट्रीय रेफ़री राम नायक भी जुड़े
अभियान में वरिष्ठ कराटे कोच एवं राष्ट्रीय रेफ़री राम नायक भी शामिल रहे।
उन्होंने इस अभियान को एक भविष्य-निर्माण पहल बताया।
राम नायक ने कहा: “मनीष मिश्रा आज सिमडेगा में आत्मरक्षा का सशक्त प्रतीक हैं। बच्चों और महिलाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण देकर उन्होंने समाज के प्रति अपनी सेवा भावना को सिद्ध किया है।”
राम नायक ने छात्रों को प्रेरित किया कि वे आत्मरक्षा को केवल एक खेल नहीं, बल्कि जीवन की आवश्यक कौशल मानकर सीखें। उनकी उपस्थिति ने प्रशिक्षण में और अधिक प्रेरणा और ऊर्जा का संचार किया।
कराटे कोच मनीष मिश्रा: सिमडेगा में आत्मरक्षा की पहचान
इस अभियान के प्रमुख चेहरे मनीष कुमार मिश्रा लंबे समय से कराटे और आत्मरक्षा प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हैं।
जिले में हजारों विद्यार्थियों को वे प्रशिक्षण दे चुके हैं, और अब यह कार्य एक व्यापक सामाजिक आंदोलन के रूप में दिखाई देने लगा है।
समाज के वंचित वर्ग तक आत्मरक्षा प्रशिक्षण पहुंचाना उनका मुख्य उद्देश्य है, जिससे हर बच्चा और हर महिला खुद को असुरक्षित स्थिति में संभाल सके।
मनीष मिश्रा ने कई वर्ष पहले प्रशिक्षण का प्रारंभ छोटे समूहों से किया था, जो आज एक बड़े अभियान में परिवर्तित हो चुका है। उनकी यह पहल न केवल खेल को बढ़ावा देती है, बल्कि समाज में सुरक्षा व जागरूकता की भावना को भी मजबूत करती है।
अभियान का आने वाला चरण: पंचायतों तक पहुंचेगा प्रशिक्षण
सूत्रों की मानें तो यह निःशुल्क आत्मरक्षा अभियान अगले चरण में और व्यापक होने जा रहा है।
जिले के विद्यालयों, महाविद्यालयों, आंगनबाड़ियों, और पंचायत स्तर तक प्रशिक्षण पहुंचाने की तैयारी की जा रही है।
इसके तहत नियमित शिविर, कक्षाएं और सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि आत्मरक्षा सभी के लिए सुलभ हो सके।
प्रिंस चौक क्षेत्र में मनीष मिश्रा द्वारा नियमित प्रशिक्षण पहले से चल रहा है, जिसे अब एक बड़े समुदाय तक विस्तार दिया जा रहा है।
यह पहल सुरक्षित समाज के निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।
न्यूज़ देखो: सिमडेगा में आत्मरक्षा अभियान ने जगाई नई उम्मीद
सिमडेगा में शुरू हुआ निःशुल्क आत्मरक्षा कार्यक्रम स्थानीय समुदाय में सुरक्षा जागरूकता का नया अध्याय खोल रहा है।
कराटे कोच मनीष मिश्रा और टीम का यह प्रयास न केवल युवाओं और महिलाओं को सक्षम बना रहा है, बल्कि समाज में आत्मविश्वास, साहस और सजगता की भावना भी बढ़ा रहा है।
ऐसी पहलें जिले में सुरक्षा संस्कृति को मजबूत करेंगी और भविष्य में अपराध नियंत्रण व जागरूकता अभियान को अधिक प्रभावी बनाएंगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आत्मरक्षा सीखना अधिकार भी, जिम्मेदारी भी — अब बदलाव की शुरुआत हमारे हाथों में
आत्मरक्षा सिर्फ लड़ाई नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा है। यह कौशल हर बच्चे, हर छात्र और हर महिला को आत्मविश्वास देता है।
अगर हमारा समाज सुरक्षित और सशक्त बनना चाहता है, तो ऐसे अभियानों में भागीदारी जरूरी है।





