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फोरलेन मुआवजा घोटाले में करोड़ों की हेराफेरी का आरोप: धीरेन्द्र तिवारी ने की निष्पक्ष जांच की मांग

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#गढ़वा #भ्रष्टाचार_मामला : अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय सह प्रवक्ता ने डाल्टनगंज में भूमि अधिग्रहण में अनियमितताओं पर उठाए गंभीर सवाल
  • अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा (अ) के राष्ट्रीय सह प्रवक्ता धीरेन्द्र तिवारी उर्फ गुड्डू गोवावल ने लगाया बड़ा आरोप।
  • डाल्टनगंज सदर प्रखंड के अंचल पदाधिकारी पर फोरलेन निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी का आरोप।
  • भूमि अधिग्रहण और मुआवजा भुगतान प्रक्रिया में बताई जा रही भारी वित्तीय अनियमितताएं।
  • कई असली लाभुकों को नहीं मिला मुआवजा, जबकि कुछ चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाया गया।
  • संगठन ने निष्पक्ष जांच की मांग की, नहीं तो जन आंदोलन और न्यायालयीन कार्रवाई की चेतावनी दी।

अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा (अ) के राष्ट्रीय सह प्रवक्ता धीरेन्द्र तिवारी उर्फ गुड्डू गोवावल ने डाल्टनगंज सदर प्रखंड में भूमि अधिग्रहण से जुड़ी गंभीर अनियमितताओं का खुलासा करते हुए कहा है कि फोरलेन निर्माण परियोजना के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है। उनका आरोप है कि अंचल पदाधिकारी और कुछ प्रभावशाली दलालों की मिलीभगत से मुआवजा वितरण प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार हुआ है।

भूमि अधिग्रहण में अनियमितता और मुआवजा घोटाला

धीरेन्द्र तिवारी ने कहा कि कई वास्तविक लाभुकों को मुआवजा नहीं दिया गया, जबकि कुछ चुनिंदा लोगों को गलत तरीके से भुगतान किया गया। उनका कहना है कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा और हर फाइल पास करने के लिए ‘रेट सिस्टम’ लागू किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासनिक मिलीभगत के कारण यह भ्रष्टाचार वर्षों से चल रहा है और किसान इसके सबसे बड़े शिकार बने हैं।

धीरेन्द्र तिवारी ने कहा: “भूमि अधिग्रहण के नाम पर किसानों के साथ धोखा हुआ है। यदि निष्पक्ष जांच कराई जाए तो कई बड़े नाम उजागर होंगे और सच्चाई सबके सामने आएगी।”

धीरेन्द्र तिवारी ने यह भी कहा कि स्थानीय दलालों का एक गिरोह सक्रिय है, जो फाइलों से लेकर भुगतान तक हर चरण में अवैध कमीशन वसूलता है। उन्होंने कहा कि इस भ्रष्ट तंत्र की जड़ें इतनी गहरी हैं कि बिना सशक्त प्रशासनिक हस्तक्षेप के इसे समाप्त करना संभव नहीं है।

सोशल मीडिया पर बदनाम करने की कोशिश

धीरेन्द्र तिवारी ने बताया कि जब उन्होंने इन अनियमितताओं पर सवाल उठाया, तो कुछ प्रभावशाली जमीन दलालों ने सोशल मीडिया के ज़रिए उन्हें बदनाम करने की कोशिश शुरू कर दी। उनके अनुसार यह साजिश भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए की जा रही है। उन्होंने कहा कि वे इस डराने की राजनीति से पीछे नहीं हटेंगे और किसानों के अधिकार के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा: “भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को बदनाम करना कुछ लोगों की आदत बन चुकी है, लेकिन सच को दबाया नहीं जा सकता।”

जिला प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग

धीरेन्द्र तिवारी ने जिला प्रशासन से सभी भूमि अधिग्रहण फाइलों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर जांच ईमानदारी से की गई, तो कई बड़े अधिकारी और दलाल इसमें फंस सकते हैं। उनका कहना है कि प्रशासन को किसानों के हित में तत्काल कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताएं न दोहराई जाएं।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महासभा ऐसे भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ेगी, यदि प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन न केवल किसानों के न्याय के लिए होगा, बल्कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक अभियान बनेगा।

किसानों की समस्याओं को लेकर महासभा का रुख सख्त

धीरेन्द्र तिवारी ने कहा कि अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा (अ) किसानों और भूमिहीनों के अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने संगठन के कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा से जुड़ी शिकायतों को संकलित करें और जिला मुख्यालय को भेजें।

उन्होंने कहा कि महासभा का लक्ष्य केवल भ्रष्टाचार का विरोध करना नहीं, बल्कि सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। उनका मानना है कि अगर हर नागरिक अपने स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा हो जाए, तो प्रशासनिक सुधार संभव है।

प्रशासनिक चुप्पी पर उठे सवाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। फोरलेन निर्माण से जुड़े भूमि अधिग्रहण के कई प्रकरणों में मुआवजा वितरण पर विवाद पहले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने हमेशा मामले को टालमटोल में डाल दिया। इस बार धीरेन्द्र तिवारी के आरोपों ने पूरे मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या जिला प्रशासन इस बार सख्त कदम उठाएगा या यह मामला भी बाकी कई मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

न्यूज़ देखो: फोरलेन परियोजना में पारदर्शिता पर गंभीर सवाल

फोरलेन जैसी बड़ी विकास परियोजनाएं जनता के जीवन को बेहतर बनाने के लिए होती हैं, लेकिन अगर इनमें ही भ्रष्टाचार की जड़ें पनपने लगें, तो यह सिस्टम की नाकामी का संकेत है। धीरेन्द्र तिवारी के आरोप प्रशासन की जवाबदेही पर गहरा सवाल खड़ा करते हैं। जनता उम्मीद कर रही है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सजग नागरिकता ही सच्चा विकास

किसी भी लोकतंत्र की मजबूती जनता की सजगता पर निर्भर करती है। जब नागरिक अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं, तभी प्रशासन जवाबदेह बनता है। अब समय है कि हम सब भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट हों और पारदर्शी शासन व्यवस्था की मांग करें।

अपने क्षेत्र की समस्याओं पर बोलें, जागरूकता फैलाएं और अपनी राय कमेंट करें।
इस खबर को दोस्तों तक पहुंचाएं और जिम्मेदारी साझा करें — क्योंकि बदलाव की शुरुआत आवाज़ से होती है।

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