
#गुमला #दुखद_घटना : घाघरा थाना क्षेत्र के सारंगो गांव में 30 वर्षीय मनोज उरांव ने फांसी लगाकर जीवन समाप्त किया ।
- घाघरा थाना क्षेत्र के सारंगो गांव का मामला।
- मृतक की पहचान मनोज उरांव (30 वर्ष) के रूप में हुई।
- घटना बुधवार की बताई जा रही है।
- पत्नी अंजलि ने बताया कि वह खेत में धान काटने गई थीं।
- घर से करीब एक किलोमीटर दूर पक्का बांध के पास पेड़ पर लटका मिला शव।
- पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू की।
गुमला जिले के घाघरा थाना क्षेत्र के सारंगो गांव में बुधवार को एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया, जब गांव के ही निवासी मनोज उरांव (उम्र 30 वर्ष) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना की जानकारी मिलते ही पूरे गांव में मातम छा गया और हर कोई स्तब्ध रह गया।
खेत जाने के बहाने निकले थे घर से
मृतक की पत्नी अंजलि उरांव ने बताया कि मनोज सुबह घर से यह कहकर निकले कि वे खेत में धान काटने जा रहे हैं। पत्नी भी धान काटने के लिए खेत चली गई थीं। जब वे घर लौटीं तो आसपास के लोगों से सूचना मिली कि मनोज ने घर से लगभग एक किलोमीटर दूर पक्का बांध के पास एक पेड़ पर रस्सी से फांसी लगा ली है।
घटना की खबर मिलते ही परिजन और ग्रामीण घटनास्थल की ओर दौड़े। उन्होंने मनोज को नीचे उतारा, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। यह दृश्य देखकर पूरे परिवार में कोहराम मच गया।
पुलिस जांच में जुटी, कारण अज्ञात
घाघरा थाना की पुलिस को जैसे ही सूचना मिली, वे तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और आगे की जांच शुरू कर दी है। अब तक आत्महत्या के कारणों का स्पष्ट पता नहीं चल पाया है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिवार के बयान और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही सटीक कारणों की पुष्टि हो सकेगी। प्रारंभिक तौर पर आर्थिक या मानसिक तनाव को संभावित वजह माना जा रहा है, लेकिन अधिकारी किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले जांच पूरी करना चाहते हैं।
परिवार में मचा कोहराम
मनोज उरांव के परिवार में अब पत्नी अंजलि और छह वर्षीय मासूम बेटी बची हैं। पिता की मौत से बच्ची और मां दोनों सदमे में हैं। उनकी असमय मौत ने गांव के लोगों को भी झकझोर दिया है।
मानसिक स्वास्थ्य पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में बढ़ती मानसिक परेशानियों और तनावजन्य आत्महत्याओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। समाज में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए परिवार और समुदाय को समय पर संवाद और सहयोग की ज़रूरत है।

न्यूज़ देखो: संवेदनशीलता और जागरूकता से रोकी जा सकती हैं ऐसी त्रासदियाँ
यह घटना केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि मानसिक तनाव और अवसाद को हल्के में न लिया जाए। हर व्यक्ति की भावनाओं और संघर्षों को समझना, उनकी मदद करना ही असली मानवता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जीवन अनमोल है, संवाद ही समाधान
हर इंसान किसी न किसी संघर्ष से गुजर रहा होता है। ऐसे में एक संवेदनशील बातचीत, एक भरोसेमंद साथी या परिवार का सहारा किसी की जान बचा सकता है।
आइए हम सब मिलकर यह संदेश फैलाएं कि आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है। अगर कोई परेशान है तो उसकी बात सुने, उसे अकेला महसूस न होने दें।
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