
#गुमला #पुलिस_हिंसा : युवक को 18 घंटे तक पीटने के आरोप में थानेदार सस्पेंड, एसपी को हाईकोर्ट में तलब
- भरनो निवासी कयूम चौधरी को पुलिस ने 1 दिसंबर को घर से उठाया।
- 18 घंटे तक थाने में पिटाई, पैरों में लगी प्लेटों पर भी वार।
- पीड़ित गंभीर स्थिति में पारस अस्पताल रांची में भर्ती।
- चैनपुर थाना प्रभारी कृष्ण कुमार निलंबित, तीन पुलिसकर्मी लाइन हाजिर।
- 4 दिसंबर को गुमला एसपी को कोर्ट में रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज सहित पेश होने का आदेश।
- पीड़ित परिवार का आरोप—पुलिस असल आरोपी की जगह निर्दोष दामाद को प्रताड़ित कर रही थी।
गुमला जिले के चैनपुर थाने में हिरासत के दौरान एक युवक की बेरहमी से पिटाई का मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई। भरनो थाना क्षेत्र निवासी कयूम चौधरी को पुलिस ने बिना किसी लिखित आदेश के हिरासत में लिया और 18 घंटे तक लगातार पीटा गया। युवक के पैरों में पहले से लगी प्लेटों पर लाठियां बरसाने की बात सामने आई है। घायल युवक की स्थिति गंभीर बनी हुई है और उसका रांची में इलाज चल रहा है। मामला झारखंड हाईकोर्ट पहुंच गया है जहां जजों ने घटना को गंभीरता से लेते हुए एसपी को तलब किया है।
मामला कैसे शुरू हुआ
भरनो निवासी कयूम चौधरी को चैनपुर थाना प्रभारी कृष्ण कुमार ने 1 दिसंबर की शाम उसके घर से उठाया। परिजनों का कहना है कि गिरफ्तारी का कोई कारण या लिखित आदेश नहीं दिया गया। परिवार ने बताया कि कयूम कुछ महीने पहले सड़क हादसे में घायल हुआ था और उसके पैरों में धातु की प्लेट डाली गई थी, लेकिन पुलिस ने उसी जगह पर वार किया जिससे उसकी हालत बिगड़ गई।
गवाहों के मुताबिक युवक घंटों तक दर्द से चिल्लाता रहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
असल आरोपी नहीं, दामाद को बनाया निशाना?
पीड़ित की पत्नी और भाभी ने गंभीर आरोप लगाया कि पुलिस जिस आरोपी की तलाश कर रही थी, वह कयूम का ससुर है। उनका दावा है:
“थानेदार उसे पहले दो बार पकड़ चुका था और 20-20 हजार रुपये लेकर छोड़ दिया। इस बार न मिलने पर हमारे घर के दामाद को उठा लिया और पीट-पीटकर अधमरा कर दिया।”
परिवार ने यह भी बताया कि पुलिस ने दबाव डालकर कयूम से जबरन कागज़ पर लिखवाया कि उसे चोट नहीं पहुंचाई गई।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
पीड़ित को रांची लेकर हाईकोर्ट पहुंचने पर जजों ने उसकी गंभीर स्थिति देखकर नाराजगी जताई। अदालत ने आदेश दिया:
“गुमला एसपी 4 दिसंबर को समस्त दस्तावेज़, सीसीटीवी फुटेज और रिकॉर्ड सहित उपस्थित हों।“
न्यायालय का यह रुख मामले को और गंभीर बना रहा है।
पुलिस प्रशासन की कार्रवाई
हाईकोर्ट में मामला पहुंचने और मीडिया में खबर फैलने के बाद गुमला एसपी हरीश बिन जमा और एसडीपीओ ललित मीणा ने चैनपुर पहुंचकर जांच की तथा पीड़ित के बयान लिए।
इसके बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की:
- थाना प्रभारी कृष्ण कुमार → निलंबित
- पुअनि दिनेश कुमार, सअनि नन्दकिशोर महतो, सअनि निर्मल राय → लाइन हाजिर
इनकी जगह: पुअनि राजेंद्र मंडल और पुअनि अरविंद कुमार को चैनपुर थाना भेजा गया।
न्यूज़ देखो: पुलिस की जवाबदेही तय होनी जरूरी
यह घटना बताती है कि जब पुलिस अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करती है, तो आम नागरिक असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। ऐसी घटनाएं संस्थागत भरोसे को कमजोर करती हैं। न्यायपालिका की त्वरित दखल ने मामले को गंभीर मोड़ दिया है और अब जिम्मेदारी तय होना जरूरी है।
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न्याय वहीं है, जहां हर नागरिक सुरक्षित हो
यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की पीड़ा नहीं बल्कि एक सवाल है—क्या आम नागरिक कानून की रक्षा में सुरक्षित है? लोकतंत्र में डर नहीं, अधिकार की आवाज बुलंद होनी चाहिए। ऐसी घटनाओं पर विरोध जरूरी है ताकि सिस्टम सुधरे और ऐसे मामले दोबारा न हों।
अगर आप भी मानते हैं कि हिरासत में पिटाई पर सख्त कानूनी व्यवस्था जरूरी है, तो अपनी राय कमेंट में लिखें।
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