
#बिशनपुर #गुमला : बनारी गांव में नशीले पदार्थों का बढ़ता कारोबार बना चिंता का विषय, ग्रामीणों ने पुलिस से की सख्त कार्रवाई की मांग
- बिशनपुर प्रखंड के बनारी गांव में अवैध शराब के बाद अब ब्राउन शुगर और गांजा की तस्करी तेज।
- नशीले पदार्थों की खुली बिक्री से युवाओं का भविष्य खतरे में।
- बिशनपुर पुलिस को मिली हालिया सफलता के बावजूद कई तस्कर अब भी सक्रिय।
- नशे के कारण अपराध, सड़क दुर्घटना और सामाजिक अशांति में इजाफा।
- ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पूरे नेटवर्क पर कार्रवाई की उठाई मांग।
गुमला जिले के बिशनपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बनारी गांव में अवैध शराब की बिक्री पर आंशिक अंकुश लगने के बाद अब ब्राउन शुगर, गांजा और अन्य नशीले पदार्थों की तस्करी तेजी से फैलती जा रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार, बनारी के साथ-साथ आसपास के गांवों में भी नशीले पदार्थों की अवैध खरीद-बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है, जिससे पूरे इलाके का सामाजिक माहौल लगातार खराब होता जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि नशे का यह कारोबार अब संगठित रूप ले चुका है और इसका सबसे बड़ा शिकार क्षेत्र के नवयुवक और किशोर वर्ग हो रहे हैं। कभी शांत और आपसी भाईचारे के लिए पहचाना जाने वाला यह इलाका अब नशे, अपराध और असुरक्षा की आशंका से जूझ रहा है।
अवैध शराब से नशीले पदार्थों तक फैला नेटवर्क
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, पहले बनारी गांव में अवैध महुआ और देसी शराब की बिक्री खुलेआम होती थी। प्रशासनिक दबाव और कार्रवाई के बाद शराब के कुछ अड्डों पर रोक लगी, लेकिन इसके बाद तस्करों ने ब्राउन शुगर और गांजा जैसे खतरनाक नशीले पदार्थों की ओर रुख कर लिया।
इन नशीले पदार्थों की बिक्री चोरी-छिपे नहीं, बल्कि बेहद चालाकी से की जा रही है। गांव के कुछ बाहरी और स्थानीय लोग मिलकर इस नेटवर्क को चला रहे हैं। नशे की लत में फंसे युवक ही आगे चलकर इसके प्रचारक और ग्राहक बनते जा रहे हैं।
पुलिस को मिली सफलता, फिर भी तस्कर बेखौफ
बताया जाता है कि बिशनपुर पुलिस को हाल ही में नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। कार्रवाई के दौरान कुछ तस्करों को पकड़ा गया और नशीले पदार्थ भी जब्त किए गए। हालांकि, इसके बावजूद कई गांजा और ब्राउन शुगर विक्रेता अब भी सक्रिय हैं और खुलेआम अपना धंधा चला रहे हैं।
सुरक्षा कारणों से फिलहाल तस्करों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई तब तक प्रभावी नहीं मानी जा सकती, जब तक पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म न किया जाए।
युवाओं पर सबसे ज्यादा असर
बनारी और आसपास के गांवों में नशे का सबसे ज्यादा असर युवाओं के भविष्य पर पड़ रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, कई युवक पढ़ाई-लिखाई और रोजगार छोड़कर नशे की गिरफ्त में जा चुके हैं।
नशे की वजह से घरों में कलह, आर्थिक तंगी और सामाजिक तनाव बढ़ रहा है। माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, लेकिन डर और सामाजिक दबाव के कारण कई लोग खुलकर सामने आने से भी कतराते हैं।
अपराध और दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी
स्थानीय लोगों का कहना है कि नशे के बढ़ते कारोबार के साथ-साथ क्षेत्र में छोटी-बड़ी आपराधिक घटनाओं में भी इजाफा हुआ है। नशे की हालत में मारपीट, चोरी और सड़क दुर्घटनाओं की घटनाएं आम होती जा रही हैं।
ग्रामीणों का मानना है कि यदि समय रहते इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आक्रोश
बनारी सहित पूरे बिशनपुर प्रखंड के ग्रामीणों में इस स्थिति को लेकर भारी नाराजगी है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में मांग की है कि अवैध शराब, ब्राउन शुगर, गांजा और अन्य नशीले पदार्थों के पूरे तस्करी नेटवर्क को चिन्हित कर कठोर कार्रवाई की जाए।
ग्रामीणों का कहना है कि केवल छोटे विक्रेताओं पर कार्रवाई करने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि इसके पीछे काम कर रहे बड़े सरगनाओं तक पुलिस को पहुंचना होगा।
प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग
लोगों ने बिशनपुर पुलिस प्रशासन से आग्रह किया है कि क्षेत्र में नियमित छापेमारी, गुप्त सूचना तंत्र को मजबूत करने और युवाओं को नशे से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
साथ ही स्कूल, पंचायत और सामाजिक संगठनों की मदद से नशा विरोधी अभियान को जन आंदोलन का रूप देने की मांग भी उठ रही है।
न्यूज़ देखो: नशे के खिलाफ निर्णायक लड़ाई जरूरी
बनारी गांव की स्थिति यह साफ संकेत देती है कि नशे के खिलाफ लड़ाई अब केवल पुलिस की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। प्रशासन की सख्ती और सामाजिक सहयोग के बिना इस जाल को तोड़ पाना मुश्किल होगा। यदि समय रहते ठोस कदम उठाए गए, तो युवा पीढ़ी को इस अंधेरे भविष्य से बचाया जा सकता है।
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युवाओं को बचाने की अपील
नशे के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।
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