
#देवघर #ShravaniMela : प्रातः 4:07 बजे खुला बाबा का द्वार—कांवरियों की गूंज से कुमैठा तक गुंजायमान शिवपथ
- सुबह 04:07 बजे बाबा बैद्यनाथ मंदिर का पट खोला गया।
- पट खुलते ही शुरू हुआ कांवरियों द्वारा जलार्पण।
- कुमैठा तक की रूटलाइन शिवभक्तों के जयकारों से गूंजायमान।
- कांवरिया कतारबद्ध होकर श्रद्धा भाव से कर रहे हैं जल चढ़ाने की तैयारी।
- देवघर नगरी एक बार फिर बनी श्रद्धा और भक्ति का केंद्र।
बाबा बैद्यनाथ मंदिर में दूसरी सोमवारी का अलौकिक दृश्य
श्रावणी मेले की दूसरी सोमवारी को लेकर देवघर में आज भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। सुबह ठीक 04:07 बजे जैसे ही बाबा बैद्यनाथ मंदिर का पट खोला गया, वैसे ही दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने बोल बम के जयघोष के साथ बाबा पर जलार्पण शुरू कर दिया।
कांवरियों की कतारें, शिवभक्ति की गूंज
देवघर से कुमैठा तक की रूटलाइन में हर ओर शिवभक्तों की कतारें दिखाई दे रही हैं। हाथों में गंगाजल लिए, भगवा वस्त्र पहने कांवरिया निरंतर आगे बढ़ते हुए बाबा की जय-जयकार करते दिखाई दे रहे हैं। इस दृश्य ने देवघर को एक बार फिर शिवमय वातावरण में रंग दिया है।
एक कांवरिया भक्त ने कहा: “बाबा की कृपा से इस बार भी सेवा का सौभाग्य मिला। शिवधाम आकर जो शांति मिलती है, वो शब्दों में नहीं बताई जा सकती।”
सुचारू व्यवस्थाओं के बीच श्रद्धा का पर्व
प्रशासन और स्वयंसेवकों की तत्परता के कारण श्रद्धालु सुचारू रूप से कतारबद्ध होकर बाबा के दर्शन कर पा रहे हैं। पेयजल, स्वास्थ्य, सुरक्षा और रूट लाइन प्रबंधन जैसी व्यवस्थाएं इस बार बेहतर रूप में दिख रही हैं।

न्यूज़ देखो: आस्था की शक्ति, अनुशासन की मिसाल
बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर में जिस तरह श्रद्धालु भक्त अनुशासित ढंग से, संकल्प के साथ शिवभक्ति में रमे हुए हैं, वह न केवल आस्था का परिचायक है, बल्कि सामूहिक चेतना और प्रशासनिक समन्वय का बेहतरीन उदाहरण भी है।
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शिवभक्ति के संग अनुशासन—एक प्रेरणादायक अनुभव
श्रावणी मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संवेदनशीलता, सेवा और साझी जिम्मेदारी का जीवंत उदाहरण है।
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