
#गढ़वा #रक्तदान : बच्ची के शरीर में मात्र 3 ग्राम खून बचा था — O+ रक्त देकर जान बचाई
- थैलीसीमिया पीड़िता जागृति भारती की हालत बेहद गंभीर थी।
- शरीर में मात्र 3 ग्राम रक्त होने की पुष्टि सदर अस्पताल में हुई।
- आस्था ग्रुप के आलोक कुमार ने बिना देर किए O+ रक्तदान किया।
- यह उनका नवां रक्तदान था — सेवा भावना के साथ पहुंचे थे अस्पताल।
- मौके पर जायंट्स ग्रुप ऑफ गढ़वा आस्था के कई सदस्य उपस्थित रहे।
बच्ची के जीवन की डोर बनी सिर्फ तीन ग्राम रक्त
गढ़वा के बंशीधर नगर उतारी निवासी 7 वर्षीय जागृति भारती को जब अस्पताल लाया गया, तो चिकित्सकों ने बताया कि उसके शरीर में केवल 3 ग्राम रक्त बचा हुआ था। यह स्थिति बेहद गंभीर और जानलेवा थी, क्योंकि जागृति एक थैलीसीमिया पीड़िता है और उसे समय-समय पर रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
रक्तदान की खबर मिलते ही तुरंत अस्पताल पहुंचे आलोक कुमार
आस्था ग्रुप के सक्रिय सदस्य आलोक कुमार को जैसे ही यह सूचना मिली कि एक बच्ची को तत्काल O+ रक्त की आवश्यकता है, उन्होंने बिना समय गंवाए सदर अस्पताल पहुंचकर रक्तदान किया। यह उनका नवां स्वैच्छिक रक्तदान था, जिसे उन्होंने पूरी सेवा भावना और मानवता के उद्देश्य से किया।
आलोक कुमार ने कहा: “आपका रक्त किसी को जीवन दे सकता है। अगर आप स्वस्थ हैं, समर्थ हैं और दान की भावना रखते हैं, तो रक्तदान से बड़ा कोई पुण्य कार्य नहीं हो सकता। रक्तदान अवश्य करें।”
अस्पताल में मौजूद रहे जागरूक नागरिक और चिकित्सक
इस प्रेरणादायी पहल के दौरान जायंट्स ग्रुप ऑफ गढ़वा आस्था के अध्यक्ष विराट राजा विश्वास, उपाध्यक्ष अमित शर्मा, मेडिकल ऑफिसर डॉ. आशीष गुप्ता, बसंत कुमार, प्रेम प्रकाश गुप्ता, और ब्लड बैंक टेक्नीशियन समेत कई अन्य सदस्य मौके पर मौजूद रहे। सभी ने आलोक कुमार के इस कार्य की भूरि-भूरि सराहना की और इसे युवाओं के लिए उदाहरण बताया।
न्यूज़ देखो: रक्तदान के संकल्प से जागती उम्मीद की किरण
इस खबर ने एक बार फिर साबित किया है कि समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं जो दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए हर पल तत्पर हैं। आलोक कुमार जैसे रक्तवीर न सिर्फ जान बचाते हैं, बल्कि रक्तदान के प्रति समाज को प्रेरित भी करते हैं। जागृति जैसी बच्चियों के जीवन में यह छोटी-सी पहल जीवनदान बनकर आई है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
साझा सेवा का संकल्प, समाज की रक्षा का कदम
एक छोटी बच्ची को बचाने के इस प्रयास में हम सभी को यह सीख मिलती है कि मानवता की सेवा में छोटे-छोटे योगदान भी बेहद बड़ा असर डाल सकते हैं। यदि हम स्वस्थ हैं, तो हमें आगे बढ़कर रक्तदान जैसे पुण्य कार्य में भाग लेना चाहिए।
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