
#हुसैनाबाद : निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान लापरवाही से महिला की मौत।
- आर्यन हॉस्पिटल हुसैनाबाद में ऑपरेशन के दौरान महिला की आंत काट दी गई।
- रांची रेफर करने के बाद भी इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई।
- परिजनों और ग्रामीणों ने जपला-छतरपुर रोड पर जाम लगाया।
- प्रदर्शनकारियों ने मुआवजे की मांग करते हुए जमकर की नारेबाजी।
- प्रशासन की पहल से ₹20 हजार मुआवजा देकर जाम समाप्त हुआ।
हुसैनाबाद, पलामू से एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक निजी अस्पताल में इलाज के नाम पर हुई गंभीर लापरवाही से एक महिला की मौत हो गई। मामला हुसैनाबाद के आर्यन हॉस्पिटल का है, जहां 48 वर्षीय कलावती देवी, पति रामचंद्र बैठा, निवासी जयनगरा (इंद्रपुरी, रोहतास, बिहार) का 14 अक्टूबर को ऑपरेशन किया गया था। परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने गलती से उसकी आंत काट दी, जिसके बाद उसकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई।
ऑपरेशन के बाद बिगड़ी तबीयत, रांची में चली गई जान
ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद ही कलावती देवी की स्थिति गंभीर होने लगी। जब परिजनों ने डॉक्टरों को सूचित किया, तो अस्पताल की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। स्थिति बिगड़ने पर उसे रांची के निजी अस्पताल में रेफर किया गया। कई दिनों तक इलाज चलने के बावजूद महिला ने दम तोड़ दिया।
परिजनों के अनुसार, यदि समय पर सही इलाज मिलता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी।
जपला-छतरपुर रोड पर गुस्साए परिजनों का जाम
शुक्रवार सुबह जब गांव में मौत की खबर पहुंची, तो परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। सुबह 7 बजे से सिद्धनाथ पेट्रोल पंप के पास जपला-छतरपुर मुख्य सड़क पर सैकड़ों ग्रामीणों ने जाम लगा दिया।
उन्होंने अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुआवजे की मांग की।
प्रदर्शन के दौरान टायर जलाए गए, जिससे सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और घंटों तक आवागमन ठप रहा।
सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम कुमार अंजन ने कहा: “मृतका घर की एकमात्र कमाने वाली सदस्य थी। उसका पति लकवा ग्रस्त है और दो बेटियों की शादी अभी बाकी है। प्रशासन से उचित मुआवजा मिलना बेहद जरूरी है।”
प्रशासन की हस्तक्षेप से शांत हुआ मामला
सूचना मिलते ही हुसैनाबाद थाना प्रभारी और अंचल अधिकारी पंकज कुमार मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। काफी देर तक समझाने-बुझाने के बाद प्रशासन की ओर से ₹20 हजार का चेक मुआवजे के रूप में दिया गया, जिसके बाद ग्रामीणों ने जाम समाप्त कर दिया।
करीब दो घंटे तक बाधित रहने के बाद सड़क पर आवागमन बहाल हो गया।
निजी अस्पतालों की लापरवाही पर उठे गंभीर सवाल
यह घटना एक बार फिर निजी अस्पतालों की लापरवाही और निगरानी व्यवस्था की कमी को उजागर करती है।
बताया जाता है कि इसी आर्यन हॉस्पिटल में कुछ माह पहले भी बैरांव गांव की संजू देवी की मौत ऑपरेशन के दौरान हो गई थी, जिसके बाद क्लीनिक को सील कर दिया गया था।
इसके बावजूद अब पुनः लापरवाही से हुई मौत ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
परिजनों में गहरा आक्रोश, मांग हुई न्याय की
मृतका के परिवार और स्थानीय लोगों ने मांग की है कि अस्पताल प्रशासन पर कड़ी कार्रवाई हो और स्थायी मुआवजा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक निजी अस्पतालों में जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक आम मरीजों की सुरक्षा खतरे में बनी रहेगी।

न्यूज़ देखो: जवाबदेही तय करना अब जरूरी
हुसैनाबाद की यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर प्रश्नचिह्न है।
जब ऑपरेशन जैसी गंभीर प्रक्रिया में लापरवाही से जानें जा रही हों, तो यह सिर्फ डॉक्टरों की गलती नहीं, बल्कि निगरानी तंत्र की भी विफलता है।
प्रशासन को ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि किसी और की जान न जाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब वक्त है जवाबदेही और संवेदनशीलता का
यह घटना हमें चेतावनी देती है कि जीवन से जुड़ी लापरवाही को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
स्वास्थ्य संस्थानों में पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिक जिम्मेदारी अनिवार्य है।
सजग नागरिक बनें, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।
अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और व्यवस्था में बदलाव की मांग उठाएं।




